Ayodhya Ram Mandir Verdict 2019 : सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा...
गजब संयोग नौ नंवबर 1877 को हुआ था गीत के रचयिता कवि मोहम्मद इकबाल का जन्म और नौ नवंबर को ही आया ऐतिहासिक फैसला।
अयोध्या [प्रहलाद तिवारी]। सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा, हम बुलबुले हैं इसकी, ये गुलिस्तां हमारा। ये पक्तियां शनिवार को आए मंदिर-मस्जिद विवाद के सबसे बड़े फैसले को शांतिपूर्ण तरीके से दोनों समुदायों ने शिरोधार्य कर सार्थक कर दिया। यह अजीब संयोग रहा कि नौ नवंबर को देश का सबसे बड़ा फैसला आया और इस गीत के रचयिता कवि मोहम्मद इकबाल का जन्म भी 1877 में नौ नवंबर को हुआ था। यह तारीख भी ऐतिहासिक हो गई।
जिस गुलिस्तां की कल्पना इकबाल ने की, उसे रामनगरी के वाशिंदों ने फैसले का इस्तकबाल कर सही साबित कर दिखाया। सद्भाव की अंतिम परीक्षा को रामनगरी ने प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण कर नया कीर्तिमान रचा है। फैसले से पहले 14 कोसी व पंच कोसी परिक्रमा में भी सौहार्द का रंग गाढ़ा हुआ था। शुक्रवार की शाम जैसे ही यह पता चला कि शनिवार को फैसला आएगा तो लोग आशंकित जरूर हुए पर वहीं रुदौली कस्बे में रात के ढाई बजे तक डॉ. निहाल रजा की अगुवाई में दोनों संप्रदायों के लोग घर-घर सद्भाव की अलख जगाते रहे। उसका परिणाम सबके सामने आया।
लाला रामकुमार इंटर कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य रामनरेश तिवारी बताते हैं कि संत कवि जगजीवन दास का संदेश अलह अलख एकै अहैं, दूजा नाही कोय व हाजी वारिस अली शाह की वाणी जो रब है वही राम है को लोगों ने सच साबित कर दिया।