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सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा- किसान विरोधी कानून बन रहा जनआंदोलन का आधार

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि किसानों को कारपोरेट घरानों का गुलाम बनाने वाला कानून अहंकारी भाजपाई सत्ता के विरुद्ध जनआंदोलन का मुख्य कारण बन गया है। अब किसान हर गांव में भारतीय जनता पार्टी का ही दानापानी बंद कर देगा।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 29 Sep 2020 08:11 PM (IST)Updated: Tue, 29 Sep 2020 08:11 PM (IST)
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा- किसान विरोधी कानून बन रहा जनआंदोलन का आधार
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा की नीति और नीयत दोनों किसान हितों के विरोध की है।

लखनऊ, जेएनएन। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि किसानों को कारपोरेट घरानों का गुलाम बनाने वाला कानून अहंकारी भाजपाई सत्ता के विरुद्ध जनआंदोलन का मुख्य कारण बन गया है। अब किसान हर गांव में भारतीय जनता पार्टी का ही दानापानी बंद कर देगा। भाजपा ने बहुमत के बल पर विपक्ष की अनदेखी कर जो किसान विरोधी काला कानून पास किया है, उसके विरुद्ध देश भर में हो रही प्रतिक्रिया को नजरअंदाज करना उसे भारी पड़ेगा।

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सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार को जारी बयान में कहा कि भारतीय जनता पार्टी की नीति और नीयत दोनों किसान हितों के विरोध की है। उसने वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने, लागत से डेढ़ गुना ज्यादा फसल की कीमत देने तथा कर्जमाफी के वादे किए थे। इनमें से एक भी वादा पूरा नहीं हुआ। जब आलू, प्याज जैसी जरूरी सब्जियों की जमाखोरी होती थी, तो सरकारों के हाथों में कार्रवाई की शक्ति थी। भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने यह व्यवस्था खत्म कर दी। सपा अध्यक्ष ने कहा कि यदि इस किसान विरोधी कानून से किसानों को राहत मिली होती तो अध्यादेश लागू होने के बाद भी मक्का की कीमत एक हजार रुपये प्रति कुंतल क्यों होती। पिछले वर्ष यह 2200 रुपये प्रति क्विंटल थी।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के झूठे प्रचार की अब हर दिन पोल खुल रही है। मंडियों में काम करने वाले लाखों मजदूर बेरोजगार हो गए हैं। किसान भी मारे-मारे घूम रहे हैं। अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि किसानों से भाजपा राज में जबरन जमीनें छीनी जा रही है। उन्हें उचित मुआवजा भी नहीं दिया जा रहा है। भाजपा सरकार को भू-अधिग्रहण पर सर्किल रेट बढ़ाकर छह गुना दाम किसानों को देना चाहिए। परिवार की स्थिति व जरूरत के हिसाब से किसान के परिवार में किसी को नौकरी भी देनी चाहिए।


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