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Rajasthan Political Crisis: झूठ को सच बनाने के लिए भैरों सिंह शेखावत का इस्तेमाल कर रहे गहलोत: शेखावत

Rajasthan Political Crisis केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पहले भी राजभवन के सामने प्रदर्शन हुए लेकिन यह पहली बार है जब सत्ताधारी दल ने अपने मुखिया के इशारे पर धरना दिया।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Mon, 27 Jul 2020 06:37 PM (IST)Updated: Mon, 27 Jul 2020 08:27 PM (IST)
Rajasthan Political Crisis: झूठ को सच बनाने के लिए भैरों सिंह शेखावत का इस्तेमाल कर रहे गहलोत: शेखावत
Rajasthan Political Crisis: झूठ को सच बनाने के लिए भैरों सिंह शेखावत का इस्तेमाल कर रहे गहलोत: शेखावत

संवाद सूत्र, जोधपुर। राजस्थान में जारी सियासी संकट के बीच केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भैरों सिंह शेखावत के विराट व्यक्तित्व का इस्तेमाल अपने झूठ को सच बनाने के लिए किया है। गहलोत ने राज्यपाल को दी गई अपनी अनैतिक धमकी को मजबूत बनाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री के उस बयान का उल्लेख किया, जो उन्होंने कभी दिया ही नहीं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गहलोत कहते हैं कि सन 1993 में राष्ट्रपति शासन के दौरान भैरोंसिंह शेखावत ने राजभवन के घेराव की धमकी दी थी, जबकि वास्तविकता यह है कि वे तब किसी पद पर नहीं थे और न केवल उन्होंने, बल्कि भाजपा के भी किसी पदाधिकारी ने ऐसी कोई बात नहीं कही थी।

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केंद्रीय मंत्री ने सोमवार को कहा कि पहले भी राजभवन के सामने प्रदर्शन हुए, लेकिन यह पहली बार है कि सत्ताधारी दल ने अपने मुखिया के इशारे पर राजभवन के भीतर धरना दिया और नारेबाजी की। पूर्व मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत ने कभी ऐसा कलंकित कार्य नहीं किया। वे राज्यपाल पद की गरिमा जानते थे। उन्होंने कहा कि गहलोत के इस कृत्य से राज्य में शेखावत के लाखों प्रशंसक आहत हैं। अगर गहलोत वास्तव में उनके पथ पर चलना चाहते हैं तो उन्हें अपने विधायकों को बाड़ेबंदी से निकालकर जनसेवा में जुट जाना चाहिए।

कांग्रेस विधायकों ने की थी राज्यपाल से बदसलूकी

केंद्रीय मंत्री शेखावत ने गहलोत से पूछा है कि क्या यह सच नहीं है कि सन 1996-97 में भैरोंसिंह शेखावत की सरकार के खिलाफ की जा रही साजिश कांग्रेस के समर्थन से रची गई थी?

क्या यह सच नहीं है कि उस समय बहुमत सिद्ध करने के लिए बुलाए गए विधानसभा सत्र के दौरान राज्यपाल से बदसलूकी की गई और कांग्रेसी विधायकों ने उनसे हाथापाई की?

उनके हाथ से अभिभाषण की प्रति छीनकर फाड़ी गई और उनका माइक तोड़ा गया था?


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