Move to Jagran APP

Jammu And Kashmir Politics: कश्मीरियों के सवालों से बचने के लिए मुंह छिपाने लगे अलगाववादी

Separatist Leader हुर्रियत कांफ्रेंस के दिन लगभग पूरी तरह लद गए हैं। कश्मीर के बदले माहौल में आम कश्मीरियों ने ही उसे सियासत के हाशिए पर धकेल दिया है। लोगों के सवालों से बचने के लिए अलगाववादी नेता घरों से निकल भी नहीं रहे हैं।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Sat, 10 Oct 2020 07:26 PM (IST)Updated: Sat, 10 Oct 2020 09:45 PM (IST)
Jammu And Kashmir Politics: कश्मीरियों के सवालों से बचने के लिए मुंह छिपाने लगे अलगाववादी
बदले माहौल में आम लोगों ने ही हुर्रियत कांफ्रेंस को हाशिये पर धकेला।

श्रीनगर, नवीन नवाज। Separatist Leader: पाकिस्तान के इशारों पर चलने वाली हुर्रियत कांफ्रेंस के दिन लगभग पूरी तरह लद गए हैं। कश्मीर के बदले माहौल में आम कश्मीरियों ने ही उसे सियासत के हाशिए पर धकेल दिया है। लोगों के सवालों से बचने के लिए अलगाववादी नेता घरों से निकल भी नहीं रहे हैं, लेकिन खुद को नजरबंद किए जाने का झूठ परोस रहे हैं। ये अलगाववादी नेता अगर बोलते भी हैं तो इसमें कश्मीर की आजादी और जनमत संग्रह का जिक्र करना भूल गए हैं। उल्लेखनीय है कि पांच अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम लागू होने के बाद से ही अलगाववादी खेमा पूरी तरह से खामोश है। बीते एक साल के दौरान चार से पांच बार ही हुर्रियत कांफ्रेंस ने बयान जारी किया है।

loksabha election banner

टेरर फंडिंग के सिलसिले में एनआइए द्वारा करीब दो दर्जन अलगाववादियों को गिरफ्तार करने के बाद से ही हुर्रियत समेत सभी अलगाववादी दल और उनके नेता दबाव में हैं। रही-सही कसर जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम ने पूरी कर दी। अलगाववादियों के फुट सोल्जर कहे जाने वाले अधिकांश पत्थरबाज भी उनसे किनारा कर चुके हैं। जो नेता हिरासत में नहीं हैं, उन्होंने जेल जाने से बचने के लिए खुद को अपने ही स्तर पर अपने घरों में नजरबंद कर लिया लिया है, जबकि अधिकारिक तौर पर वह नजरबंद नहीं हैं।

कट्टरपंथी सईद अली शाह गिलानी द्वारा किनारा किए जाने के बाद हुर्रियत कांफ्रेंस अब अतीत का हिस्सा बनती जा रही है। कोई भी नेता गिलानी का स्थान लेने के लिए सामने नहीं आ रहा है। बीत तीन माह में इस गुट की सिर्फ दो बैठकें हुई है। दूसरी तरफ, मीरवाइज मौलवी उमर फारुक की अगुआई वाली उदारवादी हुर्रियत कांफ्रेंस भी आनग्राउंड निष्क्रिय है। मीरवाइज और उनके करीबी प्रो. अब्दुल गनी बट, बिलाल गनी लोन व मौलाना अंसारी जैसे नेता भी बैठक करने से बच रहे हैं। यह सभी नजरबंदी से मुक्त हैं। बिलाल व प्रो. गनी को लोगों ने कई बार गली-बाजारों में घूमते देखा है।

मीरवाइज भी कथित तौर पर कई बार अपने वाहन में घर से बाहर निकले हैं। उनके घर भी कई बार हुर्रियत कांफ्रेंस से जुड़़े कुछ लोग मिलने गए हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर इन सभी नेताओं के सभी फेसबुक पेज और ट्वीटर हैंडल भी लगभग निष्क्रिय हैं। दो दिन पहले उदारवादी हुर्रियत कांफ्रेंस ने अपने प्रवक्ता के हवाले से बयान जरूर जारी किया, लेकिन आजादी, जनमत संग्रह और कश्मीर को विवादित क्षेत्र बताने वाले शब्दों का इस्तेमाल कहीं भी नहीं किया गया। सिर्फ अलगाववादी नेताओं और अन्य कश्मीरी सियासी कैदियों की रिहाई की मांग की गई।

आम लोग करने लगे कटाक्ष

अलगाववादियों की खामोशी पर आम कश्मीरी आपसी बातचीत में अक्सर कटाक्ष करते हैं कि अब तो पुलिस में रिपोर्ट लिखानी पड़ेगी कि हुर्रियत नेता कहीं गायब हो गए हैं। वह यहां तक कहते हैं कि एक प्रमुख नेता तो जामिया मस्जिद का रास्ता ही भूल गया है।

सवालों से बचने के लिए नहीं निकल रहे घर से

कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ और पत्रकार एजाज अहमद ने कहा कि इस समय हुर्रियत कांफ्रेंस खत्म हो चुकी नजर आती है। मीरवाइज मौलवी उमर फारुक अगर नजरबंद होने का दावा करते हैं तो फिर उनके घर मिलने के लिए कुछ नेता बीते दिनों कैसे उनके घर पहुंच गए। पुलिस ने कई बार कहा कि वह नजरबंद नहीं हैं, वह चाहें तो नमाज के लिए जामिया मस्जिद आ सकते हैं, लेकिन वह नहीं आ रहे हैं, क्योंकि सवाल पूछने वाले बहुत होंगे, जवाब नहीं होगा। असलियत सभी जानते हैं। उनकी दुकान बंद हो चुकी है, बस एलान करने से बच रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.