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Rajasthan: स्थानीय निकाय में पार्षद मनोनीत होंगे दिव्यांग

Ashok Gehlot राजस्थान में स्थानीय निकायों में दिव्यांगों को सदस्य मनोनीत किया जाएगा। दिव्यांगों के प्रदेश के निकायों में सदस्यों के रूप में मनोनीत होने से उनका मनोबल भी बढ़ेगा। साथ ही वे राजनीति में सक्रिय होकर अपने साथियों के आवाज को भी मजबूती से उठा पाएंगे।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 04:49 PM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 05:09 PM (IST)
Rajasthan: स्थानीय निकाय में पार्षद मनोनीत होंगे	दिव्यांग
सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि दिव्यांग स्थानीय निकाय में पार्षद मनोनीत होंगे।

जागरण संवाददाता, जयपुर। Ashok Gehlot: देश में पहली बार राजस्थान में स्थानीय निकायों में दिव्यांगों को सदस्य मनोनीत किया जाएगा। दिव्यांगों के प्रदेश के निकायों में सदस्यों के रूप में मनोनीत होने से उनका मनोबल भी बढ़ेगा। साथ ही, वे राजनीति में सक्रिय होकर अपने साथियों के आवाज को भी मजबूती से उठा पाएंगे। इस संबंध में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने स्थानीय निकाय विभाग को निर्देश दिए हैं। पिछले कई साल से दिव्यांगजनों को निकायों में भागीदारी देने की मांग चल रही थी। इसके बाद पिछले दिनों राज्य सरकार ने यह कदम उठाया। दावा किया जा रहा है कि दिव्यांगों की राजनीति और सत्ता में भागीदारी वाला राजस्थान ऐसा पहला राज्य है।

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राज्य सरकार के इस फैसले को लेकर दिव्यांग अधिकारी महासंघ के उपाध्यक्ष हेमंत भाई गोयल का कहना है कि यह एक क्रांतिकारी फैसला है। गोयल के मुताबिक, इस फैसले के बाद जिस तरह से राजनीति और नौकरियों में तमाम वर्गों को आरक्षण का लाभ मिलता है। अब ठीक उसी तरह से दिव्यांगों के लिए भी स्थानीय निकायों में सदस्य की सीटें आरक्षित होगी। वे नगर निगम और नगर परिषद में पार्षद के रूप में मनोनीत किए जाएंगे।उल्लेखनीय है कि इस संबंध में दिव्यांगों की तरफ से विशेष योग्यजन न्यायालय में याचिका दायर करने के साथ ही मुख्यमंत्री को ज्ञापन दिया था। स्थानीय निकायों में चुनाव संपन्न होने के बाद राज्य सरकार अपने स्तर पर एक या दो दिव्यांगों को पार्षद मनोनीत करेगी। 

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच चल रहे सियासी संग्राम के चलते 100 दिन से प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा बिना अपनी टीम के काम कर रहे हैं। डोटासरा को प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बने हुए 100 दिन पूरे हो गए हैं। इन 100 दिनों के दौरान डोटासरा पूरे प्रदेश कांग्रेस संगठन में अकेले ही एकमात्र पदाधिकारी रहे हैं। इस अवधि में ब्लॉक से लेकर प्रदेश कार्यकारिणी में एक भी पदाधिकारी की नियुक्ति नहीं हो पाई है। अग्रिम संगठनों की कार्यकारिणी भी भंग है।


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