सरकार ने मुख्य सतर्कता अधिकारियों से तलब की भ्रष्टाचार पर रिपोर्ट
हरियाणा सरकार ने भ्रष्टाचार के रास्ते बंद करने के लिए मुख्य सतर्कता अधिकारियों और गैर सरकारी सदस्यों को प्रशिक्षण के बाद क्रियान्वयन रिपोर्ट मांगी है।
चंडीगढ़ [सुधीर तंवर]। सरकार ने सभी विभागों और कल्याणकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार के रास्ते बंद करने के लिए मुख्य सतर्कता अधिकारियों और गैर सरकारी सदस्यों को प्रशिक्षण के बाद क्रियान्वयन रिपोर्ट मांगी है। सभी विभागों के मुखियाओं से पूछा गया है कि पिछले तीन महीने में उनके महकमे में भ्रष्टाचार की कितनी शिकायतें आईं और कौन अफसर इनमें शामिल थे। शिकायत की स्टेटस रिपोर्ट क्या है और अगर जांच में देरी हो रही है तो क्यों।
सतर्कता विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने सभी प्रधान सचिवों, विभागाध्यक्ष, मंडलायुक्त, उपायुक्त, हाई कोर्ट और विश्वविद्यालयों के रजिस्ट्रार के अलावा बोर्ड-निगमों के प्रबंध निदेशकों को लिखित आदेश जारी कर 29 जनवरी तक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। बाकायदा सभी विभागों को दो पेज का प्रोफार्मा थमाया गया है जिसमें विभिन्न बिंदुओं पर जवाब देने के साथ सभी विभागाध्यक्षों को अपनी टिप्पणी भी देनी पड़ेगी। सतर्कता विभाग द्वारा वर्ष 2015 से अब तक 362 ट्रैप केस के अलावा 445 मामले दर्ज किए हैं।
सरकार ने जानकारी मांगी है कि विभागों के पास भ्रष्टाचार की कितनी शिकायतें सीधे आईं और किस दिन। कितने मामलों में सतर्कता विभाग ने जांच के लिए रिपोर्ट मांगी है। इसके अलावा कल्याणकारी योजनाओं में अनियमितताएं रोकने के लिए कितनी जांच हुईं और लाभार्थियों को लाभ मिला या नहीं।
बता दें कि भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के मामले लगातार उजागर होने के बाद सभी विभागों में नए सिरे से मुख्य सतर्कता अधिकारियों की नियुक्ति की गई है। इससे पहले गोलमाल के मामलों को दबाने के लिए कई विभागों ने जूनियर अधिकारियों को ही जांच का जिम्मा सौंप रखा था। मामला संज्ञान में आने के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने तुरंत प्रभाव से सीनियर अफसरों को ही मुख्य सतर्कता अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश दिए थे। जिस व्यक्ति के खिलाफ शिकायत की गई है उसकी जांच उसके स्तर से कम से कम दो रैंक वरिष्ठ अधिकारी को भेजी जानी चाहिए ताकि किसी भी प्रकार की मिलीभगत न हो सके।
निर्माण कार्यों की भी जांच
विभागीय स्तर पर चल रहे निर्माण कार्यों की आंतरिक जांच भी कराई जाएगी। विभागाध्यक्षों से पूछा गया है कि कहां-कहां निर्माण कार्यों में अनियमितताओं की जांच की और कब। परियोजनाओं की अनुमानित लागत क्या थी और हकीकत में कितना खर्च हुआ। जांच में रिजल्ट क्या रहा और दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई। उनसे कितने नुकसान की रिकवरी हुई। इसी तरह कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में देरी पर क्या एक्शन लिया गया।
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