Move to Jagran APP

Himachal By Election : चेतन बरागटा की जनसभा में लगे -राजा साहब अमर रहे के नारे

प्रदेश भाजपा के आइटी सेल के संयोजक रहे चेतन बरागटा बतौर आजाद प्रत्याशी चुनावी ताल ठोकने के बाद बदले हुए नजर आ रहे हैं। हमेशा भाजपा नेतृत्व का गुणगान गाते नजर आने वाले चेतन की नजर सत्ता विरोधी लहर के बीच कांग्रेस के वोट बैंक पर भी है।

By Manoj KumarEdited By: Published: Sun, 17 Oct 2021 05:30 AM (IST)Updated: Sun, 17 Oct 2021 05:30 AM (IST)
Himachal By Election : चेतन बरागटा की जनसभा में लगे -राजा साहब अमर रहे के नारे
चेतन बरागटा की जनसभा में लगे -राजा साहब अमर रहे के नारे

शिमला, जागरण संवाददाता। Himachal By Election, प्रदेश भाजपा के आइटी सेल के संयोजक रहे चेतन बरागटा बतौर आजाद प्रत्याशी चुनावी ताल ठोकने के बाद बदले हुए नजर आ रहे हैं। हमेशा भाजपा नेतृत्व का गुणगान गाते नजर आने वाले चेतन की नजर सत्ता विरोधी लहर के बीच कांग्रेस के वोट बैंक पर भी है। अपने पिता स्वर्गीय नरेंद्र बरागटा के साथ पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह के नाम पर नारे लगवा कर उन्होंने प्रदेश की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है।

prime article banner

जुब्बल कोटखाई विधानसभा उपचुनाव में भाजपा से बागी होकर आजाद चुनाव लड़ रहे चेतना बरागटा ने चुनावी जनसभा के दौरान सभी को हैरान कर दिया। शनिवार को हुई जनसभा में उन्होंने पहले पूर्व मंत्री नरेंद्र बरागटा अमर रहे के नारे लगवाए, इसी बीच उन्होंने वीरभद्र सिंह अमर रहे के नारे भी लगाए। इसके बाद जनसभा में जुटी भीड़ ने भी पूरा सहयोग देते हुए राजा साहब अमर रहे के नारे लगाए। काफी समय तक दोनों दिवंगत नेताओं के नारे ही लगाए गए। ये नारे भले ही जुब्बल कोटखाई के एक गांव में हो रही चुनावी जनसभा में लगे, लेकिन इसकी चर्चा शिमला से लेकर प्रदेशभर में हो रही है।

अब चर्चा है कि चेतन क्या अपने पिता के निधन के बाद पार्टी की ओर से टिकट न दिए जाने के साथ वीरभद्र सिंह को कोटखाई में सम्मान देकर अपने विरोधियों पर इक्कीस साबित होने का प्रयास कर रहे हैं। राजनीतिक जानकार भी मान रहे हैं कि वीरभद्र सिंह का नाम लेकर किसी को नुकसान तो होगा नहीं। सकारात्मक तौर पर वीरभद्र सिंह को चुनावी दौर में यादकर कोई भी राजनीतिक लाभ लेने का प्रयास करता है तो उसे लाभ मिल भी सकता है। अब इसे रोकना कांग्रेस प्रत्याशी के प्रचार की रणनीति का खाका तैयार कर रहे थिंक टैंक पर निर्भर करता है। वीरभद्र सिंह खुद 1985 में जुब्बल कोटखाई से विधानसभा चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री बने थे, इसलिए उनके नाम की राजनीति करते यहां कुछ और नेताओं को भी देखा जा सकता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.