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Rajasthan: केंद्रीय कृषि कानून के खिलाफ राजस्थान विधानसभा में तीन संशोधन विधेयक पारित

Rajasthan Assembly केंद्रीय कानूनों के खिलाफ पंजाब के बाद राजस्थान में संशोधन विधेयक पारित कराते हुए सरकार ने कहा कि इससे किसान को राहत मिलेगी। इससे पहले करीब छह घंटे इन संशोधन विधेयकों पर बहस हुई जिसमें सत्तापक्ष और विपक्ष के विधायक शामिल हुए।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Mon, 02 Nov 2020 08:59 PM (IST)Updated: Mon, 02 Nov 2020 08:59 PM (IST)
Rajasthan: केंद्रीय कृषि कानून के खिलाफ राजस्थान विधानसभा में तीन संशोधन विधेयक पारित
केंद्रीय कृषि कानून के खिलाफ राजस्थान विधानसभा में तीन संशोधन विधेयक पारित।

जागरण संवाददाता, जयपुर। Rajasthan Assembly: केंद्रीय कृषि कानूनों को बायपास करने के लिए राजस्थान सरकार ने सोमवार को राज्य विधानसभा में तीन संशोधन विधेयक पारित कराए। अब ये राज्यपाल कलराज मिश्र के पास मंजूरी के लिए भेजे जाएंगे। केंद्रीय कानूनों के खिलाफ पंजाब के बाद राजस्थान में संशोधन विधेयक पारित कराते हुए सरकार ने कहा कि इससे किसान को राहत मिलेगी। इससे पहले करीब छह घंटे इन संशोधन विधेयकों पर बहस हुई, जिसमें सत्तापक्ष और विपक्ष के विधायक शामिल हुए। सत्तापक्ष की तरफ से चार वरिष्ठ मंत्रियों ने सरकार का पक्ष रखा। इसी बीच, एक बात सामने आई कि केंद्रीय कृषि कानून के जिस प्रावधान के खिलाफ कांग्रेस ने सबसे अधिक विरोध किया था, उसी का प्रदेश के संशोधन विधेयकों में प्रावधान नहीं किया गया।

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कांग्रेस ने केंद्रीय कृषि कानून में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) खरीद का प्रावधान शामिल करने की मांग की थी, लेकिन प्रदेश के विधेयकों में इसका प्रावधान नहीं है। यहां केवल संविदा खेती में ही एमएसपी का प्रावधान है। सामान्य किसान द्वारा मंडी में या अन्य जगह उपज बेचने पर एमएसपी का प्रावधान नहीं किया गया। कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवद्र्धन और सरलीकरण) संशेधन विधेयक में एमएसपी का प्रावधान नहीं है। हालांकि विधेयक में किसान के उत्पीड़न पर तीन से सात साल की सजा और पांच लाख के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

करार के बावजूद भी किसान की उपज नहीं खरीदने और तीन दिन में भुगतान नहीं करना किसान का उत्पीड़न माना जाएगा। संविदा खेती को छोड़कर सामान्य मामलों में किसान द्वारा फसल बेचने पर एमएसपी की बाध्यता लागू नहीं होगी। केंद्रीय कृषि कानूनों को बायपास करने के लिए अशोक गहलोत सरकार ने तीन विधेयक पारित किए, जिनमें कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य संवर्धन व सरलीकरण राजस्थान संशोधन विधेयक-2020, कृषक सशक्तिकरण और संरक्षण कीमत आश्वासन व कृषि सेवा पर करार राजस्थान संशोधन विधेयक-2020, आवश्यक वस्तु विशेष उपबंध और राजस्थान संशोधन विधेयक-2020 शामिल है।

पक्ष-विपक्ष के विधेयकों ने रखे तर्क

कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों के खिलाफ कानून बनाया है। ये कानून किसी भी तरह से किसानों के हित में नहीं है। राज्य सरकार इसका विरोध करती है। उन्होंने कहा कि केंद्र के कानून से बड़ी कंपनियां किसानों को मजदूर बना देगी। मंडियां खत्म हो जाएंगी। सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना ने कहा कि किसान की उपज सीधे कंपनियां खरीदेगी, जिससे आढ़तिया बर्बाद हो जाएगी। भाजपा विधायक दल के उप नेता राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि राज्य सरकार केंद्र के बिल के लिए ऐसी भाषा का प्रयोग कर रही है। जैसे वो पाकिस्तान की सरकार का हो। राज्य सरकार का विधेयक संविधान के खिलाफ है। दोनों पक्षों के एक दर्जन विधायकों ने अपना पक्ष रखा।

मास्क को अनिवार्य किया गया, कानून बना

राजस्थान में कोविड-19 के संक्रमण को रोकने के लिए अब सार्वजनिक स्थान, लोक परिवहन, निजी परिवहन कार्यस्थल या किसी भी सामाजिक राजनीतिक आम समारोह या जमात में मास्क पहनना अनिवार्य होगा। इसके लिए राज्य विधानसभा में सोमवार को विधेयक पारित किया गया। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट कर कहा कि देश में पहली बार राजस्थान में मास्क को अनिवार्य करने को लेकर कानून बनाया गया है। विधानसभा में पारित राजस्थान महामारी अधिनियम-2020 की धारा चार में संशोधन करने के बाद सोमवार शाम को पारित किया गया। कोरोना महामारी को नियंत्रण करने और उसकी रोकथाम के लिए राज्य सरकार ने प्रावधान किए हैं। इसमें सामान्य नियमित तोड़ने पर 200 से 2000 के जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है।

कानून के महत्वपूर्ण प्रावधान तोड़ने पर 10 हजार तक का जुर्माना व दो साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है। कानून में सरकार को किसी भी भवन का अधिग्रहण करने, दुकानों को खोलने व बंद करने, राज्य की सीमा सील करने का प्रावधान किया गया है। कानून के अनुसार, किसी भी प्रथा या कृत्य के तहत भीड़ एकत्रित होने से रोकने,किसी भी व्यक्ति को क्वारंटीन करने, सामाजिक दूरी के संबंध में आदेश जारी करने, सार्वजनिक स्थानों पर भीड़ एकत्रित होने से रोकने के प्रावधान किए गए हैं। 


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