UP Power Sector PF Scam : ऊर्जा मंत्री का पलटवार, झूठे व मनगढ़ंत आरोप के लिए माफी मांगें कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष
यूपी के ऊर्जा मंत्री ने कहा है कि सुर्खियों में बने रहने के लिए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने निजी आरोप गढ़े हैं। वह राहुल गांधी की तरह बर्ताव कर रहे हैं।
लखनऊ, जेएनएन। बिजली विभाग में हुए भविष्य निधि घोटाले पर सूबे की सियासत गर्म होती जा रही है। कांग्रेस द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों पर ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू द्वारा उनके ऊपर लगाए गए निजी आरोप मनगढ़ंत, तथ्यों से परे और शर्मनाक हैं। लल्लू माफी मांगें, नहीं तो वह आपराधिक मानहानि का मुकदमा झेलने के लिए तैयार रहें।
ऊर्जा मंत्री ने कहा है कि सुर्खियों में बने रहने के लिए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने निजी आरोप गढ़े हैं। वह राहुल गांधी की तरह बर्ताव कर रहे हैं, जिन्होंने कई नेताओं पर झूठे आरोप लगाए और आज अदालतों के चक्कर लगा रहे हैं। ऊर्जा मंत्री ने कहा कि पीएफ मामले में निवेश का रास्ता कांग्रेस परिवार के प्रिय मित्र अखिलेश यादव के समय ही खोला गया। इसकी पाठकथा उनके कार्यकाल में ही लिखी गई। जैसे ही मामला संज्ञान में आया, उन्होंने स्वयं मामले की सीबीआइ जांच के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों की भविष्य निधि का निवेश कहां होगा, यह काम ट्रस्ट के अध्यक्ष और ट्रस्टियों का है। ऊर्जा मंत्री का इस प्रक्रिया से कोई सरोकार नहीं है।
बता दें कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने घोटाले के लिए ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा को जिम्मेदार बताते हुए उन्हें तत्काल बर्खास्त कर उनके सहित तत्कालीन प्रबंध निदेशक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की मांग सरकार से की है। लल्लू ने आरोप लगाया है कि डीएचएफसीएल वालों का ऊर्जा भवन स्थित मंत्री कार्यालय, सरकारी आवास और मथुरा स्थित घर तक आना-जाना था। इन स्थानों के आगंतुक रजिस्टर को सील कर सीबीआइ को सौंपा जाए तो सब सामने आ जाएगा।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने सरकार के लिए उठाए सवाल
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने सवाल उठाए हैं कि डीएचएफएल में निवेश का अनुमोदन कब हुआ? कब हस्ताक्षर किए गए? मार्च 2017 के बाद से दिसंबर 2018 तक किन-किन तारीखों में निवेश किया गया? अब तक डीएचएफएल से हुए पत्राचार, डीएचएफएल की ओर से कौन लोग बात कर रहे थे? सार्वजनिक किया जाए। क्या ऊर्जा मंत्री के विभाग में हजारों करोड़ रुपये के संदिग्ध सौदे छोटे स्तर के अधिकारी कर लेते हैं और उन्हें खबर नहीं होती? ईओडब्लू ने अभी तक विजिटर बुक क्यों नहीं सील की? क्या मुलाकातियों की सूची में हेराफेरी की जा रही है?