सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा- औद्योगिक शांति ही निवेश आकर्षित करने के लिए जरूरी शर्त
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्मंत्री अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि विभिन्न प्रदेशों में फंसे श्रमिकों को घर वापस पहुंचाने का कार्यक्रम शिथिल हो गया है।
लखनऊ, जेएनएन। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में निवेश आकर्षित करने के लिए औद्योगिक शांति सबसे जरूरी शर्त है, लेकिन श्रमिक विरोधी नीतियों से माहौल में असंतोष व अशांति ही बढ़ेगी। उन्होंने प्रदेश के हालात दिनों दिन बिगाड़ने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार जनता की आंखों में धूल झोंकने की तैयारी कर रही है।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्मंत्री अखिलेश यादव ने रविवार को जारी बयान में श्रमिकों व कोरोना संक्रमण से बचाव जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरा। उन्होंने आरोप लगाया कि विभिन्न प्रदेशों में फंसे श्रमिकों को घर वापस पहुंचाने का कार्यक्रम शिथिल हो गया है। सड़कों पर छोटे बच्चों व महिलाओं के साथ पैदल मार्च करती हजारों श्रमिकों की भीड़ सच्चाई बयां कर रही है। सरकार अब अपनी नाकामयाबियों पर पर्दा डालने में लगी है।
मज़दूर विरोधी भाजपा सरकार ‘श्रमिक-क़ानून’ को 3 साल के लिए स्थगित करते समय तर्क दे रही है कि इससे निवेश आकर्षित होगा; जबकि इससे श्रमिक-शोषण बढ़ेगा तथा साथ में श्रम असंतोष औद्योगिक वातावरण को अशांति की ओर ले जाएगा. सच तो ये है कि ‘औद्योगिक-शांति’ निवेश की सबसे आकर्षक शर्त होती है. pic.twitter.com/3hMN2Fu1zC — Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) May 10, 2020
अखिलेश यादव ने कहा कि नई श्रम नीति से उद्योगपतियों की मनमानी बढ़ेगी। कोई श्रम अधिकारी उद्योगों के दरवाजे तीन साल नहीं जाएगा। श्रमिकों को 12 घंटे काम करने पर आठ घंटे की मजदूरी मिलेगी यानी चार घंटे बेगारी करनी होगी। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों के वेतन भत्तों में निर्ममता से कटौती करने वाली सरकार का संवेदनहीन व अनैतिक चेहरा सामने आ रहा है।