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सपा में शेरवानी की वापसी से यादव-मुस्लिम गठजोड़ होगा मजबूत

पार्टी 1996 से लेकर 2019 तक लोकसभा सीट ही नहीं विधानसभा सीटों पर भी दबदबाए बनाए रही थी। पांच बार से सांसद रहे सलीम इकबाल शेरवानी भी चार बार सपा के टिकट पर ही जीतकर दिल्ली तक पहुंचे थे।

By Vivek BajpaiEdited By: Published: Wed, 28 Oct 2020 04:40 PM (IST)Updated: Wed, 28 Oct 2020 04:40 PM (IST)
सपा में शेरवानी की वापसी से यादव-मुस्लिम गठजोड़ होगा मजबूत
रुहेलखंड में बदायूं सपा का गढ़ रहा है

बरेली, जेएनएन। रुहेलखंड में बदायूं सपा का गढ़ रहा है। पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सपा के किले को ध्वस्त कर दिया। यहां यादव-मुस्लिम गठजोड़ सपा की बड़ी ताकत रही है। इसी के बलबूते पार्टी 1996 से लेकर 2019 तक लोकसभा सीट ही नहीं विधानसभा सीटों पर भी दबदबाए बनाए रही थी। पांच बार से सांसद रहे सलीम इकबाल शेरवानी भी चार बार सपा के टिकट पर ही जीतकर दिल्ली तक पहुंचे थे। अब फिर शेरवानी की सपा में वापसी से पुराना गठजोड़ मजबूत होगा।

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सपा मुखिया मुलायम ङ्क्षसह यादव ने बदायूं से गहरा रिश्ता बनाया था। सलीम शेरवानी भी लंबे समय तक उनकी टीम के हिस्सा रहे। सपा भी उन पर भरोसा जताती रही और 1996, 1998, 1999 और 2004 के चुनाव में लगातार सांसद बनते रहे। 2009 के लोकसभा चुनाव में शेरवानी का टिकट काटकर मुलायम ङ्क्षसह यादव के भतीजे धर्मेंद्र यादव को यहां से मैदान में उतारने के बाद सपा से शेरवानी की दूरियां बढ़ती गईं। फिर उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया था। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पुराने नेताओं को फिर एकजुट करने कोशिश शुरू की तो सलीम शेरवानी की फिर सपा में वापसी हो गई है। उनका वर्षों से जिले के लोगों से जुड़ाव रहा है, इससे निश्चित रूप से सपा को मजबूती मिलेगी। कांग्रेस जिले में पहले से ही कमजोर थी। इनके जाने से और कमजोर हो गई है। बसपा भी मुस्लिमों को अपने साथ जोडऩे की कोशिश कर रही थी, लेकिन अब आसान नहीं रहेगा। भाजपा पर अभी तो कोई खास असर नहीं पड़ रहा है, लेकिन चुनौती जरूर बढ़ जाएगी। 

 शेरवानी की सियासी जमीन 

बदायूं में पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव लगातार दो बार सांसद रहे हैं। शेरवानी भी यहां से पांच बार सांसद रहे हैं। अब देखना यह है कि शेरवानी यहीं से दावा ठोकते हैैं या फिर आसपास के क्षेत्र में सियासत जमीन तैयार करते हैैं। इसको लेकर संशय बना हुआ है। 

आबिद रजा कहां रहेंगे अभी असमंजस 

सलीम शेरवानी के साथ पूर्व मंत्री आबिद रजा भी सपा छोड़कर कांग्रेस में आए थे। शेरवानी के साथ ही इनके भी सपा में जाने की अटकलें लगाई जा थीं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आबिद रजा का कहना है कि आजम खां परिवार के साथ अभी जेल में हैं, उनके जेल से बाहर निकलने पर ही सियासी फैसला करेंगे। 


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