Ayodhya Ram Mandir Verdict 2019 : यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने फैसले का किया स्वागत, नहीं देंगे चुनौती
Ayodhya Ram Mandir Verdict 2019 बोर्ड अध्यक्ष जुफर फारूकी कहा कि वह न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हैं। बोर्ड का इस फैसले को चुनौती देने का कोई इरादा नहीं है।
लखनऊ, जेएनएन। रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के अहम पक्षकारों में से एक उत्तर प्रदेश के सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत किया है। फैसले के बाद शनिवार को पत्रकारों से बातचीत में बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारूकी ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड इस निर्णय के खिलाफ किसी भी प्रकार की पुनर्विचार याचिका या क्यूरेटिव याचिका दाखिल नहीं करेगा। फारूकी ने कहा कि वह न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हैं। निर्णय को चुनौती देने के जो भी बयान दे रहे हैं वह उनकी व्यक्तिगत राय हो सकती है। सुन्नी वक्फ बोर्ड इससे सहमत नहीं है।
बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारूकी ने स्पष्ट किया कि 'कोई भी व्यक्ति, अधिवक्ता या संगठन पुनर्विचार याचिका संबंधी कोई बयान देता है तो उसे सुन्नी वक्फ बोर्ड की लाइन न माना जाए।' सभी संगठन खासकर मुस्लिम संगठन यह बात कहते आ रहे थे कि जो भी सुप्रीम कोर्ट का फैसला होगा उसे मानेंगे। अब कोर्ट का फैसला मानते हुए सभी को इसका सम्मान करना चाहिए। जो भी फैसला आया है उसे देशहित में देखना चाहिए।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी ने दिल्ली में पत्रकार वार्ता में कहा है कि कोर्ट के फैसले को चुनौती दी जाएगी। हालांकि बाद में उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि वह ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का संवाददाता सम्मेलन था। उन्होंने फैसले को चुनौती देने की बात बोर्ड के सचिव की हैसियत से कही थी न कि वक्फ बोर्ड के वकील की हैसियत से।
अयोध्या में दी जा रही पांच एकड़ जमीन लेने या न लेने के बारे में जुफर ने कहा कि इस पर अंतिम फैसला सुन्नी वक्फ बोर्ड की बैठक में लिया जाएगा। जल्द ही बोर्ड अपनी बैठक बुलाकर इस बारे में निर्णय लेगा। उन्होंने कहा कि हमने सुप्रीम कोर्ट से जमीन की कोई मांग नहीं की थी। इसके बावजूद हमें पांच एकड़ जमीन देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हम स्वागत करते हैं।
एआइएमआइएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के बयान जिसमें उन्होंने कहा कि खैरात के रूप में दी गई पांच एकड़ जमीन हमें नहीं चाहिए, हमें जमीन लेने के प्रस्ताव को खारिज कर देना चाहिए। इस पर जुफर फारूकी ने कहा कि यह ओवैसी के निजी विचार हैं। उनका सुन्नी वक्फ बोर्ड से कोई लेना-देना नहीं है। एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड का दावा खारिज नहीं किया बल्कि उस पर व्यवस्था दी है।
बता दें कि शनिवार को अयोध्या में रामजन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का बहुप्रतीक्षित फैसला आया है। सुप्रीम कोर्ट की सांविधानिक पीठ ने विवादित भूमि रामलला विराजमान को देने का फैसला किया है। फैसले में सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में ही 5 एकड़ जमीन देने की भी व्यवस्था दी गई है।
इकबाल अंसारी भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पूरी तरह संतुष्ट
बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से वह पूरी तरह संतुष्ट हैं। हम पहले से ही यह कह रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला होगा वह माना जाएगा। अपनी बात पर कायम हैं। फैसले के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भी स्वागत है। कोर्ट का जो निर्णय है, उसके अनुसार सरकार कार्य करे। मस्जिद के लिए जमीन मुहैया कराना सरकार की जिम्मेदारी है। मैं इस मुकदमे का पक्षकार हूं और फैसले से पूरी तरह संतुष्ट हूं। मैं मुस्लिमों के साथ भी रहा हूं और साधुओं के साथ भी रहता हूं। आगे भी सभी के साथ मिलकर रहूंगा। सभी लोग सौहार्द बनाए रखें और फैसले का सम्मान करें।