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Rajasthan Politics: बसपा विधायकों से जुड़ी जनहित याचिका पर 2 सितंबर को होगी सुनवाई

Rajasthan Politics बसपा विधायकों से जुड़ी जनहित याचिका पर 2 सितंबर को सुनवाई होगी एक सप्ताह के लिए सुनवाई टाली गई।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 26 Aug 2020 03:00 PM (IST)Updated: Wed, 26 Aug 2020 03:08 PM (IST)
Rajasthan Politics: बसपा विधायकों से जुड़ी जनहित याचिका पर 2 सितंबर को होगी सुनवाई
Rajasthan Politics: बसपा विधायकों से जुड़ी जनहित याचिका पर 2 सितंबर को होगी सुनवाई

जयपुर, जागरण संवाददाता। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के 6 विधायकों के कांग्रेस में विलय को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई एक सप्ताह के लिए टाल दी गई। जस्टिस सबीना और जस्टिस सी. के. सोनगरा की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई के लिए 2 सिंतबर की तारीख तय की है।

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एडवोकेट हेमंत नाहटा की ओर से दायर की गई इस जनहित याचिका में विधानसभा चुनाव के बाद 12 दिसंबर, 2018 को जारी किए गए गजट नोटिफिकेशन के अनुसार बनी दलों की स्थिति पुन: बहाल करने की मांग की गई है। इसके साथ ही बसपा के सभी 6 विधायकों के विधानसभा परिसर में प्रवेश पर रोक लगाने, विधायकों के कांग्रेस में विलय को रद्द करने, विधानसभा अध्यक्ष के 18 सितंबर, 2019 के आदेश को अपास्त करने, विधायकों को विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित करने व विलय से जुड़े सभी दस्तावेजों को अमान्य घोषित करने की मांग की गई है।

उल्लेखनीय है कि बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय के मामले में जस्टिस महेंद्र गोयल की एकलपीठ ने दो दिन पहले ही दो याचिकाकर्ताओं की याचिका को निस्तारित कर अपना फैसला सुनाया था। बसपा और भाजपा विधायक मदन दिलावर की याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई कर ऑनलाइन सुनाये गये अपने फैसले में कहा था कि अध्यक्ष ही इस मामले की सुनवाई करे। कोर्ट ने कहा था कि बसपा और दिलावर की विधायकों के विलय को रद्द करने तथा विधायकों को अमान्य घोषित करने सहित अन्य मांगों पर अध्यक्ष ही सुनवाई कर 3 माह में निस्तारित करे।

यह है पूरा मामला

गौरतलब है कि यह पूरा मामला गत विधानसभा चुनाव में बसपा के सिम्बल पर जीतकर विधानसभा पहुंचे उन 6 विधायकों से जुड़ा है, जो बाद में कांग्रेस में शामिल हो गये थे। इन विधायकों ने पिछले साल विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी. पी जोशी के समक्ष एक प्रार्थना-पत्र पेश कर कांग्रेस में विलय की मंजूरी मांगी थी। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने उनके प्रार्थना-पत्र को स्वीकार विलय को मंजूरी दे दी थी। बसपा और मदन दिलावर ने भी इस विलय को गलत बताते हुए इसे हाईकोर्ट में चैलेंज किया था। 


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