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सपा को भारी पड़ेगी उपचुनाव की परीक्षा, गठबंधन टूटने के बाद मुस्लिम वोटों को रोकना चुनौती

बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन टूटने के बाद 11 विधानसभा सीटों पर होने वाली उप चुनाव की परीक्षा समाजवादी पार्टी को भी भारी पड़ेगी।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Wed, 05 Jun 2019 12:37 PM (IST)Updated: Wed, 05 Jun 2019 12:37 PM (IST)
सपा को भारी पड़ेगी उपचुनाव की परीक्षा, गठबंधन टूटने के बाद मुस्लिम वोटों को रोकना चुनौती
सपा को भारी पड़ेगी उपचुनाव की परीक्षा, गठबंधन टूटने के बाद मुस्लिम वोटों को रोकना चुनौती

लखनऊ, जेएनएन। बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन टूटने के बाद 11 विधानसभा सीटों पर होने वाली उप चुनाव की परीक्षा समाजवादी पार्टी को भी भारी पड़ेगी। केवल रामपुर सीट को छोड़ दें तो अन्य दस विधानसभा क्षेत्रों में 2017 के चुनाव में सपा की हालात पतली रही, जबकि उसका कांग्रेस से गठबंधन था। सपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती मुस्लिम वोटों का धुव्रीकरण अपने पक्ष में करना है।

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भाजपा उक्त 11 सीटों में से नौ पर काबिज है जबकि सपा व बसपा के पास एक-एक सीट थी। ऐसे में भाजपा के सामने पुराने प्रदर्शन का दोहराने की चुनौती है तो गठबंधन बिखरने के बाद सपा-बसपा की भी अपनी सीटें कायम रखनी की परीक्षा होगी। बसपा पहली बार उपचुनाव में उतरेगी और लोकसभा चुनाव में साथ रही सपा सामने खड़ी होगी। ऐसे में सपा के लिए अपनी ताकत दिखाने का मौका है। इससे पूर्व गोरखपुर, फूलपुर संसदीय क्षेत्रों और बिजनौर की नूरपुर सीट पर सपा को सफलता मिली थी परंतु तब बसपा व रालोद जैसे दल भी समर्थन में थे।

रामपुर से उम्मीद ज्यादा

सपा को रामपुर विधानसभा सीट से उम्मीद रहेगी क्योंकि आजम खां के इस्तीफे से रिक्त हुई इस सीट पर 2017 के चुनाव में भी सपा को 1,02,100 वोट मिले थे, जबकि अन्य सीटों पर प्रदर्शन हल्का ही रहा। कांग्रेस से गठबंधन में लखनऊ कैंट सीट पर यादव परिवार की बहू अर्पणा यादव 61,606 वोट ही बटोर पायी थीं। टूंडला, गंगोह, जैदपुर व जलालपुर में भी सपा का प्रदर्शन संतोषजनक रहा था परंतु जैदपुर व बल्हा में हालात पतली रही।

...तो बसपा 10 सीट न जीत पाती : रामगोपाल

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव ने बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती के बयान पर पलटवार करते हुए कहा है कि यादव वोट ट्रांसफर नहीं होते तो बसपा दस सीटें नही जीत पाती। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी बसपा से बड़ी व पुरानी पार्टी है। कभी कोई जाति पूरी तरह किसी दल के साथ नहीं होती है। अगर बहुजन समाज पार्टी अकेले उप चुनाव लड़ेगी तो समाजवादी पार्टी भी अकेले लडऩे के लिएतैयार है।

उधर मुलायम सिंह की छोटी बहू अपर्णा यादव ने भी ट्वीट कर नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि शास्त्रों में ठीक ही कहा गया है कि जो सम्मान पचाना नहीं जानता वो अपमान भी नहीं पचा सकता।

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