गुजरात में दो भाजपा विधायक आचार संहिता उल्लंघन में फंसे
चुनाव आयोग ने गुजरात में विधानसभा चुनाव के दौरान एक प्रत्याशी की चुनाव खर्च सीमा 28 लाख रुपए रखी थी।
अहमदाबाद, राज्य ब्यूरो। गुजरात विधानसभा चुनाव में 182 विधायक चुनाव आयोग से स्वीकृत खर्च सीमा से महज 60 फीसद धनराशि ही खर्च कर पाए। दो निर्दलीय, एक कांग्रेस व एक राकांपा विधायक तो तीन से पांच लाख में चुनाव जीतने में सफल रहे। लेकिन, भाजपा के दो विधायक चुनाव खर्च सीमा से अधिक खर्च कर आचार संहिता उल्लंघन के मामले में फंस गए हैं।
चुनाव आयोग ने गुजरात में विधानसभा चुनाव के दौरान एक प्रत्याशी की चुनाव खर्च सीमा 28 लाख रुपए रखी थी। गत विधानसभा चुनाव में हुए खर्च की तुलना में कांग्रेस व भाजपा दोनों ही दलों के उम्मीदवारों के खर्च में इजाफा हुआ है। भाजपा प्रत्याशियों के खर्च में जहां पौने तीन फीसद की बढ़ोतरी हुई, वहीं कांग्रेस उम्मीदवारों के खर्च में सवा प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। राज्य के 182 विधायकों की खर्च राशि का हिसाब लगाया जाए तो एक-एक विधायक ने औसत 16 लाख 45 हजार रुपए खर्च किए हैं जो कि तय खर्च सीमा का 59 फीसद है। तय सीमा से अधिक खर्च कर फंसे भाजपा के दो विधायक हैं-हिम्मतनगर से राजेंद्र सिंह चावड़ा और संतरामपुर विधायक मनसुख डिंडोर हैं।
इसमें चावड़ा ने करीब 34 लाख रुपए खर्च किए हैं। वहीं, विधायक मनसुख डिंडोर ने 29 लाख खर्च कर दिए जो चुनाव आयोग की तय सीमा से अधिक है। विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 182 में से 99 सीट जीतकर सरकार बनाई है जो जीत से मात्र पांच विधायक ही अधिक हैं। वडगाम से कांग्रेस के समर्थन से चुनाव लड़ने वाले जिग्नेश मेवाणी पांच लाख 21 हजार रुपए खर्च कर विधायक बने। इसके अलावा निर्दलीय विधायक रतनसिंह राठौर 3 लाख तथा बेचराजी से कांग्रेस विधायक चंदन ठाकोर ने महज 3 लाख 81 हजार रुपए ही खर्च किए हैं। 46 विधायक ऐसे हैं जिन्होंने किसी भी राजनीतिक दल से कोई आर्थिक मदद या चंदा नहीं लिया जबकि 182 में से 116 विधायकों ने किसी व्यक्ति से कोई चंदा नहीं लिया। वरिष्ठ मंत्री भूपेंद्रसिंह चूडास्मा, रमणलाल पाटकर व वासण आहीर ही ऐसे नेता हैं जिन्होंने चुनाव खर्च सीमा की 80 फीसद से अधिक रकम चुनाव में खर्च की।