महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर UP विधानमंडल का विशेष सत्र : सब्र, समन्वय और सियासी सूझबूझ के 36 घंटे
यूपी विधानमंडल के इतिहास में पहली बार इतना लंबा सत्र। विपक्षी दलों के यू-टर्न के बाद इतने लंबे वक्त तक कार्यवाही सुचारु रखने की भी चुनौती थी।
लखनऊ, जेएनएन। सुबह से कुर्सियों पर जमे विधायक-मंत्री। आधी रात गुजर चुकी हो तो थकान और झपकी तो लाजिमी है। मगर, बार-बार कुछ देर में सदन तरोताजा हो जाता है। कभी ठहाके गूंजने लगते हैं तो कभी तालियां। बेशक, माहौल में कितनी ही उबासी हो लेकिन, पाकिस्तान और इमरान खान पर चुटीले वार हों तो कैसे न इस जमात में ऊर्जा भरती। सतत विकास के 16 बिंदुओं पर चर्चा के बीच मोदी-योगी के गुणगान के साथ गुजरे सब्र, समन्वय और सियासी सूझबूझ के 36 घंटे।
विधानमंडल के इतिहास में पहली बार इतना लंबा सत्र। विपक्षी दलों के यू-टर्न के बाद इतने लंबे वक्त तक कार्यवाही सुचारु रखने की भी चुनौती थी। चूंकि सभी मंत्री और विधायकों को विषय पहले ही दे दिए थे, इसलिए बुधवार सुबह 11 से देर शाम तक तो सदन पूरी ऊर्जा से चला। फिर रात काटने की चुनौती नजर आने लगी। वक्ताओं को बोलने के लिए भरपूर समय दिया गया। इसका लाभ सदस्यों ने उठाया भी। जैसे गाजीपुर सदर सीट से विधायक डॉ. संगीता बलवंत ने अपने विषय के साथ माहौल को मुशायरे वाली भावना से जोड़ दिया। स्वरचित पंक्तियां सुनाईं-
'तेरे ईमान से मेरा ईमान अच्छा है, तेरे इमरान से मेरे गांव का प्रधान अच्छा है।
जो लोग नफरत फैलाते हैं इधर-उधर,
चांद पर जाकर देख मोदी का हिंदुस्तान अच्छा है।' ...और गूंज उठी हर तरफ से तालियां। चूंकि विपक्ष गैर हाजिर था, इसलिए भावना 'अपनों' के बीच वाली भी थी। तभी तो पहली बार लखीमपुर के श्रीनगर से विधायक बनीं मंजू त्यागी खुलकर कह सकीं कि पहली बार बोलने का मौका मिला है, कुछ गलती हो जाए तो माफ कीजिए। फिर बोलीं भी उसी अंदाज में। जैसे- योगी जी गन्ना बाजार ग्रुप वाले बात नहीं सुनते। आपको डंडा चलाना पड़ेगा।
आधी रात होते-होते सदन में लगभग सौ सदस्य बैठे थे और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी डटे थे। मगर, एक बजे के बाद जैसे ही योगी उठकर गए तो धीरे-धीरे सदस्य भी निकलने लगे। कई बार तो संख्या 60 से 65 के बीच ही झूलती रही। अपने विषय के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गुणगान तो लगभग हर वक्ता के लिए अनिवार्य बिंदु बन चुका था और उस पर मेजें थपथपाना भी उतना ही अनिवार्य।
इसी तरह सौ सदस्यों वाली विधान परिषद में गुरुवार सुबह पांच बजे वन एवं पर्यावरण मंत्री दारा सिंह चौहान का उद्बोधन समाप्ति की ओर था और वह बोले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सूत्र वाक्य है 'न खाऊंगा, न खाने दूंगा' और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का 'न सोऊंगा, न सोने दूंगा।' वहीं, विपक्ष के असहयोग के कारण विधान परिषद में नेता सदन डॉ. दिनेश शर्मा के साथ करीब एक दर्जन मंत्री सदन को सुचारु ढंग से चलाने के लिए पसीना बहा रहे थे। खैर, दो मंत्रियों सूर्यप्रताप शाही और स्वामी प्रसाद मौर्य ने ही ढाई-ढाई घंटे बोलकर पूरी रात निकाल दी। स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने भी काफी मोर्चा लिया।
दिखा रतजगे का असर, झपकी लेते रहे मंत्री
रतजगे का असर गुरवार दोपहर उच्च सदन में दिखा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ धाराप्रवाह बोल रहे थे तो पीछे की सीट पर परिवहन मंत्री अशोक कटारिया दोनों हाथों को समेटे सिर आगे झुकाए झपकी ले रहे थे। शाम चार बजे कौशल विकास एवं व्यावसायिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कपिलदेव अग्रवाल जब सरकार की उपलब्धियां बता रहे थे तो बगल में बैठे कैबिनेट मंत्री महेंद्र सिंह ऊंघ रहे थे। पीछे की सीट पर बैठे राज्य मंत्री सुरेश पासी और भाजपा एमएलसी केदारनाथ सिंह भी कुर्सी पर सिर पीछे टिकाए नींद के खुमार में डूबे थे।
फिर कम पड़ गया वक्त
रात गुजारना भले ही मुश्किल रहा हो लेकिन, गुरुवार को विधानसभा में वक्ता अधिक बचे थे और वक्त कम। कुछ रोका-टोका गया, फिर भी समय पूरा होने तक 149 विधायक ही बोल सके।
संयुक्त सत्र से समापन, पांच घंटे बोले योगी
गुरुवार रात को विधानसभा और विधान परिषद के संयुक्त सत्र के साथ विशेष सत्र का समापन हुआ। आखिरी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संबोधित किया। इस तरह 36 घंटे में अलग-अलग सत्रों में मिलाकर उनका कुल भाषण लगभग पांच घंटे हो गया।