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तेज प्रताप यादव ने मथुरा में अन्नकूट का प्रसाद ग्रहण कर की गोवर्धन पूजा

बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और लालू प्रसाद यादव के पुत्र तेज प्रताप यादव ने सोमवार को रमेश बाबा की राधारानी ब्रज यात्रा में शामिल होकर अन्नकूट का प्रसाद ग्रहण किया।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 29 Oct 2019 09:53 AM (IST)Updated: Tue, 29 Oct 2019 09:59 AM (IST)
तेज प्रताप यादव ने मथुरा में अन्नकूट का प्रसाद ग्रहण कर की गोवर्धन पूजा
तेज प्रताप यादव ने मथुरा में अन्नकूट का प्रसाद ग्रहण कर की गोवर्धन पूजा

मथुरा, जेएनएन। बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और लालू प्रसाद यादव के पुत्र तेज प्रताप यादव ने सोमवार को रमेश बाबा की राधारानी ब्रज यात्रा में शामिल होकर अन्नकूट का प्रसाद ग्रहण किया। शाम को यमुना किनारे गोवर्धन पूजा में भाग लिया।

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दो दिन से मथुरा में रुके तेज प्रताप यादव अपने ब्रज सखा लक्ष्मण प्रसाद शर्मा और अन्य साथियों के साथ सुबह बरसाना से सीधे वृंदावन पहुंच गए। वहां यमुना किनारे राधारानी ब्रज यात्रा पड़ाव स्थल पर पहुंच कर श्रीजी शर्मा से ब्रज चौरासी कोस यात्रा का महत्व सुना। वहां होने वाले धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लिया। दोपहर में अन्नकूट महोत्सव के बाद यात्रा में श्रद्धालुओं के साथ ही बैठकर प्रसाद ग्रहण किया और शाम को आयोजित गोवर्धन पूजा में शामिल होकर गोवर्धन पूजा की।  

गोवर्धन तलहटी में गिरिराजजी की पूजा कर समर्पित किया गया अन्नकूट

सोमवार को पर्वतराज गोवर्धन के आंगन में अद्वितीय सौंदर्य, अद्भुत दिव्यता और अकल्पनीय श्रद्धा का प्रवाह हुआ। सुबह से शाम तक गिरिराजजी शिला पर दूध का अभिषेक होता रहा। शाम को अन्नकूट प्रसाद प्रभु को समर्पित किया गया। श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। सोमवार को ये शुभ अवसर गोवर्धन पूजा पर था। गिरिराज मुकुट मुखारविंद मंदिर मानसी गंगा दसविसा की ओर से आयोजित गोवर्धन पूजा महोत्सव में निकाली गई शोभायात्रा में भक्ति की धारा प्रवाहित हुई। कृष्ण व बलराम के स्वरूपों के साथ मानसी गंगा की परिक्रमा करते हुए अन्नकूट छप्पन भोग अर्पित किए गए। प्रमुख मंदिरों के सेवायतों ने परिजनों संग प्रभु को अन्नकूट का भोग अर्पित किया। परिक्रमा मार्ग गिरिराज जी के जयकारों से गूंजता रहा।

इसलिए होती है गोवर्धन पूजा

धार्मिक मान्यता के अनुसार, करीब पांच हजार वर्ष पूर्व कान्हा ने इंद्र की पूजा छुड़वाकर गिरिराज जी की पूजा कराई। आक्रोशित इंद्र ने मेघ मालाओं को ब्रज भूमि को बहाने का आदेश सुना दिया। ब्रजवासियों की करुण पुकार सुन सात बरस के कन्हैया ने सात दिन सात रात तक सात कोस गिरिराज को अपने बाएं हाथ की कनिष्ठ उंगली पर धारण कर ब्रजवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाया। इसके बाद गिरिराज की पूजा हुई। अन्नकूट का प्रसाद अर्पित किया गया। तभी से गोवर्धन पूजा की परंपरा चली आ रही है।


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