UP Cabinet Approved : योगी आदित्यनाथ कैबिनेट की लगी मुहर, कोविड-19 फंड में एक वर्ष की विधायक निधि
UP Cabinet Approved उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस के निपटने के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार ने विधायकों की निधि को एक वर्ष के लिए समाप्त कर दिया है।
लखनऊ, जेएनएन। कोरोना वायरस के संक्रमण पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के साथ उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है। उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस के निपटने के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार ने विधायकों की निधि को एक वर्ष के लिए समाप्त कर दिया है। इस फैसले को कैबिनेट से मंजूरी भी मिल गई है। योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट की बैठक बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हुई है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में बुधवार शाम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हुई कैबिनेट की बैठक में चार प्रस्ताव पर मुहर लगी है। इनमें सबसे अहम फैसला विधायक निधि को एक वर्ष के समाप्त करने का है। सांसदों की तरह विधायक निधि पर योगी आदित्यनाथ कैबिनेट ने बड़ा ही साहसिक फैसला लिया है। केंद्र सरकार के सांसद निधि में कटौती करने के फैसले से एक कदम आगे बढ़कर योगी आदित्यनाथ सरकार ने एक वर्ष तक विधायक निधि समाप्त करने के प्रस्ताव पर मुहर लगी दी है। इसके साथ ही अब प्रदेश में सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ ही उनके मंत्रियों के वेतन में कटौती के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गई है। कैबिनेट की बैठक में कोविड-19 फंड के लिए प्रस्ताव पास कर दिया गया है। अब विधायकों की एक वर्ष की निधि समाप्त करने के साथ उनके वेतन से भी कटौती का प्रस्ताव पास किया गया। मंत्रियों तथा मुख्यमंत्री के साथ ही सभी विधायकों के वेतन में भी 30 प्रतिशत कटौती के प्रस्ताव पर मुहर लगी है। कैबिनेट ने आपदा निधि 1951 में बदलाव किया। अब तक आपदा निधि में 600 करोड़ की राशि थी जिसे अब बढ़ा कर 1200 करोड़ किया गया है।
कैबिनेट बैठक में 4 प्रस्तावों पर मुहर
1. विधायक निधि को 1 साल के लिए ससपेंड किया गया। 2020-21 की विधायक निधि का इस्तेमाल कोरोना से लड़ने में किया जाएगा।
2. मंत्रियों के वेतन में 30 फीसदी की कटौती का प्रस्ताव पर मुहर।
3. विधयकों के वेतन में भी 30 फीसदी की कटौती।
4. आपदा निधि 1951 में बदलाव किया गया। अब तक आपदा निधि में 600 करोड़ की राशि थी जिसे अब बढ़ा कर 1200 करोड़ किया गया है।
चीन से फैली महामारी कोरोना वायरस संक्रमण को आगे बढऩे के लिए चिकित्सा संसाधनों को मजबूत करने में जुटी उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने कैबिनेट की बैठक में अहम फैसलों को दस मिनट में ही मंजूरी प्रदान कर दी। सीएम, मंत्रियों तथा विधायकों के वेतन से भी 30 फीसद की कटौती के साथ उनकी एक वर्ष की निधि को कोविड केयर फंड में दिया जाएगा।
कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के खिलाफ चल रहे युद्ध में केंद्र की तरह उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने बड़ा निर्णय लिया है। सांसदों की तर्ज पर यहां भी मंत्री-विधायक एक वर्ष तक 30 फीसद कम वेतन लेंगे। इसके साथ ही उनकी एक वर्ष की निधि भी निलंबित कर दी गई है। यह सारी धनराशि कोरोना से बचाव और उपचार पर खर्च की जाएगी। इन महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर बुधवार को कैबिनेट की बैठक में स्वीकृति की मुहर लगा दी गई। जब से कोरोना का कहर शुरू हुआ है, तब से प्रदेश में कैबिनेट बैठक स्थगित चल रही थी लेकिन, एक महत्वपूर्ण विषय को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये अपने आवास से ही कैबिनेट की बैठक की। इसमें कोरोना से बचाव व इलाज के लिए धन जुटाने से संबंधित चार प्रस्ताव रखे गए। बैठक में तय हुआ कि विधायक निधि को एक वर्ष के लिए निलंबित किया जाएगा। 2020-21 की विधायक निधि का इस्तेमाल कोरोना के बचाव और उपचार के लिए चिकित्सा संसाधनों को मजबूत करने पर खर्च किया जाएगा। यही नहीं, मंत्री और विधायक एक वर्ष तक वेतन भी 30 फीसद कम लेंगे। मंत्री और विधायकों के वेतन में कटौती के अलग-अलग दो प्रस्ताव थे। चौथा प्रस्ताव राज्य आपदा मोचक निधि 1951 में संशोधन को लेकर था। अब तक राज्य आपदा मोचक निधि में 600 करोड़ रुपये का प्राविधान था, जिसे बढ़ाकर 1200 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट भी ऐसे निर्णय ले चुकी है। सांसदों की दो वर्ष की निधि पीएम कोविड केयर फंड में दान कर दी गई है। साथ ही सांसदों के वेतन से 30 फीसद की कटौती एक वर्ष के लिए की जा रही है। केंद्र और प्रदेश के निर्णय में फर्क सिर्फ इतना है कि सांसदों की दो वर्ष तो विधायकों की एक वर्ष की निधि ली गई है। इसके पीछे सोच यही है कि उप्र में 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में विधायकों को अपने-अपने क्षेत्रों में विकास कार्य भी कराने होंगे।
कॉन्फ्रेंसिंग में राज्यमंत्री भी शामिल
कैबिनेट की बैठक में कैबिनेट मंत्री ही शामिल होते हैं लेकिन, इस बार तो महत्वपूर्ण निर्णय के लिए चर्चा में राज्य मंत्रियों को भी पहली बार शामिल किया गया। कोविड केयर फंड को लेकर सभी मंत्रियों ने अपनी सहमति दी।
वरिष्ठ मंत्रियों ने उठाई अफसरों के वेतन से कटौती की बात
चर्चा के दौरान चिकित्सा शिक्षा, वित्त एवं संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने यह बात उठाई कि मंत्री-विधायकों की तरह क्लास वन अधिकारियों के वेतन से भी कटौती कर जनहित में पैसा लगाया जा सकता है। इस बात का समर्थन लघु उद्योग मंत्री व सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने भी किया। हालांकि, यह चर्चा आगे नहीं बढ़ सकी।
विधायक निधि से मिलेंगे 1509 करोड़ रुपये
ग्राम्य विकास मंत्री राजेंद्र सिंह मोती ने बताया कि कई विधायकों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अपनी निधि देने का प्रस्ताव रखा था। उसे देखते हुए ही विशेष कैबिनेट में यह निर्णय लिया गया। एक विधायक की एक वर्ष की निधि तीन करोड़ रुपये है। प्रदेश में कुल 503 विधायक व विधान परिषद सदस्य हैं। इस तरह एक वर्ष की निधि स्थगित होने से कोविड केयर फंड में एकमुश्त 1509 करोड़ रुपये आएंगे।
वेतन कटौती से आएंगे 17.5 करोड़़
वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि सरकार में 56 मंत्री हैं। प्रत्येक को वेतन, कार्यालय भत्ता व निर्वाचन क्षेत्र भत्ता मिलाकर प्रतिमाह कुल 1.1 लाख रुपये मिलते हैैं। इसी तरह विधान सभा और विधान परिषद सदस्यों को वेतन-भत्ते मिलाकर प्रतिमाह कुल 95 हजार रुपये दिए जाते हैैं। सभी के वेतन में 30 फीसद की कटौती एक वर्ष होगी तो कोविड केयर फंड में कुल 17 करोड़ 50 लाख 50 हजार रुपये जमा होंगे।
आज तक वेतन न लेने वाले मंत्री रविंद्र की तारीफ
बैठक में यह बात भी सामने आई कि स्टांप, न्यायालय शुल्क एवं पंजीयन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविंद्र जायसवाल ने विधायक बनने के बाद से अब तक कभी वेतन नहीं लिया है। इस पर मुख्यमंत्री सहित अन्य मंत्रियों ने उनका आभार जताया। रविंद्र पिछले आठ वर्ष से विधायक हैं। वह अपना पूरा वेतन मुख्यमंत्री के राहत कोष में जमा करते रहे हैं।
कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए चल रही जंग और राहत कार्यों से केंद्र सहित सभी राज्य सरकारों पर भारी वित्तीय बोझ आ गया है। इसी को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत दिवस केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूर किया कि सांसद एक वर्ष तक 30 फीसद वेतन कम लेंगे और दो वर्ष की अपनी निधि पीएम कोविड केयर फंड में दान करेंगे। तभी से अटकलें लगाई जा रही थीं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस तरह का निर्णय ले सकते हैं। यहां विधायक अपनी मर्जी से जनता की मदद के लिए खुले दिल से दान करने में जुटे हैं, इसलिए सरकार ने भी उम्मीद के साथ कदम बढ़ाया है।