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अमेठी पाने और रायबरेली बचाने को जूझेंगी प्रियंका वाड्रा, सेंध लगाने में जुटी भाजपा

कांग्रेस के पुराने किले में सेंध लगाने में लगभग सफल हो चुकी भाजपा ने कांग्रेस के दो विधायकों को मोहपाश में कर वहां सियासी गणित ही बदल दिया है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sun, 06 Oct 2019 08:53 PM (IST)Updated: Sun, 06 Oct 2019 08:54 PM (IST)
अमेठी पाने और रायबरेली बचाने को जूझेंगी प्रियंका वाड्रा, सेंध लगाने में जुटी भाजपा
अमेठी पाने और रायबरेली बचाने को जूझेंगी प्रियंका वाड्रा, सेंध लगाने में जुटी भाजपा

लखनऊ, जेएनएन। कांग्रेस के हाथ से अमेठी की पारंपरिक सीट जाने के बाद राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका वाड्रा इसे दोबारा पाने के प्रयास में जुटी हुई हैं। इसी बीच उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की एकमात्र बची रायबरेली लोकसभा सीट को भी बचाने की चुनौती उनके सामने आ गई है। कांग्रेस के इस पुराने किले में सेंध लगाने में लगभग सफल हो चुकी भाजपा ने कांग्रेस के दो विधायकों को 'मोहपाश' में कर वहां सियासी गणित ही बदल दिया है।

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उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का बुरा दौर लंबे समय से चल रहा है, लेकिन इस बीच अमेठी और रायबरेली ऐसे संसदीय क्षेत्र थे, जिन पर गांधी परिवार को कब्जा दशकों से अनवरत था। भाजपा ने राहुल गांधी के कब्जे से अमेठी इस लोकसभा चुनाव में छीन ली। जब राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका वाड्रा उप्र में सक्रिय हुईं तो उनकी मेहनत अमेठी में खासतौर पर शुरू हो गई। प्रयास यही है कि इस सीट को दोबारा कांग्रेस के खाते में डाला जाए, मगर इसी बीच भाजपा ने कांग्रेस को एक और झटका दे दिया है।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के क्षेत्र रायबरेली में सत्ताधारी दल ने पैर पसार लिए हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में रायबरेली की पांच में से दो-दो सीट भाजपा और कांग्रेस ने जीतीं, जबकि एक सपा को मिली। भाजपा धीरे-धीरे वहां अपनी रणनीति पर काम करती रही। नतीजा सामने है। कांग्रेस विधायक राकेश सिंह तो पहले ही बागी हो चुके थे। अब विधायक अदिति सिंह ने भी बगावत कर दी है। वह भी भाजपा के रंग में डूबी नजर आ रही हैं।

अब राजनीतिक मजबूरियों में भले ही कांग्रेस इन दोनों विधायकों से नाता न तोड़े, लेकिन दो सीट व्यावहारिक तौर पर तो कांग्रेस के हाथ से गईं। इन दो विधायकों के सहारे भाजपा अब कांग्रेस के संगठन में भी आरी चला सकती है। ऐसे में अब प्रियंका वाड्रा के सामने अमेठी की खोई जमीन वापस हासिल करने के साथ ही अपनी मां सोनिया गांधी की सीट को अगले लोकसभा चुनाव में बचाने की चुनौती कड़ी हो गई है।


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