West Bengal: दशहरा पर विमल गुरुंग के खिलाफ दार्जिलिंग में रैली, थुलुंग बोले-पहाड़ को अशांत नहीं होने दूंगा
Dussehra दशहरा के मौके पर अचानक रविवार को दार्जिलिंग के विभिन्न क्षेत्रों से गोरखा जनमुक्ति युवा मोर्चा की ओर से विमल गुरुंग के खिलाफ शांति रैली निकाली गई। विनय तमांग गुट का ऐसा मानना है कि विमल गुरुंग के पहाड़ पर आने से फिर पहाड़ अशांत हो जाएगा।
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी। Dussehra: गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष विमल गुरुंग के साथ तृणमूल कांग्रेस के हुए समझौते के बाद से पहाड़ की राजनीति गरमाने लगी है। दशहरा के मौके पर अचानक रविवार को दार्जिलिंग के विभिन्न क्षेत्रों से गोरखा जनमुक्ति युवा मोर्चा की ओर से विमल गुरुंग के खिलाफ शांति रैली निकाली गई। दार्जिलिंग चोरस्ता पर जमा हुई भीड़ को संबोधित करते हुए विनय तमांग गुट के गोरखा जनमुक्ति युवा मोर्चा के अध्यक्ष आलोक कांति मनी थुलुंग ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि गोरखा जनमुक्ति मोर्चा विनय तमांग का गुट विमल गुरुंग के पहाड़ पर आने के पक्ष में नहीं है। विनय तमांग गुट का ऐसा मानना है कि विमल गुरुंग के पहाड़ पर आने से फिर पहाड़ अशांत हो जाएगा।
थुलुंग ने कहा कि पहाड़ अगर अशांत होता है तो इसकी जिम्मेदारी केंद्र और राज्य सरकार की होगी। केंद्र और राज्य सरकार गोरखा के भावना के साथ लगातार खेलती आ रही है। दार्जिलिंग हिल्स के लोगों को परमानेंट सॉल्यूशन का सपना दिखाया गया, वह भी पूरा नहीं हो पाया है। जनसभा के माध्यम से विमल के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कहां है कि पहाड़ को किसी भी हाल में अब अशांत नहीं होने दिया जाएगा। पहाड़ की जनता विकास के पक्ष में हैं। विमल के आने से पहाड़ फिर एक बार अशांत हो सकता है। पहाड़ पर विमल गुरुंग के खिलाफ आवाज उठा कर पहाड़ की राजनीति को एक नया मोड़ देने का प्रयास किया जा रहा है, आज रैली फिर एक बार पहाड़ के लिए कुछ नया संकेत दे रही है। ऐसा लग रहा है कि गोरखालैंड मुद्दे को लेकर बाहर की राजनीति फिर एक बार करवट लेने वाली है। जिस प्रकार आज दार्जिलिंग में लोग विमल गुरुंग के खिलाफ सड़कों पर उतरे और निश्चित रूप से पहाड़ के लिए एक अच्छा संकेत नहीं है। इसके साथ कालिमपोंग में विमल गुरुंग के समर्थकों ने विनय तमांग और अनित थापा के खिलाफ पोस्टर लगाया है।
जीजेएम नेता विमल गुरुंग ने कहा था कि बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनाव में हम ममता बनर्जी नीत तृणमूल कांग्रेस का समर्थन करेंगे और भाजपा का विरोध करेंगे। केंद्र ने उनके द्वारा की गई प्रतिबद्धता को पूरा नहीं किया, लेकिन ममता बनर्जी ने अपने द्वारा किए गए सभी वादों को पूरा किया। इसलिए, मैं खुद को एनडीए से अलग करना चाहूंगा, मैं बीजेपी के साथ अपने संबंध तोड़ना चाहूंगा। 2021 के बंगाल चुनाव में हम टीएमसी के साथ गठबंधन करेंगे और बीजेपी को जवाब देंगे।
गुरुंग ने कहा था कि मैं केवल इतना कहना चाहता हूं कि गोरखालैंड की हमारी मांग अभी भी बनी हुई है, हम इस कारण को आगे बढ़ाएंगे। यह हमारा उद्देश्य है, हमारी दृष्टि है। 2024 के चुनाव में, हम उस पार्टी का समर्थन करेंगे जो इस कारण को आगे बढ़ाएगी। दार्जिलिंग में आंदोलन के बाद 2017 से फरार चल रहे जीजेएम सुप्रीमो विमल गुरुंग कोलकाता के पास साल्ट लेक इलाके में नजर आए। दार्जिलिंग में अलग राज्य के लिए आंदोलन के बाद 2017 से फरार चल रहे जीजेएम सुप्रीमो विमल गुरुंग ने बीतेु बुधवार को कहा कि उनके संगठन ने राजग से बाहर होने का फैसला किया था, क्योंकि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पहाड़ी क्षेत्र के लिए ''स्थायी राजनीतिक समाधान तलाशने में नाकाम रही है।''
करीबी सहयोगी रोशन गिरि के साथ सामने आए गुरुंग ने कहा कि केंद्र सरकार 11 गोरखा समुदायों को अनुसूचित जनजाति के तौर पर चिन्हित करने के अपने वादे को पूरा करने में नाकाम रही है। उन्होंने कहा कि 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ मुकाबले में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस का समर्थन करने का संकल्प जताया। गुरुंग ने यहां एक होटल में संवाददाता सम्मेलन में कहा, ''2009 से ही हम राजग का हिस्सा रहे हैं लेकिन भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने पहाड़ के लिए स्थायी राजनीतिक समाधान निकालने का अपना वादा नहीं निभाया। उसने अनुसूचित जनजाति की सूची में 11 गोरखा समुदायों को शामिल नहीं किया। हम ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं इसलिए आज हम राजग छोड़ रहे हैं।''
गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) नेता गुरंग ने कहा था कि कि पहाड़ छोड़ने के बाद वह तीन साल नयी दिल्ली में रहे और दो महीने पहले झारखंड चले गए थे। उन्होंने कहा, ''अगर आज मैं गिरफ्तार हो गया तो कोई दिक्कत नहीं।'' आंदोलन में कथित तौर पर हिस्सा लेने के लिए गुरुंग के खिलाफ 150 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए थे।
बिमल गुरुंग के समर्थकों का कहना है कि विमल गुरु के आने की खबर से ही विनय तमांग गुट के नेता और समर्थक पूरी तरह डरे हुए हैं उन्हें पता है कि विमल गुरु के आते ही बाहर पर उनकी एक नहीं चलने वाली। आरोप-प्रत्यारोप और विरोध प्रदर्शन के बीच यह तो तय माना जा रहा है कि पहाड़ पर फिर एक बार गोरखालैंड के समर्थन में राजनीति गरमाने वाली है।