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मौका या मुसीबत: नेता विपक्ष पर कांग्रेस में होगी खींचतान, किरण व कुलदीप सहित कई दावेदार

हरियाणा की राजनीति में चुनाव के मौके पर बड़ा बदलाव आया है। नेता विपक्ष का पद इनेलो से छिन गया है और यह कांग्रेस को मिलने वाला है। लेकिन कई दावेदार होने से पार्टी में खींचतान होगी।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 26 Mar 2019 06:12 PM (IST)Updated: Wed, 27 Mar 2019 09:05 AM (IST)
मौका या मुसीबत: नेता विपक्ष पर कांग्रेस में होगी खींचतान, किरण व कुलदीप सहित कई दावेदार
मौका या मुसीबत: नेता विपक्ष पर कांग्रेस में होगी खींचतान, किरण व कुलदीप सहित कई दावेदार

चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। अभय सिंह चौटाला को हरियाणा विधानसभा में नेता विपक्ष से हटाए जाने के बाद यह पद अब कांग्रेस के हिस्‍से में जाएगा। अब विपक्ष के नेता का पद कांग्रेस के हिस्से में आएगा। राज्‍य की राजनीति में कांग्रेस के लिए यह बड़ा मौका है, लेकिन पार्टी में इस पद के कई दावेदार होने से खींचतान बढ़ेगी। इस वजह से कांग्रेस के लिए यह मौका नई मुसीबत भी खड़ी कर सकती है। कांग्रेस विधायक दल की नेता किरण चौधरी के अलावा पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और वरिष्‍ठ नेता कुलदीप बिश्‍नोई इस पद के दावेदार हैं।

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अब हरियाणा में कांग्रेस का बनेगा नेता प्रतिपक्ष, स्पीकर ने अशोक तंवर व किरण चौधरी को भेजा पत्र

विधानसभा स्पीकर ने इस संबंध में औपचारिक कार्रवाई कर दी है। विपक्ष के नेता पद के लिए नाम भेजने को विधानसभा सचिवालय की ओर से हरियाणा कांग्रेस विधायक दल की नेता किरण चौधरी तथा प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. अशोक तंवर को पत्र भेजा जा रहा है।

इन सबके बीच गुटों में बंटी कांग्रेस के सामने अब विपक्ष के नेता पद को लेकर धर्म संकट खड़ा हो सकता है। किरण चौधरी कांग्रेस विधायक दल की नेता हैैं। इस लिहाज से विपक्ष के नेता पद पर किरण चौधरी की प्रबल दावेदारी बनती है। लेकिन, जिस तरह 17 विधायकों में से 13 पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा समर्थक हैैं, उसे देखकर लग रहा कि खुद हुड्डा अथवा उनकी पसंद के किसी विधायक को विपक्ष के नेता पद का तोहफा दिया जा सकता है।

कांग्रेस विधायक कुलदीप बिश्नोई पर भी हाईकमान इस पद के लिए भरोसा जता दे तो कोई हैरानी वाली बात नहीं होगी। राज्य में जो भी नया विपक्ष का नेता बनेगा, उसका कार्यकाल अक्टूबर माह तक होगा। राज्य में अक्टूबर 2014 में विधानसभा चुनाव हुए थे, जिसमें भाजपा को 47 सीटों पर, इनेलो को 19 सीटों तो कांग्रेस को 15 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। हरियाणा जनहित कांग्रेस दो, अकाली दल व बसपा एक-एक तथा निर्दलीय पांच विधायक चुनकर आए थे।

हरियाणा जनहित कांग्रेस ने कांग्रेस में विलय कर लिया तो कांग्रेस विधायकों की संख्या बढ़कर 17 हो गई। एसवाईएल नहर निर्माण के मुद्दे पर अकाली दल के विधायक ने इनेलो से समर्थन वापस ले लिया था। इनेलो के दो विधायकों का निधन होने के कारण उनकी संख्या 17 रह गई। दो विधायकों द्वारा अपने पद से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल होने से इनेलो विधायकों की संख्या अब 15 है।

कांग्रेस के पास इस समय 17 विधायक हैं, जिसके आधार पर तीसरे नंबर वाली पार्टी अब नंबर दो पर आ गई है। स्पीकर कंवरपाल गुर्जर का कहना है कि नए घटनाक्रम के बारे में कांग्रेस को एक पत्र के माध्यम से सूचित कर दिया गया है। कांग्रेस की तरफ से जिस भी विधायक का नाम भेजा जाएगा उसे नेता प्रतिपक्ष के रूप में मान्य कर दिया जाएगा। यह प्रक्रिया विधानसभा सत्र से पहले भी अमल में लाई जा सकती है।


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