Move to Jagran APP

सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव ने कहा- भाजपा को गरीबों की नहीं पूंजीपतियों के हितों की है चिंता

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मजदूरों को शोषण से बचाने वाले श्रम कानून के ज्यादातर प्रावधानों को तीन साल के लिए स्थगित किए जाने पर नाराजगी जताई है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 08 May 2020 08:42 PM (IST)Updated: Sat, 09 May 2020 07:48 AM (IST)
सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव ने कहा- भाजपा को गरीबों की नहीं पूंजीपतियों के हितों की है चिंता
सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव ने कहा- भाजपा को गरीबों की नहीं पूंजीपतियों के हितों की है चिंता

लखनऊ, जेएनएन। समाजवादी पार्टी (SP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मजदूरों को शोषण से बचाने वाले श्रम कानून के ज्यादातर प्रावधानों को तीन साल के लिए स्थगित किए जाने पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि भाजपा को गरीबों की नहीं पूंजीपतियों के हितों की चिंता है। भाजपा ने महंगाई बढ़ाने का कुचक्र तो रचा ही है, साथ ही मजदूरों के शोषण के लिए भी रास्ते खोल दिए हैं। भाजपा सरकार के इन जनविरोधी निर्णयों से जनता में गहरा आक्रोश है।

loksabha election banner

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने एक अध्यादेश के जरिए मजदूरों को शोषण से बचाने वाले श्रम कानून के ज्यादातर प्रावधानों को तीन साल के लिए स्थगित कर दिया है। यह बेहद आपत्तिजनक और अमानवीय है। विस्थापन और बेरोजगारी के शिकार श्रमिकों को अब पूरी तरह उनके मालिकों की शर्तों पर काम करने के लिए विवश करने की साजिश है। श्रमिकों को संरक्षण न दे पाने वाली भाजपा सरकार तुरंत त्यागपत्र दे।

अखिलेश यादव ने कहा कि प्रदेश सरकार ने आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर बाइक से लेकर ट्रक तक का टोल टैक्स बढ़ा दिया है। नोएडा अथारिटी ने पानी की दरों में 7.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दी है। पेट्रोल-डीजल पर केंद्र सरकार ने सेस और अतिरिक्त ड्यूटी बढ़ा दी है। वहीं, प्रदेश सरकार ने अतिरिक्त वैट लगा दिया। यह किसानों और जनता पर अत्याचार है। भाजपा सरकार में जनता जूझ रही है, भ्रष्टाचार फलफूल रहा है। आगरा के बाद अब लखनऊ नगर निगम में बड़ा घोटाला सामने आया है।

अखिलेश यादव ने कहा कि कोरोना हॉटस्पॉट के लिए दो रुपये की सैनिटाइजर की खाली शीशी 18 रुपये में खरीदी गई। स्वास्थ्य कर्मियों को पहले अधोमानक किटे दी गईं। अब पर्याप्त पीपीई किटों का अकाल पड़ा हुआ है। रेलवे के पास दान देने के लिए तो धन है लेकिन मजदूरों को फ्री घर पहुंचाने के लिए नहीं है। कहीं ट्रेन के नीचे कट रहे तो कहीं ट्रेन में बैठने के लिए जेब कटा रहे हैं। देश के निर्माणकर्ता भाजपा को वोट देने की कीमत चुका रहे है। सूरत से वापस आ रहे मजदूरों के सवा लाख रुपये दलाल खा गए। स्थिति भयावह होती जा रही है, लेकिन भाजपा संवेदनाशून्य है। उसे लोकलाज भी नहीं रह गई है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.