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UP Cabinet Approved : बुनकरों को फ्लैट रेट पर बिजली देने की व्यवस्था खत्म, रुकेगा सब्सिडी का दुरुपयोग

सीएम योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट ने तय किया कि अब पावरलूम बुनकरों को फ्लैट रेट की बजाय हर महीने बिजली यूनिट की एक निश्चित संख्या तक बिल में छूट दी जाएगी।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Tue, 03 Dec 2019 10:40 PM (IST)Updated: Tue, 03 Dec 2019 10:40 PM (IST)
UP Cabinet Approved : बुनकरों को फ्लैट रेट पर बिजली देने की व्यवस्था खत्म, रुकेगा सब्सिडी का दुरुपयोग
UP Cabinet Approved : बुनकरों को फ्लैट रेट पर बिजली देने की व्यवस्था खत्म, रुकेगा सब्सिडी का दुरुपयोग

लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश सरकार ने बिजली का दुरुपयोग रोकने को बड़ा कदम उठाया है। पावरलूम बुनकरों को फ्लैट रेट पर विद्युत आपूर्ति के चलते सब्सिडी के बढ़ते बोझ से निजात पाने और बिजली का बेजा इस्तेमाल रोकने के लिए योगी सरकार ने योजना में बदलाव करने का फैसला किया हैै।

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सीएम योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट ने तय किया कि अब पावरलूम बुनकरों को फ्लैट रेट की बजाय हर महीने बिजली यूनिट की एक निश्चित संख्या तक बिल में छूट दी जाएगी। प्रत्येक छोटे पावरलूम (0.5 हॉर्स पावर तक) को अब 120 यूनिट और बड़े पावरलूम (एक हॉर्स पावर तक) को 240 यूनिट प्रतिमाह की सीमा तक 3.5 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली मूल्य में छूट दी जाएगी। मंगलवार को कैबिनेट बैठक में हुए इस फैसले से सरकार बुनकरों को दी जा रही बिजली सब्सिडी के मद में सालाना 800 करोड़ रुपये की बचत करेगी।

मुलायम सरकार ने 14 जून 2006 को पावरलूम बुनकरों के लिए विद्युत दर में छूट की प्रतिपूर्ति योजना शुरू की थी। तब यह योजना ऊर्जा विभाग के हवाले थी। योजना के तहत 60 इंच तक की रीड स्पेस के लूम (0.5 हॉर्स पावर) के लिए बुनकर से 65 रुपये प्रति लूम की दर से चार्ज किया जाता है। वहीं 60 इंच से अधिक रीड स्पेस वाले लूम (एक हॉर्स पावर) के लिए बुनकर से 130 रुपये हर महीने लिए जाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में 60 इंच तक के रीड स्पेस वाले लूम के लिए यह दर 37.5 रुपये और 60 इंच से अधिक रीड स्पेस वाले लूम के लिए 75 रुपये प्रति हॉर्स पावर प्रति माह की दर से ली जाती है। अतिरिक्त मशीनों के लिए बुनकरों से शहरी क्षेत्र में 130 रुपये और ग्रामीण इलाकों में 75 रुपये प्रति हॉर्स पावर प्रति माह की दर से बिजली का मूल्य लिया जाता है। दस साल तक ऊर्जा विभाग ने बुनकरों को सब्सिडी का लाभ दिया लेकिन 2015-16 में योजना हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग विभाग के हवाले हो गई।

3682 करोड़ हुआ सब्सिडी का बकाया

बुनकरों को बिजली की सब्सिडी देने के लिए हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग विभाग को सालाना 150 करोड़ रुपये का बजट आवंटित है लेकिन विद्युत दरों में लगातार हुई बढ़ोत्तरी के कारण बिजली सब्सिडी की धनराशि बढ़ते-बढ़ते सालाना 950 करोड़ रुपये पहुंच गई है। इसकी वजह से 31 मार्च 2018 तक हथकरघा विभाग पर ऊर्जा विभाग का 3682.72 करोड़ रुपये बकाया हो गया है।

पावरलूम कनेक्शन के नाम पर अनियमितताएं

सूबे में पावरलूमों की सही संख्या का पता लगाने के लिए हथकरघा और बिजली विभागों ने संयुक्त सर्वेक्षण किया। सर्वे पूरा होने के बाद ऊर्जा विभाग द्वारा उपलब्ध कराई गई संख्या कुल 97,723 कनेक्शन के सापेक्ष प्रदेश में 86,074 पावरलूम विद्युत कनेक्शन और 2,57,965 पावरलूम पाए गए हैं। इनमें 60 इंच से कम रीड स्पेस (0.5 हॉर्स पावर) वाले 2,37,794 और इससे ज्यादा क्षमता (एक हॉर्स पावर) वाले 20,171 पावरलूम पाए गए। यह मानते कि यह पावरलूम महीने में 30 दिन रोजाना 12 घंटे चलाए जाते हैं तो इस पर सालाना कुल 448509165 यूनिट बिजली की खपत होनी चाहिए। जबकि ऊर्जा विभाग द्वारा उपलब्ध करायी गई सूचना के मुताबिक बिजली खपत का वार्षिक आंकड़ा 991239992 यूनिट है। यह विभागीय आंकलन के दोगुने से अधिक है।

चार बड़ी औद्योगिक परियोजनाओं को लेटर ऑफ कम्फर्ट

औद्योगिक विकास का माहौल बनाने के लिए सरकार ने मेगा प्रोजेक्ट (बड़ी परियोजनाओं) को विशेष सुविधाएं और वित्तीय रियायत देने का फैसला लिया है। इसके तहत मंगलवार को चार कंपनियों को लेटर ऑफ कम्फर्ट जारी करने के प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूर कर दिया।

प्रदेश में औद्योगिक निवेश बढ़ाने के लिए सरकार प्रयासरत है। इसी क्रम में जरूरत महसूस की गई कि बड़ी औद्योगिक परियोजनाओं को लेटर ऑफ कम्फर्ट जारी कर विशेष सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। उप्र अवस्थापना एवं औद्योगिक निवेश नीति- 2012 में इस प्राविधान को शामिल किया गया। इसके तहत ही चार कंपनियों के प्रस्ताव कैबिनेट में रखे गए। मेसर्स श्री सीमेंट लिमिटेड बुलंदशहर, मेसर्स रिलायंस सीमेंट कंपनी प्राइवेट लिमिटेड रायबरेली, मेसर्स वरुण बेवरेजेस लिमिटेड संडीला हरदोई और मेसर्स पसवारा पेपर्स लिमिटेड मेरठ ने कुल 326.27 करोड़ रुपये का निवेश किया है। इन्हें लेटर ऑफ कम्फर्ट जारी करने का प्रस्ताव स्वीकृत किया गया है।

औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नियमावली में संशोधन

औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन योजना-2012 के तहत पात्र इकाइयों को उनके द्वारा जमा कराए गए यूपी वैट और केंद्रीय बिक्री कर के सापेक्ष ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराने की व्यवस्था है। जुलाई 2017 से वैट को समाप्त कर जीएसटी लागू कर दिया गया है। लिहाजा, औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नियमावली-2012 में संशोधन को स्वीकृति दी गई है। अब जीएसटी एक्ट के अनुसार राज्य के अंश की सीमा तक जमा कराए स्टेट जीएसटी (इनपुट टैक्स क्रेडिट की धनराशि घटाकर) की धनराशि ब्याज मुक्त ऋण के रूप में उपलब्ध कराई जाएगी। 


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