Rajasthan Political Crisis: भाजपा चाहती है लंबी चली कांग्रेस की आपसी लड़ाई, सचिन पायलट खेमे के संपर्क में है पार्टी के नेता
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया राज्य विधानसभा में उप नेता राजेंद्र राठौड़ सहित कुछ वरिष्ठ नेता सचिन पायलट खेमे के विधायकों के संपर्क में है।
नरेन्द्र शर्मा, जयपुर । राजस्थान कांग्रेस में पिछले 19 दिनों से चला संघर्ष चरम पर पहुंच गया । मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रहे सियासी संघर्ष में विधानसभा स्पीकर, राज्यपाल, हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया । मुख्यमंत्री गहलोत ने न्याय के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखने के साथ ही राष्ट्रपति को कांग्रेस विधायकों की तरफ से ज्ञापन भेजा । राजस्थान भाजपा ऊपरी तौर पर तो कह रही है कांग्रेस की आंतरिक लड़ाई से हमारा कोई सरोकार नहीं है। लेकिन वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, राज्य विधानसभा में उप नेता राजेंद्र राठौड़ सहित कुछ वरिष्ठ नेता सचिन पायलट खेमे के विधायकों के संपर्क में है।
भाजपा को कांग्रेस में टूट होने का इंतजार
सचिन पायलट खेमे के एक विधायक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि पूनिया व राठौड़ पिछले सप्ताह मानेसर आकर उनसे मिले थे। प्रदेश भाजपा के नेता चाहते हैं कि कांग्रेस के दिग्गजों की लड़ाई लंबी चले । भाजपा नेताओं का मानना है कि यह लड़ाई जितनी लंबी चलेगी उतना ही उन्हे फायदा है । भाजपा नेताओं का मानना है कि गहलोत ज्यादा दिन तक अपने खेमे के विधायकों को एकजुट नहीं रख सकेंगे, जैसे ही विधायक होटल से बाहर निकलेंगे उनमें टूट होगी।
विधायकों की टूट का फायदा सचिन पायलट खेमे को मिलेगा । टूटे हुए विधायक सचिन पायलट के साथ जाएंगे। अगर योजना सफल हुई तो भाजपा समर्थन देकर सचिन पायलट के नेतृत्व में सरकार बनवाएगी । प्रदेश के भाजपा नेता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को भी इस बात के लिए तैयार करने में जुटे हैं कि मौका मिलने पर पायलट की अगुवाई में सरकार बनवाई जाए ।
सीएम पायलट के लिए कांग्रेस के दरवाजे बंद करने में जुटे
सचिन पायलट ने करीब तीन सप्ताह के सियासी संग्राम के दौरान एक बार भी गहलोत अथवा कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ सार्वजनिक रूप से कोई बयान नहीं दिया । वहीं गहलोत पायलट के खिलाफ बोलने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे । पिछले दिनों उन्होंने पायलट को नाकारा, निकम्मा तक बता दिया। गहलोत ने कहा डेढ़ साल से उनकी पायलट से बात नहीं हुई। दरअसल, गहलोत पायलट के कांग्रेस में बने रहने के सभी दरवाजे बंद करना चाहते हैं। गहलोत नहीं चाहते कि पायलट कांग्रेस में रहकर उन्हें भविष्य में फिर चुनौती दे। उधर, सचिन पायलट शुरू से ही भाजपा में शामिल होने से इंकार कर रहे हैं, लेकिन प्रदेश बीजेपी के नेताओं को उम्मीद है कि वे कुछ समय बाद उनके साथ जरूरत आएंगे ।
विधानसभा का आंकड़ा
200 सदस्यीय विधानसभा में सचिन पायलट के साथ 19 कांग्रेस के और 3 निर्दलीय विधायक हैं । वहीं भाजपा के खुद के 72 और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के 3 विधायक है। वहीं गहलोत के पास कांग्रेस के 88, निर्दलीय 10, भारतीय ट्राइबल पार्टी के 2, माकपा व रालोद के 1-1 विधायक हैं ।