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भाजपा में नई पीढ़ी को जिम्मेदारी मिलना स्वाभाविक प्रक्रिया: सतीश पूनिया

Satish Poonia. सतीश पूनिया ने कहा कि उपचुनाव को हमेशा सत्ताधारी पक्ष के लिए फायदेमंद माना जाता है लेकिन हम इस धारणा को तोड़ेंगे।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 22 Sep 2019 11:54 AM (IST)Updated: Sun, 22 Sep 2019 11:58 AM (IST)
भाजपा में नई पीढ़ी को जिम्मेदारी मिलना स्वाभाविक प्रक्रिया: सतीश पूनिया
भाजपा में नई पीढ़ी को जिम्मेदारी मिलना स्वाभाविक प्रक्रिया: सतीश पूनिया

मनीष गोधा, जयपुर। राजस्थान में भाजपा के प्रदेश नेतृत्व में हाल में बड़ा परिवर्तन कर पार्टी में कई पदों पर रह चुके विधायक सतीश पूनिया को अध्यक्ष नियुक्त किया है। उनकी नियुक्ति को पार्टी में संगठन युग की वापसी और पीढ़ी का परिवर्तन माना जा रहा है। दैनिक जागरण-नई दुनिया से विशेष बातचीत में सतीश पूनिया ने कहा कि पार्टी में समय के अनुसार नई पीढ़ी को जिम्मेदारी मिलना स्वाभाविक प्रक्रिया है और उन्हें इस बात की खुशी है कि पार्टी ने एक साधारण किसान परिवार से आए कार्यकर्ता को इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी है। उनके बातचीत के प्रमुख अंश-

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लंबे संघर्ष के बाद पार्टी ने आपको यह पद दिया है। इसे खुद के लिए कितनी बड़ी चुनौती मानते हैं?

जो लोग राजनीतिक या सामजिक क्षेत्र मे काम करते हैं, उन्हें संघर्ष और चुनौतियों का सामना करना ही पड़ता है। पार्टी ने मुझे पहले भी कई मौके दिए र्ह। मैं एक बहुत साधारण घर में पैदा हुआ इसलिए इतने बड़े सम्मान की कल्पना नहीं की थी। यह जिम्मेदारी मेरा नहीं, किसानों और कार्यकर्ताओं का सम्मान है। कार्यकर्ता को लग रहा है कि उनके बीच के किसी आदमी को जिम्मेदारी मिली है। जहां तक चुनौतियों का सवाल है तो हम लंबे समय तक प्रतिपक्ष में रहे हैं। ऐसे में चुनौतियों को स्वीकार कनने की ताकत और संस्कार पार्टी ने दिए हैं। आज नीचे तक संगठित फौज खड़ी है। अब जिस व्यक्ति के पीछे इतनी बड़ी फौज हो तो वहां चुनौतियां कोई मायने नहीं रखती है।

जिम्मेदारी मिलते ही आपको उपचुनाव, निकाय चुनाव और पंचायत चुनाव का सामना करना पड़ेगा। इसकी क्या तैयारी है?

उपचुनाव को हमेशा सत्ताधारी पक्ष के लिए फायदेमंद माना जाता है, लेकिन हम इस धारणा को तोड़ेंगे। संगठन की मजबूती और ग्रासरूट तक इसकी पहुंच हमारे लिए काम करेगी। इसके अलावा देश में अनुच्छेद 370 को हटाने और अन्य बड़े निर्णयों के बाद पार्टी के प्रति भरोसा बढ़ा है। हमारे पास भरोसे वाला केंद्रीय नेतृत्व है जिस पर लोग विश्वास करते हैं। जहां तक मौजूदा राज्य सरकार की बात है तो जनता जो कुछ झेल रही है, उसके बाद हमें ज्यादा कुछ बताने की जरूरत नहीं है। शहरी निकायों में कानून व्यवस्था का हाल इतना खराब कभी नहीं रहा है। जनघोषणा पत्र पर भी कुछ काम नहीं हुआ है। किसान और नौजवान दोनों से कांग्रेस ने छल किया है। सरकार के बारे में जनता में आक्त्रोश है। ऐसे मे हम दमदार तरीके से सभी चुनाव जीतेंगे।

अब तक पार्टी में संगठन के लोगों को हाशिए पर माना जाता था। आपकी नियुक्ति को संगठन युग की वापसी कहा जा रहा है, क्या यह सही है?

देखिए कई बार राजनीतिक जिम्मेदारी का आकलन जाति, हैसियत या कद से होता है, लेकिन मेरा मनोनयन कार्यकर्ता का मनोनयन है। हमें सबको साथ लेकर चलना सिखाया गया है और हम ऐसा ही करेंगे भी। मुझे कार्यकर्ता अपने बीच का आदमी मानते हैं। यह मेरे लिए काफी सहुलियत की बात है। इसका पूरा लाभ उठाने की कोशिश करूंगा।

यह माना जा रहा है कि पार्टी में अब पीढ़ीगत बदलाव हो गया है। ऐसे में नए और पुराने नेताओं के बीच खेमेबंदी तो नहीं हो जाएगी?

देखिए, पार्टी में समय के अनुसार पीढ़ियों का बदलाव होता ही है, लेकिन हमारे यहां पीढि़यों का संतुलन बनाया जाता है। मीडिया में कुछ भी आता रहे, लेकिन पुराने कार्यकर्ताओं का सम्मान हमेशा रहता है। आयु के हिसाब से उनको सम्मान और पद दिया जाता है। उनके अनुभव का लाभ हम लेते रहे हैं और आगे भी लेंगे।

यह माना जा रहा है कि इस नियुक्ति के पीछे आपका जाट समाज से होना बड़ा कारण है। क्या खुद को जाट नेता मानते हैं?

मैं एक खास जाति के बजाए किसानों की बात करना चाहूंगा। मेरी कोई विरासत नहीं है। किसान के घर पैदा हुआ और यह ऐसा वर्ग है जो राजनीतिक रूप से जागरूक भी है और बहुसंख्यक भी है। मैं मानता हूं कि जब ऐसी नियुक्तियों के लिए स्क्त्रीनिंग होती होगी तो कोई कांबीनेशन जरूर देखा जाता होगा। मेरे लिए यह गर्व की बात है कि पार्टी ने एक किसान को मौका दिया।

विधानसभा चुनाव अभी दूर हैं। क्या ऐसी कोई आशंका है कि आप जो जमीन तैयार करेंगे, उसका फायदा कोई और उठा लेगा?

भविष्य में क्या होगा, उसकी चिंता मैं नहीं करता। पार्टी ने जो जिम्मेदारी दी है, उसे पूरा करना मेरी पहली प्राथमिकता है। मैं चाहूंगा कि पार्टी की अच्छी जमीन तैयार हो। अच्छे बहुमत से सरकार बने और अध्यक्ष के नाते जो कमी-खामी है, उसे दूर करते हुए अच्छी संस्कारित, अनुशासित और अजेय पार्टी बने।

पार्टी के लिए ऐसा क्या नया करना चाहेंगे जो अभी तक नही हुआ हो?

मै चाहूंगा कि पार्टी की पहचान सिर्फ राजनीतिक नहीं हो, बल्कि इसका एक सामाजिक चेहरा भी बने। यह जन सरोकारों की पार्टी बने। हमारे कार्यकर्ताओं की एक ऐसी टीम हो जो आम आदमी के सामाजिक जीवन में उसकी सहायता करे। उसे सरकारी योजनों का पूरा लाभ दिलाए और लोगों को लगे कि यह पार्टी सिर्फ नारों और वोट की बात नहीं करती। हमारे सुख-दुख का हिस्सा भी है।

प्रदेश में कांग्रेस की खींचतान का फायदा भाजपा किस रूप में उठाएगी?

कांग्रेस में इस समय का बिखराव देशव्यापी है। कांग्रेस ने समय रहते बदलाव नहीं किया। एक परिवार ही कांग्रेस की पहचान हो गई। हमारे यहां साधारण परिवार का आदमी किसी भी पद पर पहुंच सकता है, लेकिन कांग्रेस में यह संभव नहीं है। कांग्रेस वोट बैंक और तुष्टिकरण की राजनीति करती है। इसका उसे बहुत नुकसान हुआ है और एक बड़ा तबका कांग्रेस से नाराज रहता है। समग्र रूप से देखा जाए तो कांग्रेस की कमजोरी ही हमारी ताकत है।

स्थानीय निकाय चुनाव में क्या रहेंगे पार्टी के मुद्दे?

स्थानीय निकाय चुनाव में लोकल मुद्दे हावी रहते हैं, लेकिन इस बार ऐसे मुद्दे भी हैं जो देश से जुडे़ हैं और इनकी चर्चा भी गली-मोहल्लों में हो रही है। अनुच्छेद 370 के हटने के बाद जैसा सकारात्मक माहौल बना है, उसका फायदा मिलेगा।

आप युवाओं के नेता माने जाते हैं। अपनी टीम में कितने युवाओं को मौका देंगे?

अभी हमें चुनाव में जाना है। पुरानी टीम अच्छा काम कर रही है। सदस्यता अच्छी हुई है। बहुत लोगों को जोड़ा है। मैं मानता हूं कि युवाओं को राजनीति में अच्छे और बड़े मौके मिलने चाहिए इसलिए कोशिश करेंगे नए लोगों को जिम्मेदारियां देकर काम कराएं।

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