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CAG Report : अखिलेश सरकार ने अपात्र लाभार्थी किसानों के भी माफ कर दिये थे कर्ज

उप्र सरकार के आर्थिक व राजस्व क्षेत्र के बारे में भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक की रिपोर्ट शुक्रवार को विधानमंडल के दोनों सदनों में पेश की गई।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 19 Jul 2019 07:57 PM (IST)Updated: Sat, 20 Jul 2019 07:32 AM (IST)
CAG Report : अखिलेश सरकार ने अपात्र लाभार्थी किसानों के भी माफ कर दिये थे कर्ज
CAG Report : अखिलेश सरकार ने अपात्र लाभार्थी किसानों के भी माफ कर दिये थे कर्ज

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। छोटे व सीमांत किसानों के कर्ज माफ करने के लिए अखिलेश सरकार की ओर से चलायी गई योजना के तहत 79.67 करोड़ रुपये का लाभ 16,184 अपात्र लाभार्थियों को भी मिला। योजना की कट ऑफ डेट बदलने के कारण सरकार को 138 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ा। यह तथ्य उजागर हुए हैं उप्र सरकार के आर्थिक व राजस्व क्षेत्र के बारे में भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक की उस रिपोर्ट में जो शुक्रवार को विधानमंडल के दोनों सदनों में पेश की गई।

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रिपोर्ट बताती है कि कर्जमाफी योजना घाटे में चल रहे उप्र सहकारी ग्रामीण विकास बैंक (यूपीएसजीवीबी) की आर्थिक सेहत सुधारने में अहम भूमिका निभायी। योजना के क्रियान्वयन की अवधि के दौरान बैंक के अध्यक्ष तत्कालीन सहकारिता मंत्री शिवपाल सिंह यादव थे।

अखिलेश सरकार ने 50 हजार रुपये तक का कर्ज लेने वाले ऐसे छोटे व सीमांत किसानों के लिए वर्ष 2012 में ऋण माफी योजना लागू की थी, जिन्होंने मूलधन का कम से कम 10 प्रतिशत चुका दिया हो। योजना पर 2012-16 के दौरान 1784 करोड़ रुपये खर्च हुए और 7.58 लाख छोटे व सीमांत किसान लाभान्वित हुए।

प्रदेश के 75 में से 17 जिलों के नमूना लेखा परीक्षा में पाया गया कि योजना का लाभ पाने वाले तीन से 18 प्रतिशत तक किसान (कुल 16184) अपात्र थे क्योंकि उन्होंने मूलधन का न्यूनतम 10 प्रतिशत तक भी जमा नहीं किया था। इन अपात्र लाभार्थियों को 79.67 करोड़ रुपये का लाभ मिला।

22 नवंबर 2012 को कैबिनेट से मंजूर हुई यह योजना 31 मार्च 2012 तक बकाया मूलधन और ब्याज को माफ करने के लिए बनायी गई थी। बैंक के अनुरोध पर अप्रैल 2013 में सहकारिता विभाग ने कट ऑफ तिथि बदलकर ब्याज में माफी की तारीख को सरकार द्वारा बैंक को धनराशि उपलब्ध कराने की तारीख तक कर दिया। इससे सरकार पर 138 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ा। योजना का फायदा सिर्फ यूपीएसजीबीवी से कर्ज लेने वाले किसानों को मिला, अन्य बैंकों से ऋण लेने वालों को नहीं।

औचित्य पर सवाल

सीएजी रिपोर्ट में इस योजना के औचित्य पर सवाल उठाये गए हैैं क्योंकि सरकार ने यह स्कीम तब लागू की जब राजस्व विभाग ने दिसंबर 2007 में शासनादेश जारी कर उन छोटे व सीमांत किसानों के खिलाफ जमीन की नीलामी के जरिये राजस्व वसूली पर रोक लगा दी थी जिनके पास 3.125 एकड़ तक भूमि हो, भले ही उन्होंने एक लाख रुपये या अधिक ऋण लिया हो।


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