यूपी में डीजीपी की रेस में अंतिम तीन का इंतजार, संघ लोक सेवा आयोग के जवाब के बाद खुलेंगे पत्ते
उत्तर प्रदेश का अगला डीजीपी कौन होगा इसे लेकर जहां पूरे पुलिस महकमे में अटकलों का दौर चल रहा है वहीं नए नाम को लेकर शासन पहले संघ लोक सेवा आयोग के जवाब के इंतजार में है।
लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश का अगला डीजीपी कौन होगा, इसे लेकर जहां पूरे पुलिस महकमे में अटकलों का दौर चल रहा है, वहीं नए नाम को लेकर शासन पहले संघ लोक सेवा आयोग के जवाब के इंतजार में है। माना जा रहा है कि पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू कराने समेत कई उपलब्धियां अपने नाम दर्ज कराने वाले ओपी सिंह को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ किसी अन्य महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दे सकते हैं। 31 जनवरी को कार्यकाल पूरा कर रहे 1993 बैच के आईपीएस अधिकारी ओपी सिंह की विदाई परेड को लेकर लखनऊ पुलिस लाइन में तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। एक फरवरी को डीजीपी ओपी सिंह की सेवानिवृत्ति पर पुलिस आफिसर्स मेस में रात्रिभोज का आयोजन होगा।
भाजपा सरकार ने पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह को वरिष्ठता सूची के आधार पर चयनित किया था। इसके बाद डीजीपी के लिए दावेदार माने जा रहे वरिष्ठता क्रम में शामिल प्रवीण सिंह, डॉ.सूर्य कुमार शुक्ला व गोपाल यादव सहित अन्य अधिकारियों के नामों को किनारे कर ओपी सिंह को चुना गया था। इस बार वरिष्ठता सूची में 1985 बैच के आइपीएस अधिकारी डीजी विजिलेंस हितेश चंद्र अवस्थी का नाम सबसे ऊपर है।
संघ लोक सेवा आयोग को भेजे गए नामों में हितेश चंद्र अवस्थी के अलावा 1986 बैच के आईपीएस अधिकारी डीजी सुजान वीर सिंह व डीजी नागरिक सुरक्षा जवाहर लाल त्रिपाठी, 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी डीजी ईओडब्ल्यू डॉ.आरपी सिंह, इसी बैच के डीजी उप्र राज्य मानवाधिकार आयोग जीएल मीणा, डीजी फायर सर्विस विश्वजीत महापात्रा, 1988 बैच के डीजी पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड आरके विश्वकर्मा व डीजी जेल आनन्द कुमार के नाम शामिल बताए जा रहे हैं।
केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से वापस आ रहे 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी डीजी डीएस चौहान का नाम भी इस रेस में शामिल हो गया है। केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात डीजी स्तर के अधिकारियों के नाम भी संघ लोक सेवा आयोग वरिष्ठता के आधार पर भारत सरकार से मांग सकता है। एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि वरिष्ठ पदों पर किसी अधिकारी की तैनाती के पीछे जातीय समीकरण व उसकी छवि भी महत्वपूर्ण बिंदु होते हैं। संघ लोक सेवा आयोग डीजी के नामों वाली सूची में तीन-चार नामों को चयनित कर उसे राज्य सरकार को भेजेगा। डीजीपी के नाम के चयन का अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का होगा।
मिलेगी कोई और बड़ी जिम्मेदारी
बतौर डीजीपी दो साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद ओपी सिंह की नजर तीन वर्षों वाली किसी नई जिम्मेदारी पर टिकी हैं। चूंकि इससे पहले पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह को तीन माह का सेवा विस्तार मिला था और बाद में उन्हें पुलिस आधुनिकीकरण एवं सुदृढ़ीकरण आयोग का अध्यक्ष बनाया गया। उससे पूर्व डीजीपी ऐके जैन को तो विदाई परेड के बाद तीन माह का सेवा विस्तार मिला था। ऐसे अनुभवों को देखते हुए ही डीजीपी ओपी सिंह को सेवा विस्तार की अटकलें लगाई जा रही हैं।