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J&K: संचार माध्यमों से जरूरी है इंसानी जान, दो सप्ताह में बदलेगी आम राय- राज्यपाल

राज्यपाल ने कहा कि पूर्व में जब कश्मीर में संकट होता था तो पहले ही सप्ताह में कम से कम 50 लोगों की मौत हो जाती थी। हमारा रवैया है कि इंसानी जान नहीं जानी चाहिए।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 26 Aug 2019 09:34 AM (IST)Updated: Mon, 26 Aug 2019 10:10 AM (IST)
J&K: संचार माध्यमों से जरूरी है इंसानी जान, दो सप्ताह में बदलेगी आम राय- राज्यपाल
J&K: संचार माध्यमों से जरूरी है इंसानी जान, दो सप्ताह में बदलेगी आम राय- राज्यपाल

जम्मू, राज्य ब्यूरो। राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाने और दो केंद्र शासित राज्य बनाए जाने के बाद से हिंसा में किसी की जान नहीं गई है। इंसानी जान नहीं जानी चाहिए। अगर संचार माध्यमों पर अंकुश लगाने से जिंदगी बचाने में मदद मिलती है तो इसमें क्या नुकसान है।

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राज्यपाल ने कहा कि पूर्व में जब कश्मीर में संकट होता था, तो पहले ही सप्ताह में कम से कम 50 लोगों की मौत हो जाती थी। हमारा रवैया है कि इंसानी जान नहीं जानी चाहिए। 10 दिन टेलीफोन नहीं होंगे तो क्या हो जाएगा, लेकिन हम बहुत जल्दी सब वापस कर देंगे।

राज्यपाल ने कहा कि ईद पर हमने लोगों के घरों में सब्जियां, अंडे और मीट पहुंचाया। आपकी राय 10-15 दिनों में बदल जाएगी।

राज्यपाल सत्यपाल मलिक रविवार को पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को श्रद्धांजलि देने के लिए दिल्ली पहुंचे थे। भाजपा मुख्यालय में श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए राज्यपाल ने जेटली को याद करते हुए कहा कि वह जेटली ही थे जिन्होंने पिछले साल जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल की जिम्मेदारी लेने के लिए उन पर जोर डाला था। अरुण जेटली ने मुझे सलाह दी थी कि मैं जम्मू कश्मीर के राज्यपाल की जिम्मेदारी लूं। उन्होंने मुझसे कहा था कि यह ऐतिहासिक होगा।

उन्होंने मुझसे यह भी कहा कि उनकी ससुराल के लोग जम्मू से संबंधित हैं। जेटली की देश में शासन को बेहतर बनाने में अहम भूमिका रही है। उनके प्रयासों से जीएसटी लागू हो पाया। जेटली के निधन से देश को जो नुकसान पहुंचा है उसकी भरपाई कभी नहीं हो सकती।

दवाओं और जरूरी वस्तुओं की कमी नहीं

राज्यपाल ने कहा कि जम्मू कश्मीर में दवाओं और आवश्यक वस्तुओं की किसी कमी नहीं है। लोगों को जरूरत की चीजें उपलब्ध कराई जा रही हैं। कश्मीर में संचार माध्यमों पर पाबंदियों की वजह से वहां बहुत सी जिदंगियां बची हैं। कश्मीर में दवाइयों की कोई कमी नहीं है। राज्य प्रशासन के अनुसार कश्मीर में 7630 रिटेल और 4331 होलसेल दवाइयों की दुकानें हैं। रविवार को पूरे कश्मीर में करीब 65 प्रतिशत दुकानें खुली रहीं। अकेले श्रीनगर में ही दवाइयों की 1666 में से 1165 दुकानें खुलीं।

राज्य प्रशासन के अनुसार पिछले बीस दिनों के दौरान 23.81 करोड़ रुपये की दवाइयां पहुंचाई गई हैं। यह एक महीने की औसत से कुछ अधिक है। सरकारी दवाइयों की दुकानों में भी 376 पंजीकृत दवाइयां उपलब्ध हैं। जीवन रक्षक 62 दवाइयां भी उपलब्ध हैं।

जम्मू से दवाइयां आर्डर देने के बाद 14 से 18 घंटों के बीच कश्मीर में पहुंच रही हैं। पिछले दो दिनों के दौरान बेबी फूड की थोड़ी कमी जरूर थी। नया स्टाक उपलब्ध हो गया है जो अगले पखवाड़े के लिए पर्याप्त होगा। कई जगहों पर प्रशासन ने जांच की है और यह पाया है कि दवाइयों या आवश्यक सामग्री के अधिक दाम नहीं वसूले जा रहे हैं। राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने भी दिल्ली में कहा है कि कश्मीर में आवश्यक दवाइयों की कोई कमी नहीं है।

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