कट्टर हिंदुत्व के मुद्दे पर अग्रिम पंक्ति में दिखने को बेकरार शिवसेना
हम इस मसले को महज सियासी लाभ के लिए नहीं उठा रहे हैं। उदार हिंदुत्व से पहले ही काफी नुकसान हो चुका है।
रमाशरण अवस्थी, अयोध्या। अयोध्या में राम मंदिर मसले पर आशीर्वाद समारोह के बहाने देश की सियासत में हलचल पैदा कर चुकी शिवसेना की नजर अब उस समुदाय पर है, जिसमें कट्टर हिंदुत्व को लेकर छटपटाहट दिख रही है। इसके लिए शिवसेना अग्रिम मोर्चे पर दिखना चाहती है। वह उत्तर प्रदेश को केंद्र में रखकर अपने संगठन को नए सिरे से खड़ा करने की तैयारी में है। शिवसेना अयोध्या मुद्दे के इर्द-गिर्द रणनीति बना रही है। जानकारों के मुताबिक उसका अगला कदम लखनऊ में रैली कर हिंदुत्व के मुद्दे को गर्म करना होगा।
महाराष्ट्र में कट्टर हिंदुत्व की नुमाइंदगी करती रही शिवसेना अब उत्तर प्रदेश की सियासत में भूचाल लाने की योजना पर काम कर रही है, ताकि उसे राष्ट्रव्यापी पहचान मिल सके। इसके लिए उसके पास अपने संस्थापक बालासाहब ठाकरे के 1992 में विवादित ढांचा ध्वंस में भागीदारी स्वीकार करने की पूंजी है। अब इसी पूंजी को वह कैश करा हिंदुत्व की सियासत की झंडाबरदार बनना चाहती है।
इसके लिए अयोध्या मसले पर आशीर्वाद समारोह का आयोजन कर प्लेटफार्म तैयार कर चुकी है लेकिन, उसे अपनी संगठनात्मक कमजोरी का भी एहसास है। यही कारण है कि अगला कदम उठाने के पहले वह पूरे प्रदेश में संगठन का ढांचा खड़ा कर लेना चाहती है। इसके लिए वह अपने सिपहसालारों की मंशा को खंगालने के साथ ही हिंदुत्व के प्रखर चेहरों को अपने साथ जोड़ने की कवायद कर रही है। इस बात की ओर इशारा शिवसेना संसदीय दल के नेता संजय राउत भी करते हैं।
अनौपचारिक बातचीत में वह कहते हैं कि शिवसेना अब चुप नहीं रहने वाली है। हम इस मसले को महज सियासी लाभ के लिए नहीं उठा रहे हैं। उदार हिंदुत्व से पहले ही काफी नुकसान हो चुका है। अब और नहीं। जल्द ही शिवसेना का बदला रूप दिखाई देगा। हम निरंतर अपनी ताकत दिखाएंगे। इसका केंद्र उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ भी हो सकती है। अगले एक सप्ताह में शिवसेना अपने नए प्रदेश प्रमुख का चेहरा सामने ला सकती है।