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बंगाल: मंत्री गौतम देव ने दार्जिलिंग के भाजपाई सांसद पर साधा निशाना, बोले- MP आएं न, आते क्यों नहीं

दार्जिलिंग के एमपी राजू बिष्ट पर निशाना साधते हुए तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व राज्य के पर्यटन मंत्री गौतम देव ने कहा है कि एमपी आएं न आते क्यों नहीं हैं?

By Vijay KumarEdited By: Published: Wed, 22 Apr 2020 06:17 PM (IST)Updated: Wed, 22 Apr 2020 06:17 PM (IST)
बंगाल: मंत्री गौतम देव ने दार्जिलिंग के भाजपाई सांसद पर साधा निशाना, बोले- MP आएं न, आते क्यों नहीं
बंगाल: मंत्री गौतम देव ने दार्जिलिंग के भाजपाई सांसद पर साधा निशाना, बोले- MP आएं न, आते क्यों नहीं

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : दार्जिलिंग के एमपी राजू बिष्ट पर निशाना साधते हुए तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व राज्य के पर्यटन मंत्री गौतम देव ने कहा है कि एमपी आएं न, आते क्यों नहीं हैं? दार्जिलिंग संसदीय क्षेत्र की जनता उनकी बाट जोह रही है। कोरोना व लॉकडाउन के संकट की इस विकट घड़ी में उन्हें अपने संसदीय क्षेत्र में होना चाहिए था। जरूरतमंद जनता की सेवा करनी चाहिए थी। मगर, वह हैं कि दिल्ली में आराम से बैठे हुए हैं और केवल सोशल मीडिया के माध्यम से टीका-टिप्पणी कर खानापूर्ति करने में लगे हैं।

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मंत्री गौतम देव बुधवार को यहां मैनाक टूरिस्ट लॉज स्थित अपने विभागीय कार्यालय में संवाददाताओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने संवाददाताओं के एक सवाल के जवाब में उपरोक्त बातें कही। उनसे पूछा गया था कि यह आरोप है कि राज्य के शासन-प्रशासन द्वारा  भाजपा सांसदों को राहत कार्यों से रोका जा रहा है। जलपाईगुड़ी के सांसद डॉ. जयंत राय व अलीपुरद्वार के सांसद जॉन बारला ने तो उन्हें कड़ी पुलिस निगरानी में गृहबंदी तक बना दिया गया है।

इन आरोपों को बेबुनियाद करार देते हुए मंत्री ने कहा कि हम रोक कहां रहे हैं, हम तो बुला रहे हैं। दार्जिलिंग के एमपी (राजू बिष्ट) आ ही नहीं रहे हैं। इस विकट घड़ी में उन्हें अपने दार्जिलिंग संसदीय क्षेत्र में जरूरतमंद जनता के बीच होना चाहिए पर वह दिल्ली में आराम से बैठे हुए हैं। आते क्यों नहीं हैं, आएं।

जलपाईगुड़ी के सांसद डॉ. जयंत राय व अलीपुरद्वार के सांसद जॉन बारला के आरोपों के बारे में उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में तो भाजपा के कई सांसद हैं, वे तो ऐसे आरोप नहीं लगा रहे हैं। उन्हें तो समस्या नहीं है। भाजपा, तृणमूल कांग्रेस, माकपा, कांग्रेस यहां तक कि आम लोगों व संगठनों किसी को कोई समस्या नहीं है। अपने-अपने स्तर पर हर कोई जरूरतमंदों की सेवा में लगा हुआ है। राहत कार्य कर रहा है। मगर, वर्तमान में कोरोना वायरस के जानलेवा संक्रमण जैसा संवेदनशील मामला है, लाॅकडाउन है। इसके कई अनिवार्य नियम हैं। कुछ करने के लिए प्रशासन व पुलिस से अनुमति लेनी होगी, कहीं भी भीड़-भाड़ नहीं करना होगा, सार्वजनिक जगहों पर एक-दूसरे के बीच कम से कम एक मीटर की अनिवार्य शारीरिक दूरी बनाए रखनी होगी, कोई कहीं बाहर से आया है तो उसे घर में ही क्वारंटाइन में रहना होगा। इन नियमों का पालन कर कोई भी आसानी से आवश्यक राहत कार्यों को अंजाम दे सकता है। अब अगर कोई नियमों को न माने, खुद को नियम-कानून से ऊपर समझ कर मनमानी पर आमादा हो जाए तो फिर शासन-प्रशासन तो अपना कार्य करेगा ही। इस पर आपत्ति सही नहीं है। सब कुछ नियम-कानून के तहत ही होना चाहिए।


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