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Defence Expo 2020 : मेक इन इंडिया के साथ चला मेक इन यूपी, पीएम नरेंद्र मोदी ने की सराहना

Defence Expo 2020 मेक इन इंडिया के सबसे बड़े पैरोकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिफेंस एक्सपो के उद्घाटन सत्र में मेक इन यूपी को भी जमकर प्रमोट किया।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Wed, 05 Feb 2020 10:55 PM (IST)Updated: Wed, 05 Feb 2020 10:56 PM (IST)
Defence Expo 2020 : मेक इन इंडिया के साथ चला मेक इन यूपी, पीएम नरेंद्र मोदी ने की सराहना
Defence Expo 2020 : मेक इन इंडिया के साथ चला मेक इन यूपी, पीएम नरेंद्र मोदी ने की सराहना

लखनऊ, जेएनएन। 'मेक इन इंडिया' के सबसे बड़े पैरोकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिफेंस एक्सपो के उद्घाटन सत्र में 'मेक इन यूपी' को भी जमकर प्रमोट किया। आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश को देश में डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग का सबसे बड़ा हब बताकर उन्होंने यूपी में रक्षा उत्पादन के क्षेत्र मे निवेश आकर्षित करने की कोशिशों की परोक्ष रूप से सराहना की। वहीं आंकड़ों का हवाला देकर यह भी बताया कि तमिलनाडु के बरक्स उप्र के डिफेंस कॉरीडोर में अब तक ज्यादा निवेश हुआ है। 

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आधा घंटा से ज्यादा के अपने संबोधन में मोदी का जोर इस बात पर था कि मेक इन इंडिया और मेक इन यूपी की कामयाबी के हर कारक यहां मौजूद हैं। दो साल पहले लखनऊ में यूपी इन्वेस्टर्स समिट के दौरान उप्र में डिफेंस कॉरीडोर का एलान करने वाले मोदी ने रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने के मकसद से विकसित किये जा रहे इस औद्योगिक गलियारे के छह नोड-चित्रकूट, झांसी, आगरा, अलीगढ़, लखनऊ और कानपुर के नाम गिनाकर यह संकेत दिया कि उप्र में डिफेंस कॉरीडोर के विकास को लेकर वह कितने संजीदा हैं।

अमेठी में रूस के सहयोग से संचालित एके-203 रायफल के कारखाने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आने वाले समय में इन राइफलों का पूरी तरह स्वदेशी निर्माण होगा। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए उन्होंने सामरिक और रणनीतिक वजहें तो बतायी हीं, इससे अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले बोझ का भी जिक्र किया।

यह बताने से नहीं चूके कि रक्षा उत्पादन और एयरोस्पेस के क्षेत्र में यहां इनोवेशन है तो इंफ्रास्ट्रक्चर भी। टैलेंट है तो टेक्नोलॉजी थी। मांग है तो मजबूत लोकतंत्र और निर्णय लेने की क्षमता भी। मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए अपनी सरकार की ओर से पिछले पांच वर्षों के दौरान उठाये गए कदमों की भी जानकारी दी।

यह भी बताया कि रक्षा क्षेत्र में भारतीय निर्माताओं को बढ़ावा देने के लिए लाइसेंसिंग राज को उदार बनाया गया है। इससे नये प्रवेशियों खासतौर पर सूक्ष्म, लघु व मध्यम दर्जे के उद्योगों को फायदा मिलेगा। आर्डनेंस कारखानों द्वारा बनाये जाने वाले 600 उत्पादों में से 225 को नॉन कोर घोषित किया गया है। डीआरडीओ में भारतीय उद्योगों के लिए बिना चार्ज के टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की नीति बनायी गई है। इससे भारतीय निर्माताओं को मुफ्त में तकनीकी हासिल हो सकती है। रक्षा अनुसंधान के क्षेत्र में युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए डीआरडीओ ने पांच लैब बनायी हैं, जिन्हें 35 वर्ष से कम उम्र के युवा संचालित करते हैं।

यह भी बताने से नहीं चूके कि जहां 2014 तक देश में सिर्फ 217 डिफेंस लाइसेंस जारी हुए थे, वहीं बीते पांच वर्षों के दौरान इनकी संख्या बढ़कर 460 हो गई है। रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता और स्वदेशी की वकालत करते हुए उन्होंने कहा कि आज भारत का मंत्र है 'भारत में बनाइये, भारत के लिए और दुनिया की खातिर।'


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