जब कोर्ट में चिल्ला उठे लालू प्रसाद यादव, कहा- हमरा बचावा हो..
पुलिसकर्मियों ने किसी तरह उन्हें कोर्ट रूम तक पहुंचाया। इस दौरान मीडियाकर्मियों और पुलिसकर्मियों के बीच धक्कामुक्की हुई।
जागरण संवाददाता, रांची। चारा घोटाला मामले में सजा सुनाए जाने को लेकर कोर्ट परिसर की सुरक्षा व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त थी। लालू जैसे ही सोमवार दोपहर कोर्ट पहुंचे, पुलिसकर्मी सक्रिय हो गए। गहमागहमी शुरू हो गई। पुलिसकर्मियों ने लालू को वाहन की घेराबंदी कर उतारा। इसके बाद घेरते हुए कोर्ट रूम तक ले गए। कोर्टरूम तक ले जाए जाने के दौरान खूब अफरातफरी मची। पुलिसकर्मी, मीडियाकर्मी और समर्थकों के हुजूम में लालू दबने लगे। अंत में लालू चिल्ला उठे, हमरा बचावा हो। पुलिसकर्मियों ने किसी तरह उन्हें कोर्ट रूम तक पहुंचाया। इस दौरान मीडियाकर्मियों और पुलिसकर्मियों के बीच धक्कामुक्की हुई।
चारा घोटाले के एक और मामले में सोमवार को फैसला आया। सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत ने दुमका कोषागार से 3.76 करोड़ रुपये की अवैध निकासी से संबंधित चारा घोटाला मामले में फैसला सुनाया। अदालत ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सह तत्कालीन वित्त मंत्री व राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद सहित 19 अभियुक्तों को दोषी ठहराया। वहीं बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्र सहित 12 अभियुक्तों को बरी कर दिया। चारा घोटाले में लालू चौथी बार दोषी ठहराए गए हैं। फिलहाल वह न्यायिक हिरासत में रांची स्थित राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में इलाजरत हैं। इस मामले में राजनेताओं में सिर्फ लालू प्रसाद दोषी ठहराए गए। इसके अलावा दोषी ठहराए जाने वालों में पशुपालन विभाग के अधिकारी और आपूर्तिकर्ता शामिल हैं। बरी होने वाले राजनेताओं में डॉ. जगन्नाथ मिश्र, धु्रव भगत, जगदीश शर्मा, विद्यासागर निषाद व डॉ. आरके राणा शामिल हैं। अदालत ने ट्रायल फेस कर रहे 31 अभियुक्तों पर फैसला सुनाया।
लालू प्रसाद यादव पर सजा की सुनवाई 21 को
19 दोषियों के खिलाफ सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए 21, 22 और 23 मार्च की तिथि निर्धारित की गई। सजा के बिंदु पर सुनवाई वीडियो कांफ्रेंसिंग से अभियुक्तों के नाम के अनुसार अल्फाबेटिकल होगी। ऐसे में लालू के खिलाफ सजा के बिंदु पर सुनवाई 21 मार्च को होगी।
लालू को देख जज ने कहा, इनको कोर्ट काहे ले आए हैं, तत्काल ले जाइये
दुमका कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित चारा घोटाला मामले में फैसला सुनाए जाने के दौरान लालू प्रसाद कोर्ट में उपस्थित नहीं थे। लालू को रिम्स से जब तक कोर्ट लाया गया उन्हें दोषी ठहरा दिया गया था। कोर्ट पहुंचे लालू बेचैन नजर आ रहे थे। उन्होंने दोनों हाथ जोड़कर जज को प्रणाम किया। जज शिवपाल सिंह ने उन्हें देखकर कहा कि इनको काहे ले आए हैं, आने की जरूरत नहीं थी, तबीयत खराब की सूचना मिली। इन्हें तत्काल ले जाइये। जज ने लालू को कहा कि राणा (डॉ. आरके राणा) निकल गए हैं और आप दोषी पाए गए हैं। लालू ने कहा, हुजूर क्या सजा दिए हैं। जज ने कहा कि अभी आप दोषी ही करार दिए गए हैं। सजा के बिंदु पर सुनवाई बाद में होगी। इसके बाद लालू महज दो मिनट रहकर अपनी उपस्थिति से संबंधित प्रपत्र में हस्ताक्षर कर कोर्ट से निकल गए। लालू को एंबुलेंस से रिम्स से कोर्ट लाया गया था।
चारा घोटाले में अभी लालू पर दो और मामले लंबित
चारा घोटाले में अभी राजद प्रमुख लालू प्रसाद पर दो और मामले लंबित हैं। रांची और पटना में दो मामलों में लालू के खिलाफ अभी फैसला आना बाकी है। उधर दुमका कोषागार से अवैध निकासी मामले में सोमवार को फैसला आया। यह चारा घोटाले का 50 वां मामला है, जिसमें अदालत ने फैसला सुनाया। इसके पूर्व 49 मामलों में फैसला आ चुका है। राजनेताओं से जुड़ा यह चौथा मामला है, जिसमें सोमवार को फैसला आया। इसमें लालू प्रसाद को चौथी बार दोषी ठहराया गया है। वहीं डॉ. जगन्नाथ मिश्र को दूसरी बार बरी किया गया। इसके पूर्व लालू प्रसाद को चाईबासा के दो मामलों और देवघर कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित एक मामले में दोषी ठहराते हुए अदालत ने सजा सुनाई थी। डॉ. जगन्नाथ मिश्र को चाईबासा कोषागार के दो मामलों में सजा सुनाई गई थी। दुमका मामले के पूर्व देवघर मामले में डॉ. जगन्नाथ मिश्र सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत से ही बरी हुए थे। चारा घोटाले में झारखंड में कुल 53 मामले चल रहे हैं। एक मामला पटना में सीबीआइ कोर्ट में चल रहा है। रांची और पटना में दो मामलों में लालू के खिलाफ अभी फैसला आना बाकी है। दो अन्य मामले आपूर्तिकर्ताओं और अधिकारियों से जुड़े हुए हैं।
इन मामलों में आ चुका है फैसला
1. चाईबासा कोषागार से 37.70 करोड़ रुपये अवैध निकासी का मामला -इसमें सीबीआइ के तत्कालीन विशेष न्यायाधीश प्रवास कुमार की अदालत ने 30 सितंबर, 2013 को फैसला सुनाया था। राजनेताओं के खिलाफ सुनाया गया यह पहला फैसला था।
- अदालत ने तीन अक्टूबर, 2013 को लालू प्रसाद को पांच वर्ष की सजा और 25 हजार रुपये जुर्माना लगाया था। वहीं डॉ. जगन्नाथ मिश्र को चार वर्ष की सजा और दो लाख रुपये जुर्माना लगाया था।
2. देवघर कोषागार से 89.04 लाख रुपये अवैध निकासी से संबंधित मामला- इसमें सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत ने 23 दिसंबर, 2017 को फैसला सुनाया था। इसमें डॉ. जगन्नाथ मिश्र को बरी किया गया था। लालू प्रसाद को 3.5 वर्ष की सजा और 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था।
3. चाईबासा कोषागार से 33.67 करोड़ रुपये की अवैध निकासी का मामला- इसमें सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश एसएस प्रसाद की अदालत ने 24 जनवरी, 2018 को फैसला सुनाते हुए लालू प्रसाद और डॉ. जगन्नाथ मिश्र को पांच-पांच वर्ष की सजा सुनाई थी। साथ ही 10-10 लाख रुपये जुर्माना लगाया गया था।
-लालू से जुड़े डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ रुपये अवैध निकासी से संबंधित मामले में फैसला अभी आना है। वहीं बिहार के भागलपुर कोषागार से 47 लाख रुपये के गबन का मामला पटना सीबीआइ कोर्ट में चल रहा है।