UP Cabinet Approved : बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र में 15 हजार करोड़ से बिछेगी पाइप पेयजल लाइन
UP Cabinet Approved गांवों में पाइप लाइन के जरिये हर घर जल पहुंचाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वादे को अंजाम तक पहुंचाने के लिए योगी सरकार ने तेजी से कदम बढ़ाए हैं।
लखनऊ, जेएनएन। UP Cabinet Approved : गांवों में पाइप लाइन के जरिये हर घर जल पहुंचाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वादे को अंजाम तक पहुंचाने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने तेजी से कदम बढ़ाए हैं। इस बार बजट में ग्रामीण पेयजल योजनाओं के लिए सरकार ने खजाना खोला है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में भी प्रथम चरण में बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र में पाइप लाइन से पानी पहुंचाने के लिए 13 परियोजनाओं को मंजूरी दे दी गई।
ग्रामीण क्षेत्रों में पाइप लाइन से पानी पहुंचाने के पहले चरण में सरकार ने बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र के ऐसे जिलों को लिया है, जहां पेयजल संकट अधिक है या भूगर्भ जल में हानिकारक रसायनों की अधिकता है। इनमें बुंदेलखंड के नौ और विंध्य के दो जिले शामिल हैं। मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई बैठक में परियोजना का प्रस्ताव रखा गया।
बताया गया कि नौ जिलों के लिए कुल 545 डीपीआर तैयार की गई हैं। इनकी कुल लागत 15722.89 करोड़ रुपये अनुमानित है। इन सभी जिलों के गांवों में पानी पहुंचाने के लिए कार्यदायी फर्मों ने जो डीपीआर तैयार की हैं, उनमें से 200 करोड़ रुपये से अधिक की 37 परियोजनाओं को व्यय वित्त समिति का अनुमोदन मिल चुका है। इनमें से 13 परियोजनाओं के एस्टीमेट को कैबिनेट ने अनुमोदित कर दिया है।
विधानमंडल में रखा जाएगा आयुष विवि का विधेयक
राज्य आयुष विश्वविद्यालय की स्थापना गोरखपुर में करने का निर्णय ले चुकी सरकार ने बजट में इसके लिए धनराशि भी आवंटित कर दी है। कैबिनेट की बैठक में राज्य आयुष विवि का विधेयक रखा गया, जिसे विधानमंडल में रखकर अधिनियम की प्रक्रिया आगे बढ़ाने का निर्णय लिया गया। प्रदेश में आयुष विभाग के अंतर्गत आयुर्वेद निदेशालय में आठ राजकीय और 59 निजी आयुर्वेद महाविद्यालय व चिकित्सालय, यूनानी निदेशालय में दो राजकीय और 13 निजी यूनानी महाविद्यालय व चिकित्सालय तथा होम्योपैथ निदेशालय में नौ राजकीय और तीन निजी यूनानी महाविद्यालय व चिकित्सालय चल रहे हैं। यह सभी क्षेत्रीय विश्वविद्यालयों से संबद्ध हैं। सरकार का मानना है कि सामान्य विश्वविद्यालयों की चिकित्सा क्षेत्र में कोई विशेषज्ञता नहीं होती। इस वजह से इन संस्थानों पर प्रभावी नियंत्रण नहीं हो पाता है। महाविद्यालयों के पाठ्यक्रम और परीक्षा के स्तर में भी एकरूपता नहीं रहती है। आयुष विवि की स्थापना के बाद सभी महाविद्यालय इससे संबद्ध होंगे और इन सभी समस्याओं का समाधान हो जाएगा। साथ ही आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथ चिकित्सा में अनुसंधान को भी बढ़ावा मिलेगा।