Rajasthan: खिलाड़ियों को बिना परीक्षा के नौकरी देगी राजस्थान सरकार, पुरस्कार राशि भी दी जाएगी
गहलोत सरकार खिलाड़ियों को बिना किसी प्रतियोगी परीक्षा के नौकरी देगा। खिलाड़ियों को उनके मेडल के आधार पर नौकरी दी जाएगी।
जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार खिलाड़ियों को बिना किसी प्रतियोगी परीक्षा के नौकरी देगा। खिलाड़ियों को उनके मेडल के आधार पर नौकरी दी जाएगी। राज्य के खेल विभाग ने खिलाड़ियों से नौकरी के लिए आावेदन मांगे हैं। शुरूआत में 465 खिलाड़ियों को नौकरी दी जाएगी।
राज्य के खेलमंत्री अशोक चांदना का कहना है कि बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को आउट ऑफ टर्न नौकरी देने का सिलसिला जारी रहेगा। फिलहाल इस दायरे में 2014 के मेडलिस्ट खिलाड़ियों को शामिल नहीं किया गया, इन्हे अगले चरण में नौकरी दी जाएगी। अशोक चांदना ने बताया कि प्रदेश के कुल 465 खिलाड़ियों को सबसे पहले इस दायरे में लाया गया है। ये सभी खिलाड़ी वर्ष 2016 के बाद मेडलिस्ट हैं।
आउट ऑफ टर्न नियुक्ति पाने वाले खिलाड़ियों को विभिन्न श्रेणियों में रखा गया है। पहली श्रेणी यानी 'ए' केटेगरी में ओलंपिक, पैरा ओलंपिक के पदक विजेता, वर्ल्ड कप, वर्ल्ड चैंपियनशिप, एशियन कॉमनवेल्थ क्रिकेट वर्ल्ड कप चैंपियनशिप के विजेता या उपविजेता को रखा गया है। वहीं 'बी' कैटेगरी में एशियन चैंपियनशिप और साउथ एशियन गेम्स के पदक विजेताओं को रखा गया है। 'सी' केटेगरी में नेशनल गेम्स और नेशनल पैरा गेम्स के पदक विजेत तथा रणजी ट्रॉफी के विजेता शामिल किए गए हैं। इनमें 'ए' कैटेगरी में नौकरी पाने वालों में 10, 'बी' कैटेगरी में 13 और 'सी' कैटेगरी में 443 खिलाड़ी शामिल हैं।
हालांकि नियमों में पेचीदगियों का हवाला देते हुए राज्य में 2014 के एशियन मेडलिस्ट खिलाड़ियों को पहले चरण में नौकरी नहीं दी जा रही है। इन्हे अगले वित्तीय वर्ष में सरकारी नौकरी दी जाएगी। खेल मंत्री ने कहा कि आउट ऑफ टर्न नौकरी का कानून वर्ष 2016 में लाया गया था। लेकिन इसके बाद भी पिछली सरकार ने एक भी खिलाड़ी को नौकरी नहीं दी ।
अब गहलोत सरकार ने बेहतर खेलने वाले खिलाड़ियों को नौकरी देने का सिलसिला शुरू किया है। मंगलवार से आवेदन मांगे गए हैं। सरकार पारंपरिक ग्रामीण खेलों को बढ़ावा देने के लिए भी योजना बना रही है। इसके तहत कई सालों से प्रदेश में खेले जा रहे उन खेलों की सूची तैयार की गई है, जिनका चलन अब खत्म होता जा रहा है, नई पीढ़ी की इनके प्रति दिलचस्पी नहीं है। इसके साथ ही सरकार ने खिलाड़ियों की कई सालों से अटकी पुरस्कार राशि भी देने का निर्णय लिया है।