Rajya Sabha Election 2020: टीएमसी ने अर्पिता, मौसम, दिनेश व सुब्रत को बनाया उम्मीदवार
TMC. टीएमसी ने राज्यसभा चुनाव के लिए अर्पिता घोष मौसम बेनजीर नूर दिनेश त्रिवेदी और सुब्रत बख्शी को उम्मीदवार बनाया है।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। TMC. बंगाल से राज्यसभा चुनाव के लिए तृणमूल कांग्रेस ने अपने चार उम्मीदवारों के नामों की घोषणा रविवार को कर दी। पार्टी ने पूर्व रेलमंत्री दिनेश त्रिवेदी, सुब्रत बख्शी, अर्पिता घोष व मौसम बेनजीर नूर को उम्मीदवार बनाया है। मुख्यमंत्री व पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने खुद ट्वीट करके उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन नामों की घोषणा करते हुए कहा कि मुझे इस बात का गर्व है कि महिला सशक्तीकरण के उनके निरंतर प्रयासों के तहत नामित किए गए लोगों में 50 फीसद महिलाएं हैं। ममता ने इस निर्णय को नारी सशक्तीकरण का प्रतीक करार दिया। इधर, विधानसभा में संख्या बल के हिसाब से इन चारों उम्मीदवारों की जीत निश्चित है।
उल्लेखनीय है कि बंगाल से राज्यसभा की पांच सीटों के लिए 26 मार्च को चुनाव होना है। चार सीटों पर तृणमूल की जीत तय है जबकि पांचवीं सीट पर माकपा-कांग्रेस व तृणमूल के बीच लड़ाई की उम्मीद है। खाली हो रही पांच सीटों में से चार सीटों पर फिलहाल तृणमूल के जोगेन चौधरी, मनीष गुप्ता, अहमद हसन इमरान और केडी सिंह सांसद हैं। वहीं, पांचवीं सीट पर 2014 में माकपा से ऋतुव्रत बनर्जी निर्वाचित हुए थे लेकिन 2017 में उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया था। इन सभी सदस्यों की अवधि 2 अप्रैल 2020 को समाप्त हो रहा है।
बंगाल में पांच राज्यसभा सीटों के लिए शुक्रवार को ही अधिसूचना जारी होने के साथ नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई है। हालांकि पहले दिन कोई नामांकन नहीं हुआ। इधर, तृणमूल ने जिन चार उम्मीदवारों को टिकट दिया है उनमें से तीन दिनेश त्रिवेदी, अर्पिता घोष व मौसम बेनजीर नूर इस बार लोकसभा का चुनाव हार गई थी।
पांचवीं सीट को लेकर है लड़ाई
पांच राज्यसभा सीटों में से चार सीटों पर तृणमूल की जीत निश्चित है, लेकिन पांचवीं सीट के लिए तृणमूल के पास विधायकों की संख्या पर्याप्त नहीं है। परंतु, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की नजर पांचवीं सीट पर भी है। इसीलिए तृणमूल पांचवीं सीट पर भी उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है। जिसके लिए उसे छह-सात वोटों की जरूरत है। ऐसे में तृणमूल की ओर से आवश्यक वोट जुटाने का जोड़-तोड़ शुरू हो गया है। हालांकि अभी पांचवीं सीट के लिए उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं की गई है लेकिन होली के बाद इसपर निर्णय की संभावना है।
सूत्रों के अनुसार, पार्टी नेतृत्व ने पांच नामांकन पत्र लेने का निर्देश दिया है। ऐसे में यह साफ है कि पार्टी पांचवीं सीट पर भी तृणमूल प्रत्याशी उतारेगी। दूसरी ओर, पांचवीं सीट पर माकपा व कांग्रेस संयुक्त प्रत्याशी उतारने की तैयारी में है और माकपा महासचिव सीताराम येचुरी का नाम लगभग फाइनल हो चुका है। अगर तृणमूल उम्मीदवार नहीं उतारती है तो पांचों सीटों पर निर्विरोध घोषित की जाएगी। लेकिन तृणमूल के रूख को देखकर साफ लग रहा है कि पांचवीं सीट पर भी उसकी नजर है।
राज्यसभा चुनाव के लिए बंगाल से तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने अपने चार उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की है। पार्टी ने दिनेश त्रिवेदी, सुब्रत बख्शी, अर्पिता घोष व मौसम बेनजीर नूर को उम्मीदवार बनाया है। संख्या बल के हिसाब से इन चारों उम्मीदवारों की जीत निश्चित है। तृणमूल ने जिन नेताओं को राज्यसभा के लिए टिकट दिया है, आइए जानते हैं उनके बारे में :
जानें कौन हैं दिनेश त्रिवेदी
पूर्व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी तृणमूल के संस्थापक सदस्यों में एक हैं। उन्होंने 1980 में कांग्रेस से अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी। 1990 में वे जनता दल में चले गए। फिर 1998 में ममता द्वारा तृणमूल कांग्रेस की स्थापना के समय उनके साथ जुड़ गए और पार्टी के पहले महासचिव बने। 69 वर्षीय त्रिवेदी जुलाई 2011 से मार्च 2012 तक मनमोहन सिंह सरकार में रेल मंत्री रहे। तृणमूल के वरिष्ठ नेता त्रिवेदी कोलकाता से सटे बैरकपुर लोकसभा सीट से दो बार लोकसभा सांसद (2009-14 व 2014-19) रहे हैं। हालांकि इस बार करीब 14 हजार वोटों के अंतर से उन्हें भाजपा उम्मीदवार अर्जुन सिंह के हाथों हार का मुंह देखना पड़ा। वे दो बार राज्यसभा सदस्य (1990-96 और 2002-2008) भी रह चुके हैं। उन्हें 2016-17 में सर्वश्रेष्ठ सांसद का भी अवार्ड मिल चुका है। त्रिवेदी ने कोलकाता के सेंट जेवियर्स कॉलेज से वाणिज्य में स्नातक किया है। इससे पहले उन्होंने हिमाचल के बोर्डिग स्कूलों में शिक्षा पाई।
स्नातक के बाद उन्होंने 20 हजार रुपये कर्ज लिए और टेक्सास विश्र्वविद्यालय से एमबीए की पढ़ाई की। 1974 में एमबीए करने के बाद भारत लौटने से पहले उन्होंने दो सालों तक शिकागो में डेटेक्स कंपनी में काम किया। भारतीय वायुसेना के विमानों को उड़ाने की इच्छा लेकर उन्होंने पायलट की भी ट्रेनिंग ली। उन्होंने सितार बजाने की भी शिक्षा ली। एक समय स्वामी विवेकानंद की तस्वीर देखकर उन्होंने संन्यासी बनने का फैसला कर लिया, लेकिन परिवार और शिकागो में एक स्वामी की सलाह के बाद उन्होंने यह विचार छोड़ दिया। दिनेश गुजराती दंपत्ति हीरालाल और उर्मिला की सबसे छोटा संतान हैं, जो भारत विभाजन के समय कराची, पाकिस्तान से आए थे। दिल्ली आने से पहले उनके माता-पिता कई जगहों पर भटकते रहे। उनके पिता कोलकाता की एक कंपनी में काम करते थे।
सुब्रत बख्शी
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सबसे भरोसेमंद नेताओं में शामिल सुब्रत बख्शी तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव व राज्य अध्यक्ष हैं। 69 वर्षीय बख्शी 2011 में तृणमूल की पहली बार सरकार बनने पर बंगाल के पीडब्ल्यूडी व परिवहन मंत्री भी रह चुके हैं। हालांकि करीब सात महीने ही वे मंत्री रहे।
इसके बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा दक्षिण कोलकाता लोकसभा सीट से इस्तीफे के बाद दिसंबर 2011 में हुए उपचुनाव में बख्शी 2.30 लाख वोटों से जीत दर्ज कर पहली बार लोकसभा पहुंचे। फिर 2014 के लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने इस सीट से जीत दर्ज की। हालांकि 2019 का चुनाव उन्होंने खुद ही लड़ने से मना किया था। इसके बाद उनकी जगह पार्टी ने इस सीट से माला राय को टिकट दिया। बख्शी ज्यादातर पार्टी संगठन का काम देखते हैं। वह तीन बार विधायक भी रह चुके हैं।
अर्पिता घोष
एक प्रसिद्ध थिएटर आर्टिस्ट अर्पिता घोष ने 2014 में राजनीति में कदम रखा। तृणमूल कांग्रेस ने दक्षिण दिनाजपुर जिले के बालुरघाट सीट से 2014 में उन्हें टिकट दिया और शानदार जीत दर्ज कर वह पहली बार लोकसभा पहुंची। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में अर्पिता को भाजपा उम्मीदवार के हाथों हार का मुंह देखना पड़ा।
53 वर्षीय अर्पिता मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की बेहद करीबी मानी जाती है। फिलहाल वह दक्षिण दिनाजपुर में पार्टी की जिलाध्यक्ष भी हैं। उन्होंने कोलकाता के स्कॉटिश चर्च कॉलेज से बीएससी की डिग्री हासिल की है। अर्पिता ने 31 साल की आयु में थिएटर आर्टिस्ट के तौर पर करियर शुरू किया था। उन्होंने कई फिल्मों में भी काम किया है। उनके द्वारा निर्देशित कई नाटक को काफी प्रसिद्धि मिल चुकी है।
मौसम बेनजीर नूर
कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे दिवंगत एबीए गनी खान चौधरी की भतीजी मौसम बेनजीर नूर पिछले साल लोकसभा चुनाव से ठीक पहले जनवरी 2019 में कांग्रेस छोड़कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुई थी। कांग्रेस से दो बार लोकसभा सांसद रह चुकीं नूर ने 2019 में तृणमूल के टिकट पर मालदा उत्तर सीट से चुनाव लड़ी थीं लेकिन उन्हें भाजपा उम्मीदवार के हाथों हार का मुंह देखना पड़ा था।
इससे पहले इसी सीट से वह 2009 व 2014 में जीतकर लोकसभा पहुंची थी। 40 वर्षीय मौसम नूर को राजनीति विरासत में मिलीं हैं। वह पेशे से वकील भी हैं और सुप्रीम कोर्ट में वकालत करती हैं। उन्होंने कलकत्ता के ला मार्टिनियर स्कूल से पढ़ाई की है। वहीं, कलकत्ता विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की है। तृणमूल में शामिल होने के बाद पार्टी ने उन्हें महासचिव का दायित्व भी दिया था। नूर के चाचा अबू हासेम खान चौधरी मालदा दक्षिण से कांग्रेस के सांसद हैं।