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सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा, कोऑपरेटिव फार्मिंग से फंस जाएंगे किसानों के खेत

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की 33वीं पुण्यतिथि के अवसर पर पार्टी कार्यालय में उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें याद किया।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 29 May 2020 09:11 PM (IST)Updated: Fri, 29 May 2020 09:11 PM (IST)
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा, कोऑपरेटिव फार्मिंग से फंस जाएंगे किसानों के खेत
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा, कोऑपरेटिव फार्मिंग से फंस जाएंगे किसानों के खेत

लखनऊ, जेएनएन। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार ने कारपोरेट व्यवस्था को तरजीह देकर कोऑपरेटिव फार्मिंग की चर्चा शुरू कर दी है। इससे किसानों के खेत भी कारपोरेट के जाल में फंस जाएंगे। किसानों की जमीन का स्वामित्व खतरे में पड़ सकता है। भाजपा की योजना है कि कृषि कारपोरेट संस्थाओं के हवाले हो जाए। इससे किसानों को फायदा कम नुकसान ज्यादा होगा। किसान, गांव और कृषि जब तक आत्मनिर्भर नहीं होंगे, तब तक आत्मनिर्भर भारत की बात करना दिवास्वप्न है। 

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यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शुक्रवार को पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की 33वीं पुण्यतिथि के अवसर पर पार्टी कार्यालय में उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें याद किया। उन्होंने कहा कि चौधरी चरण सिंह ने गांवों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कृषि को ताकत देने वाली नीतियां लागू कीं। उन्होंने सहकारी खेती का विरोध करते हुए कहा था कि यह किसानों तथा छोटी जोत की कृषि के लिए अव्यवहारिक है। भाजपा नेतृत्व का गांवों से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है। इसलिए किसान विरोधी फैसले किए जा रहे हैं।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने चौधरी चरण सिंह जी ने गांवों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कृषि को ताकत देने की नीतियों को लागू किया। चौधरी साहब ने सहकारी खेती का विरोध नागपुर के कांग्रेस अधिवेशन में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के प्रस्ताव पर बोलते हुए कहा था कि भारत के गांव और किसानों तथा छोटी जोत की कृषि के लिए सहकारी खेती की योजना अव्यवहारिक है। उन्होंने कहा कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी कैसे होगी, इस पर सरकार चर्चा करने के लिए भाजपा सरकार तैयार नहीं है। और तो और भाजपा की यह घोषणा कि फसल के उत्पादन लागत का डेढ गुना किसानों को दिया जायेगा का अमल आज तक नहीं हुआ। न्यूनतम समर्थन मूल्य तो कभी लागू ही नहीं हुआ।


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