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Rajasthan Political Crisis: अशोक गहलोत ने दिखाया दम तो सचिन पायलट भी आर-पार की जंग के मूड में

सचिन पायलट की बागी उड़ान थामने के लिए कांग्रेस हाईकमान उन्हें मनाने-समझाने के सारे प्रयास कर रहा है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 13 Jul 2020 10:32 PM (IST)Updated: Tue, 14 Jul 2020 07:39 AM (IST)
Rajasthan Political Crisis: अशोक गहलोत ने दिखाया दम तो सचिन पायलट भी आर-पार की जंग के मूड में
Rajasthan Political Crisis: अशोक गहलोत ने दिखाया दम तो सचिन पायलट भी आर-पार की जंग के मूड में

संजय मिश्र, नई दिल्ली। राजस्थान में कांग्रेस के अंदरूनी सियासी रण के पहले राउंड में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधायकों के समर्थन का दम दिखाते हुए अपनी सरकार पर मंडराते खतरे को फिलहाल टाल दिया है, मगर पार्टी के इस गंभीर राजनीतिक संकट का पटाक्षेप अभी नहीं हुआ है। उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने आर-पार की जंग का खम ठोकते हुए अपनी मांगों-शर्तों से पीछे हटने से इन्कार कर दिया है। साथ ही भाजपा में शामिल होने की चर्चाओं को नकारते हुए पायलट ने 106 विधायकों के समर्थन के गहलोत के दावे को खारिज करते हुए कहा कि सीएम के पास 84 विधायक ही हैं। हालांकि पायलट की बागी उड़ान थामने के लिए कांग्रेस हाईकमान उन्हें मनाने-समझाने के सारे प्रयास कर रहा है। इसके लिए सुलह के फार्मूले के साथ बगावत की राह छोड़ने पर पायलट का सियासी सम्मान कांग्रेस में कायम रखने का विकल्प खुला रखने का भी संदेश दिया है। 

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नाराजगी को लेकर खुली चर्चा करने की अपील

कांग्रेस ने इसी रणनीति के तहत मंगलवार को सुबह दस बजे जयपुर में दोबारा विधायक दल की बैठक बुलाने का फैसला किया है। पार्टी के संकट समाधान अभियान की जयपुर में कमान संभाल रहे रणदीप सुरजेवाला ने इसकी घोषणा करते हुए पायलट और उनके समर्थकों से इस बैठक में शामिल होकर नाराजगी को लेकर खुली चर्चा करने की अपील की। कांग्रेस रणनीतिकारों का कहना है कि पायलट यदि पार्टी नहीं छोड़ना चाहते तो फिर वे इस विकल्प को गंभीरता से लेंगे। गहलोत-पायलट जंग से सरकार पर आए संकट को टालने के लिए रविवार को ही तीन वरिष्ठ नेताओं को तत्काल जयपुर भेजने का हाईकमान का कदम पहले चरण में कामयाब रहा। 

विधायकों के सहारे फिलहाल सरकार का संकट टाला

रणदीप सुरजेवाला, अजय माकन और अविनाश पांडेय की मौजूदगी में मुख्यमंत्री गहलोत के निवास पर सोमवार को विधायक दल की बैठक बुलाई गई, जिसमें 106 विधायकों के शामिल होने का दावा किया गया। बहुमत के लिए जरूरी 101 के आंकड़े से अधिक विधायकों के साथ होने का भरोसा होते ही गहलोत और कांग्रेस के केंद्रीय नेताओं ने बाहर आकर विजयी चिह्न दिखाते हुए तस्वीरें खिंचवाई। इतना ही नहीं, पायलट और उनके समर्थक विधायकों को बगावत नहीं छोड़ने पर परोक्ष कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई। 

 

कांग्रेस के पांच वरिष्‍ठ नेताओं ने की फोन पर बात  

इसके लिए विधायक दल की बैठक में कांग्रेस की सरकार को अस्थिर करने वालों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का प्रस्ताव भी पारित कराया गया। इसके बाद पायलट के तेवरों और भाजपा के ऑपरेशन लोटस की आशंका के चलते विधायकों को सुरक्षित रखने के लिए उन्हें जयपुर में ही एक रिसॉर्ट में भेज दिया गया। इस बीच राजधानी दिल्ली में विधायक दल की बैठक से पहले और फिर उसके बाद भी कांग्रेस हाईकमान से लेकर पार्टी के शीर्ष नेताओं के स्तर पर लगातार पायलट को समझाने का प्रयास पूरे दिन चलता रहा। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के अलावा कम से कम पांच वरिष्ठ नेताओं ने पायलट से फोन पर बात कर उन्हें जयपुर जाने की सलाह दी। इन दोनों के अलावा वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम, अहमद पटेल और संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने पायलट से कहा कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री आपस में सीधे बातचीत कर विवाद का हल निकाल लें। इन नेताओं ने पार्टी और हाईकमान की पायलट के प्रति स्नेह और सम्मान की बात भी कही। 

पायलट के दावों से कांग्रेस नेतृत्‍व हुआ असहज 

कांग्रेस नेतृत्व की ओर से यह भी संदेश दिया गया कि गहलोत को भी हाईकमान की ओर से सुलह का फार्मूला निकालने का उचित दिशा-निर्देश भेजा जा चुका है। हालांकि पायलट ने इसके बाद भी अपने रुख में नरमी नहीं दिखाई और बहुमत विधायकों के मुख्यमंत्री के साथ होने के दावे पर सवाल उठाते हुए यह संदेश दिया कि कम से कम 23 विधायक अब भी उनके साथ हैं। पार्टी के शीर्ष स्तर पर मनाने के प्रयासों के बीच जब पायलट ने दोबारा गहलोत के पास केवल 84 विधायकों के होने का बयान जारी किया तब कांग्रेस नेतृत्व इससे असहज हो गया। पार्टी के उच्चपदस्थ सूत्रों ने कहा कि पायलट की सियासी मान-मर्यादा का पूरा ख्याल रखने का संदेश देने के बाद भी पायलट ने 23 विधायकों के समर्थन का खम ठोका है। उससे साफ है कि भाजपा से अब भी उनकी बातचीत चल रही है। 

पायलट अब आर-पार के मूड में

पार्टी के अनुसार इसीलिए सुलह से ज्यादा सचिन अपनी ताकत दिखाने का प्रयास कर रहे हैं। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि पायलट के पास 10 से 12 विधायक ही हैं और गहलोत सरकार को कोई खतरा नहीं है। पार्टी के उच्च सूत्रों ने यह भी दावा किया कि राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार को हराने की साजिश से जुड़े कुछ संगीन सुबूत जिसमें पायलट भी सवालों के घेरे में हैं, उसे अशोक गहलोत ने केसी वेणुगोपाल के जरिये सोनिया गांधी और राहुल गांधी को पहले ही भेज दिए थे।

सूत्रों के अनुसार, इस प्रकरण की वजह से पार्टी में अपनी कमजोर पड़ती स्थिति को भांपते हुए पायलट अब आर-पार के मूड में हैं ताकि उपमुख्यमंत्री के साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद भी उनके पास रहे और हाईकमान से वे इसका ठोस भरोसा चाह रहे हैं। मगर आपसी टकराव में पार्टी हित को नुकसान पहुंचाने के खेल से असहज कांग्रेस नेतृत्व का संदेश है कि पायलट पहले जयपुर जाकर गहलोत से सीधे बात कर टकराव खत्म करें। 


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