मप्र में संतों को राज्यमंत्री का दर्जा, विपक्ष ने मांगा पीएम से जवाब
पांच धार्मिक संतों को राज्यमंत्री का दर्जा देने के मप्र की शिवराजसिंह चौहान सरकार के फैसले पर दिल्ली तक राजनीति गर्मा गई है।
नई दिल्ली (एजेंसी)। पांच धार्मिक संतों को राज्यमंत्री का दर्जा देने के मप्र की शिवराजसिंह चौहान सरकार के फैसले पर दिल्ली तक राजनीति गर्मा गई है। विपक्षी दलों ने सरकार के इस कदम को असंवैधानिक करार दिया और आरोप लगाया कि आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा धार्मिक आधार पर तुष्टीकरण कर रही है।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता राज बब्बर ने कहा कि यह कदम शिवराज सिंह की कमजोरी बताता है कि उन्हें विधानसभा चुनाव जीतने के लिए धार्मिक नेताओं पर निर्भर रहना प़़डेगा। शिवराज सोच रहे हैं कि वह इससे चुनाव जीत जाएंगे जो अब असंभव है।
वाम दलों ने प्रधानमंत्री से मांग की कि वह राज्य सरकार के असंवैधानिक कदम पर स्पष्टीकरण दें। आप ने आरोप लगाया कि यह कदम संतों को मप्र सरकार का पर्दाफाश करने से रोकने के लिए उठाया गया है।
भाकपा नेता डी. राजा ने कहा कि धर्म और राजनीति को मिलाना असंवैधानिक है। मप्र सरकार न केवल लोगों बल्कि धर्म का भी ध्रुवीकरण कर रही है। वह चुनावी फायदे के लिए ऐसा कर रही है। माकपा ने कहा कि यह कदम भाजपा--संघ का सांप्रदायिक एजेंडा के तहत उठाया गया है। माकपा नेता बृंदा करात ने कहा कि यह पूरी तरह अस्वीकार्य है। दूसरी ओर शिवराज सरकार के फैसले का समर्थन करते हुए केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा कि जिन धार्मिक नेताओं को राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया है वे संत हैं, अपराधी नहीं। वे सामाजिक कार्यकर्ता हैं। इस फैसले के लिए वह शिवराज सरकार को बधाई देती हैं।