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उत्तर प्रदेश में संवेदनशील मुद्दों पर सधे कदम बढ़ाएगी कांग्रेस, पहले ही होमवर्क

फिलहाल अयोध्या के ऐतिहासिक फैसले के मुहाने पर खड़े उत्तर प्रदेश के पदाधिकारियों को राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका वाड्रा ने इसका स्पष्ट संदेश दे दिया है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Fri, 01 Nov 2019 02:23 PM (IST)Updated: Fri, 01 Nov 2019 02:23 PM (IST)
उत्तर प्रदेश में संवेदनशील मुद्दों पर सधे कदम बढ़ाएगी कांग्रेस, पहले ही होमवर्क
उत्तर प्रदेश में संवेदनशील मुद्दों पर सधे कदम बढ़ाएगी कांग्रेस, पहले ही होमवर्क

लखनऊ, जेएनएन। अनुच्छेद 370 और सर्जिकल स्ट्राइक जैसे मुद्दों पर नेताओं के वैचारिक भटकाव से मुंह की खाने वाली कांग्रेस अब फूंक-फूंककर कदम रखने जा रही है। प्रदेश में नेताओं के वैचारिक भटकाव ने कांग्रेस की खूब किरकिरी कराई। इससे सबक लेकर पार्टी ने तय किया है कि अब किसी भी संवेदनशील मुद्दे पर पहले ही होमवर्क कर पार्टी लाइन तैयार कर ली जाएगी।

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फिलहाल अयोध्या के ऐतिहासिक फैसले के मुहाने पर खड़े उत्तर प्रदेश के पदाधिकारियों को राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका वाड्रा ने इसका स्पष्ट संदेश दे दिया है। लंबे समय से बिखरी-बिखरी नजर आ रही कांग्रेस अब प्रदेश में खुद को व्यवस्थित और अनुशासित बनाने का प्रयास कर रही है, जिसकी कमान खुद राष्ट्रीय महासचिव एवं प्रदेश प्रभारी प्रियंका वाड्रा ने थाम रखी है।

प्रदेश कमेटी को छोटा और संतुलित बनाकर उन्होंने पदाधिकारियों की जवाबदेही भी तय कर दी है। साथ ही पिछली खामियों और भविष्य की चुनौतियों पर भी उनकी नजर है। पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि प्रियंका वाड्रा ने स्पष्ट कहा है कि मोदी सरकार अब संवेदनशील मामलों पर जो भी फैसला लेगी, उस पर प्रतिक्रिया का भटकाव नहीं होना चाहिए। ऊपर से नीचे तक एक-एक कांग्रेसी का समान रुख होना चाहिए। इस संबंध में राष्ट्रीय नेतृत्व अब गंभीर है। अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने वाला है। इसे देखते हुए पार्टी ने तैयारी शुरू कर दी है कि कांग्रेस का स्टैंड किस फैसले पर क्या होगा। यही नहीं, किसी भी गंभीर विषय पर पहले ही पार्टी लाइन तय कर कार्यकर्ताओं को बता दी जाएगी।

गौरतलब है कि इससे पहले मोदी सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने पर कांग्रेस अपना स्टैंड तय नहीं कर सकी थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया सरीखे वरिष्ठ नेताओं ने फैसले के पक्ष में अपनी राय रखी थी, जबकि शीर्ष नेतृत्व इसके विरोध में था। 


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