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मुहर्रम और गणेश चतुर्थी पर नहीं होगा कोई आयोजन, दोनों ही पर्व घर में ही मनाए जाएंगे

डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने शिया वक्फ बोर्ड के फैसले का हवाला देते हुए मुहर्रम पर सार्वजनिक स्थल पर ताजिया नहीं रखने और जुलूस नहीं निकालने का निर्देश दिया है।

By Ajit KumarEdited By: Published: Fri, 21 Aug 2020 03:14 PM (IST)Updated: Fri, 21 Aug 2020 03:14 PM (IST)
मुहर्रम और गणेश चतुर्थी पर नहीं होगा कोई आयोजन, दोनों ही पर्व घर में ही मनाए जाएंगे
मुहर्रम और गणेश चतुर्थी पर नहीं होगा कोई आयोजन, दोनों ही पर्व घर में ही मनाए जाएंगे

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। जिले में इसबार मुहर्रम और गणेश चतुर्थी समेत पर्व त्योहारों पर कोई भी धार्मिक आयोजन नहीं होगा। सभी पर्व घर में ही मनाए जाएंगे। यह फैसला कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के मद्देनजर सार्वजनिक स्थल पर लोगों की भीड़ के मद्देनजर और गृह विभाग के निर्देश के आलोक में जिला प्रशासन द्वारा लिया गया है। डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने शिया वक्फ बोर्ड के फैसले का हवाला देते हुए तत्काल प्रभाव से मुहर्रम पर सार्वजनिक स्थल पर ताजिया नहीं रखने और जुलूस नहीं निकालने का निर्देश दिया है। डीएम ने लोगों से शांति और सदभाव बरकरार रखते ही निर्देशों का पालन करने की अपील की है। वहीं सभी एसडीओ व एसडीपीओ को आदेश का अनुपालन कराने का निर्देश दिया है।

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मुर्हरम का चांद नजर आते गम में डूबा शिया समुदाय, नहीं होंगी सामूहिक मजलिस

लॉकडाउन में प्रशासन के आदेश का होगा पालन, घरों पर होंगी मजलिस और मातम

जासं, मुजफ्फरपुर : मुहर्रम का चांद गुरुवार को नजर आते ही शिया समुदाय गम में डूब गए। गम का यह सिलसिला दो माह आठ दिनों तक चलेगा। चांद नजर आते ही मजलिसें शुरू हो गईं। हालांकि इस बार लॉकडाउन से इमामबाड़ों में आयोजित होने वाली मजलिसों में लोगों की भीड़ नहीं रहेगी। लॉकडाउन का पालन करते हुए चार से छह लोगों से ही मजलिसें होंगी। लोग अपने घरों पर ही मजलिस व मातम कर इमाम हुसैन की शहादत को याद करेंगे। शिया वक्फ बोर्ड ने भी इस संबंध में गाइडलाइन जारी कर सामूहिक आयोजनों से बचने की अपील की है। इधर, मौलाना सैयद काजिम शबीब ने कहा कि कोराना संक्रमण से बचाव को सरकार द्वारा किए गए लॉकडाउन का पालन किया जाएगा। इमामबाड़े की मजलिस में चंद लोग ही शामिल होंगे। इस दौरान शारीरिक दूरी का पालन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मातम जुलूस को लेकर प्रशासन का जो निर्देश होगा उसका पालन होगा। मजहब-ए- इस्लाम इंसानियत की हिफाजत का सबक देता है। करबला के मैदान में इमाम हुसैन ने अपनी शहादत देकर इंसानियत की हिफाजत का पैगाम दिया। जुल्म व बुराई का विरोध करना सिखाया। इमाम हुसैन को मानने वाले इंसानियत की हिफाजत का जज्बा रखते हैं।  


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