सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा, सच से डरती है भाजपा और झूठ की करती है राजनीति
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि समाज को सशक्त जागरूक और लोकतांत्रिक बनाने में पत्रकारिता की अहम भूमिका होती है।
लखनऊ, जेएनएन। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि समाज को सशक्त, जागरूक और लोकतांत्रिक बनाने में पत्रकारिता की अहम भूमिका होती है। हर परिस्थिति में निर्भीकता तथा निष्पक्षता के साथ ईमानदारी से सत्य के पक्ष में आवाज उठाने का काम पत्रकार ही करते हैं। इसीलिए लोगों का भरोसा समाचार पत्रों पर भी रहता है, लेकिन भाजपा सच से डरती है क्योंकि वह हर मोर्चे पर झूठ की राजनीति करने में विश्वास रखती है। समाचार पत्र और पत्रकार इसीलिए उसकी आंखों में खटकते हैं।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोमवार को बयान जारी कर कहा कि भाजपा के सत्ताधीशों की शह पर इन दिनों पत्रकारों के खिलाफ केस दर्ज कराने के कई मामले हुए है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की आवाज को दबाने-कुचलने के इन प्रयासों की निंदा करनी चाहिए। बीते 24 महीनों में सोशल मीडिया पर लिखी कथित आपत्तिजनक सामग्री के बहाने प्रदेश सरकार 16 लोगों को जेल भेज चुकी है। कई और जिलों में सरकार पत्रकारों के खिलाफ मुकदमे दर्ज करा चुकी है।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि पिछले दिनों फतेहपुर में कोरोना को लेकर सरकारी अव्यवस्था दिखाने पर जिलाधिकारी के निर्देश पर कई पत्रकारों के खिलाफ मुकदमें दर्ज कराए गए। जिलाधिकारी के इस रवैये से पत्रकारों में खासा रोष है। पत्रकारों ने वहां पर जल सत्याग्रह भी किया। अखिलेश यादव ने कहा कि चौथे स्तंभ पर हमला बर्दाश्त नहीं होगा।
झारखंड में बुरी तरह चुनाव हार चुकी भाजपा बिहार में भी जनता का विरोधी रुख़ समझ रही है, इसीलिए वो 150 करोड़ रुपए की ‘वर्चुअल रैली’ करके अपने धन-बल का प्रदर्शन कर विपक्ष का मनोबल तोड़ना चाहती है. बिहार में भाजपा का तथाकथित गठबंधन गुटबाज़ी और परस्पर अविश्वास का त्रिकोण बन गया है. pic.twitter.com/XrRZsrtUe2 — Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) June 8, 2020
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि नकल करने में समझदारी आवश्यक है। प्रदेश की भाजपा सरकार में अगर इतनी ही समझ होती तो वह समाजवादी पार्टी के उन कामों को आगे बढ़ाती जिससे प्रदेश में विकास की गतिविधियां बढ़तीं। मसलन यदि भाजपा की रूढ़िवादी सरकार वैज्ञानिक दृष्टिकोण के खिलाफ दुराग्रह न रखते हुए समाजवादी पार्टी की लैपटाॅप बांटने की दूरदर्शी योजना जारी रखती तो कोरोना के लाॅकडाउन पीरियड में शिक्षा गांव-गांव तक पहुंचती। गांव-देहात में रहने वाले तमाम छात्र स्मार्टफोन और लैपटाॅप के अभाव में आनलाइन शिक्षा से वंचित रह गए। भाजपाई गलती से युवाओं का एक साल बर्बाद हो गया। अब इसका जवाब तो नई पीढ़ी अगले चुनाव में ही देगी।