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योगी सरकार ने खनन सिंडिकेट तोड़ने व बालू-मौरंग के दामों पर नियंत्रण के लिए बदले कई नियम

योगी कैबिनेट द्वारा मंजूर किए गए प्रस्ताव के मुताबिक अब तय समय में खनन योजना पेश न करने व पर्यावरण अनापत्ति के लिए आवेदन न करने वालों पर 10 हजार रुपये प्रतिदिन जुर्माना लगेगा।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 06 Aug 2019 09:02 PM (IST)Updated: Wed, 07 Aug 2019 07:43 AM (IST)
योगी सरकार ने खनन सिंडिकेट तोड़ने व बालू-मौरंग के दामों पर नियंत्रण के लिए बदले कई नियम
योगी सरकार ने खनन सिंडिकेट तोड़ने व बालू-मौरंग के दामों पर नियंत्रण के लिए बदले कई नियम

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। योगी सरकार ने खनन सिंडिकेट तोड़ने और बालू-मौरंग के दामों पर नियंत्रण के लिए उत्तर प्रदेश उप खनिज परिहार नियमावली में संशोधन किया है। खनन पट्टा आवंटित होने के बाद अब उसे लटकाया नहीं जा सकेगा। इसमें खनन कार्य शुरू करने की समय सीमा निर्धारित कर दी है। लेटर ऑफ इंटेंट जारी होने के एक माह के अंदर खनन योजना पेश करनी होगी। खनन योजना अनुमोदन के एक माह के अंदर पर्यावरणीय अनापत्ति के लिए आवेदन करना होगा। अनापत्ति मिलने के एक माह के भीतर पट्टाधारकों को खनन कार्य शुरू करना होगा।

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योगी कैबिनेट द्वारा मंजूर किए गए प्रस्ताव के मुताबिक अब तय समय में खनन योजना पेश न करने व पर्यावरण अनापत्ति के लिए आवेदन न करने वालों पर 10 हजार रुपये प्रतिदिन जुर्माना लगेगा। पर्यावरणीय अनापत्ति मिलने की तिथि से एक माह के भीतर खनन पट्टा विलेख की औपचारिकता पूरी करनी होगी। ऐसा न करने वालों की पहली किस्त व सिक्योरिटी मनी जब्त कर ली जाएगी।

खास बात यह है कि यदि प्रस्तावक तय समय में पर्यावरण की अनापत्ति के लिए आवेदन नहीं करते हैं तो जिलाधिकारी उसके पक्ष में जारी लेटर ऑफ इंटेंट निरस्त कर सकते हैं। ई-टेंडर व ई-नीलामी में हिस्सा लेने के लिए हैसियत प्रमाण व बैंक गारंटी देनी होगी। यह बोली की धनराशि के 25 प्रतिशत कीमत से कम नहीं होनी चाहिए। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि खनिज बकाये के दोषियों से रकम वसूली जा सके।

अब अधिकतम दो पट्टे हो सकेंगे आवंटित

अभी तक बालू व मौरंग के अधिकतम पांच खनन पट्टे या 400 हेक्टेयर किसी एक व्यक्ति को देने के प्रावधान थे। सरकार ने इसे खत्म कर अधिकतम दो पट्टे या 50 हेक्टेयर क्षेत्र तय कर दिया है। एक व्यक्ति को इससे अधिक के पट्टे नहीं मिलेंगे। साथ ही खनन पट्टा स्वीकृत किए जाने के लिए सीमाओं का निर्धारण जियो टैगिंग से पहले ही कर लिया जाएगा। खनन क्षेत्रों की घोषणा टेंडर जारी करते समय की जाएगी। इससे खनन में सीमांकन विवाद नहीं होगा।

निजी भूमि में खनन को मंजूरी

प्रदेश सरकार ने निजी भूमि पर खनन की मंजूरी दे दी है। एक हेक्टेयर से अधिक गैर कृषि भूमि में खनन ई-टेंडर या ई-नीलामी के माध्यम से स्वीकृत किए जाएंगे। इसमें सबसे पहला अधिकार भूस्वामी का होगा। भूस्वामी के इनकार करने पर सबसे अधिक रेट पर खनन पट्टा स्वीकृत किया जाएगा। इसमें भूस्वामी को पट्टाधारक, प्रदेश सरकार द्वारा तय धनराशि देंगे।

बाढ़ से एकत्र बजरी-बोल्डर हटाने की अनुमति

कृषि भूमि पर बाढ़ से एकत्र होने वाली बालू व मौरंग के साथ ही बजरी व बोल्डर को भी हटाने की अनुमति मिल गई है। इसके लिए शर्त यह है कि उस खेत में पिछले पांच साल से कृषि कार्य होता रहा हो। इसमें रायल्टी का दोगुना लिए जाने का प्रावधान है।

नियमावली में खास

  • खनन पट्टों की रायल्टी त्रैमासिक जमा करने के बजाय हर महीने जमा होगी
  • मानसून सत्र जुलाई, अगस्त व सितंबर में रायल्टी जमा नहीं करनी होगी
  • शर्तों के साथ आवंटित खनन पट्टा वापसी का प्रावधान
  • उपखनिजों की ओवरलोडिंग पर 25 हजार रुपये का दंड
  • उपखनिजों के परिवहन परमिट (एमएम-11) में अब इनका मूल्य भी लिखा जाएगा
  • डिफाल्टर पट्टाधारकों को जिलाधिकारी काली सूची में डाल सकेंगे 

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