सचिन पायलट के 5 खास साथियों ने ही छोड़ा साथ, गहलोत प्रदेश की राजनीति से पायलट को बाहर करने में जुटे
पायलट के अपने 5 विश्वस्तों ने उनका साथ छोड़ दिया है। तीन दिन पहले तक अपने साथ 30 विधायकों का समर्थन होने का दावा कर रहे पायलट के पास अब सिर्फ 25 विधायक बचे हैं।
जयपुर, नरेंद्र शर्मा। राजस्थान में पिछले छह दिन से चल रहे सियासी तूफान में एक तरफ जहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सचिन पायलट को प्रदेश की राजनीति से बाहर करने की कोशिश में जुटे हैं। वहीं दूसरी तरफ पायलट के अपने 5 विश्वस्तों ने उनका साथ छोड़ दिया है। तीन दिन पहले तक अपने साथ 30 विधायकों का समर्थन होने का दावा कर रहे पायलट के पास अब सिर्फ 25 विधायक बचे हैं।
पायलट का साथ छोड़ने वालों में परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, विधायक दानिश अबरार, चेतन डूडी, रोहित बोहरा व प्रशांत बैरवा शामिल है। ये सभी वे नेता हैं जो पिछले साढ़े छह साल से पायलट के साथ काम कर रहे थे। पायलट के कारण ही इन्हे विधानसभा का टिकट मिला और मंत्री बनाया गया।
खाचरियावास जहां पिछले सप्ताह तक पायलट के खास हुआ करते थे, वहीं चारों विधायक रविवार को दिल्ली जाकर पायलट कैंप से वापस गहलोत खेमें में पहुंच गए। इन पांचों खास साथियों के साथ छोड़ने से पायलट कैंप को गहरा धक्का लगा है। अपने 5 पुराने साथियों के साथ छोड़ने के बाद पायलट के पास कांग्रेस विधायकों की संख्या 19 रह गई, हालांकि 3 निर्दलीय उनका समर्थन कर रहे हैं।
वहीं भारतीय ट्राइबल पार्टी के 2 और माकपा के 1 विधायक ने भी पायलट का साथ देने का वादा किया है। इस तरह पायलट के समर्थकों की संख्या 25 हो गई। प्रदेश के पुराने कांग्रेसियों का मानना है कि गहलोत और पायलट के बीच चल रहा सियासी घमासान तब ही शांत हो सकता है जब आलाकमान पायलट के लिए कोई नई भूमिका तय कर दे।
गहलोत ने खुलकर पायलट पर लगातार तीन दिन तक हमला बोला। भाजपा के साथ मिलकर सरकार गिराने सहित कई व्यक्तिगत आरोप भी लगाए। हालांकि पायलट ने गहलोत के खिलाफ कोई आरोप नहीं लगाए। गहलोत के साथ ही उनके समर्थक पिछले पांच दिन से इस तरह का माहौल बनाने में जुटे हैं कि पायलट को जल्द ही प्रदेश की राजनीति से बाहर कर दिया जाए। पायलट से पहले ही डिप्टी सीएम और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद छीन लिया गया। उनके विश्वस्त युवक कांग्रेस और सेवादल के अध्यक्षों को बदल दिया गया। साथ ही संगठन की प्रदेश से लेकर ब्लॉक स्तर की कार्यकारिणी भंग कर दी गई। कार्यकारिणी में अधिकांश समर्थक पायलट के ही थे।