बाघिन की मौत पर छलका सरयू का दर्द, मामला रफा-दफा करने वाले अफसरों पर बरसे; उच्चस्तरीय जांच की मांग
उन्होंने कहा कि बाघिन की मौत को गौर (विजन) नामक जानवरों के झुंड का हमला बताकर मामले को रफा-दफा करने की कोशिश करने वाले वन विभाग के अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।
रांची, राज्य ब्यूरो। सरयू राय ने पलामू टाइगर रिजर्व में हुई बाघिन की मौत पर सवाल उठाते हुए इसकी उच्चस्तरीय जांच की मांग मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से की है। उन्होंने कहा कि बाघिन की मौत को गौर (विजन) नामक जानवरों के झुंड का हमला बताकर मामले को रफा-दफा करने की कोशिश करने वाले वन विभाग के अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया आरंभ की जानी चाहिए। राय ने आरोप लगाया कि इस मामले में वन विभाग के अधिकारियों ने लापरवाही बरती है और नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) के प्रावधानों के अनुरूप काम नहीं किया है।
राय ने विभाग के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन के घटनास्थल का दौरा न करने पर भी आश्चर्य प्रकट किया है। राय ने एनटीसीए के प्रावधान का हवाला देते हुए कहा है कि प्रावधान के तहत मौत के बाद पोस्टमार्टम के समय एनटीसीए का एक प्रतिनिधि मौजूद रहता है। एनटीसीए के एक प्रतिनिधि डॉ. डीएस श्रीवास्तव पलामू में रहते हैं, पर उन्हें बुलाया नहीं गया।
उन्होंने बातचीत में मुझे बताया कि इस मामले में उन्हें नहीं बुलाया गया। सूचना मिलने पर वे गए तो देखा कि चिता जलाने का उपक्रम हो रहा है। सवाल उठाया कि बाघिन का शव जलाने की इतनी अफरातफरी वन विभाग को क्यों थी। शव को डीप फ्रिज में रखना चाहिए था, ताकि एनटीसीए के अधिकारी आकर जांच कर सकें।
राय ने कहा कि वन विभाग के अधिकारी बाघिन की मौत के सबूत मिटाने के दोषी हैं। कहा, मुझे यह एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा लगता है। इसकी उच्चस्तरीय जांच आवश्यक है। यह भी कहा कि जांच की अवधि में दोषी अधिकारियों को इनके पदों से हटाना भी जरूरी है।
सरयू राय के सवाल
- वन विभाग के अधिकारी मौत का कारण 'गौर' का हमला बता रहे हैं। क्या वे बताएंगे कि वन्यजीव इतिहास में कोई दूसरा उदाहरण है, जिसमें गौर ने हमला कर बाघ/बाघिन को मार डाला हो।
- जहां बाघिन मरी है, वहां खून का एक कतरा भी नहीं है। गौर के हमले में ऐसा संभव नहीं है।
- कहा जा रहा है कि बाघिन बूढ़ी हो गई थी, उसके नाखून झड़ गए थे। लेकिन, मृत बाघिन का फोटो देखने से स्पष्ट है कि उसके सभी पैरों के नाखून झड़े नहीं हैं।
- फोटो में बाघिन की नाक का रंग गुलाबी दिख रहा है। यह उसके जवान होने का लक्षण है। बूढ़ी बाघिन के नाक का रंग काला हो जाता है।
- वन विभाग कह रहा है कि घाव पेट में लगा है, जबकि फोटो में वह पृष्ठीय भाग में लगा दिख रहा है, जो कि गौर के हमले से नहीं संभव है।
- एनटीसीए के प्रावधान के मुताबिक बाघ या बाघिन की ऐसी मौत की जांच यह मानकर शुरू की जाती है कि यह मौत शिकारी की गोली से हुई है। जब यह सिद्ध हो जाए कि मौत शिकारी की गोली से नहीं हुई है, तब मौत के अन्य कारणों की जांच होती है। पर इस मामले में ऐसा नहीं हुआ।