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नवजोत सिद्धू ने बढ़ाई कैप्‍टन सरकार की मुश्किल, गुरु की प्र‍तिष्‍ठा की लडा़ई में फंसे अफसर

पंजाब के कैप्‍टन अमरिंदर सिंह सरकार मे गतिरोध समाप्‍त नहीं हो पा रहा है। कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने अब तक बिजली विभाग का कार्यभार नहीं संभाला है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 19 Jun 2019 09:05 AM (IST)Updated: Wed, 19 Jun 2019 11:42 AM (IST)
नवजोत सिद्धू ने बढ़ाई कैप्‍टन सरकार की मुश्किल, गुरु की प्र‍तिष्‍ठा की लडा़ई में फंसे अफसर
नवजोत सिद्धू ने बढ़ाई कैप्‍टन सरकार की मुश्किल, गुरु की प्र‍तिष्‍ठा की लडा़ई में फंसे अफसर

चंडीगढ़, जेएनएन। पंजाब के कैप्‍टन अमरिंदर सिंह सरकार में गतिरोध खत्‍म नहीं हो रहा है और कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की खामोशी व कामकाज से दूरी कायम है। सिद्धू ने अपना विभाग बदलने को प्रतिष्‍ठा का प्रश्‍न बना लिया है और अब तक नए बिजली विभाग का कार्यभार नहीं संभाला है। इससे बिजली विभाग मुश्किल में है और उसका कामकाज प्रभावित हो रहा है। विभाग के अधिकारी भी इस दुविधा में हैं कि उनसे संबंधित फाइलें कहां भेजें?

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इस समय विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी ए. वेणुप्रसाद भी मंगलवार से ट्रेनिंग पर चले गए हैं। उनका चार्ज एमपी सिंह को सौंपा गया है, जबकि दूसरी ओर पावरकॉम विभाग सब्सिडी न मिलने को लेकर वित्त विभाग से जूझ रहा है। बिजली विभाग की स्थिति ऐसी बनी हुई है कि उन्हें यही पता नहीं चल रहा कि उनका केस कौन वित्त विभाग के पास पेश करे।

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पिछले साल की 4400 करोड़ रुपये की सब्सिडी तो पहले से ही लंबित है, अब पहले क्वार्टर के भी मात्र 300 करोड़ ही मिले हैं। विभागीय मंत्री न होने के कारण वित्तमंत्री मनप्रीत बादल या मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से इस बारे में बात करने वाला कोई नहीं है। पावरकॉम के सीएमडी बलदेव सिंह सरां भी अपने अधिकारियों को ही वित्त विभाग के पास भेज रहे हैं कि वे सब्सिडी की फाइल क्लियर करवाएं।

उधर, विभागीय अधिकारियों का कहना है कि पावर विभाग में इस समय कई अहम प्रोजेक्ट लंबित हैं, जिनमें से शाहपुर कंडी प्रोजेक्ट सबसे महत्वपूर्ण है। इसके अलावा प्राइवेट कंपनियों से ली जा रही बिजली को लेकर भी कई ऐसी फाइलें होती हैं, जिन पर मंत्री ने फैसला लेना होता है। विभाग के अफसर चाहते हैं कि सिद्धू पावर विभाग ज्वाइन न करें और यह महकमा खुद मुख्यमंत्री ही संभालें।

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ऐसी दलील देने के पीछे उनका अपना मत है। उनका कहना है कि विभाग में कई प्रोजेक्ट बेहद संवेदनशील हैं और उनमें जरा सा भी अड़ंगा प्रोजेक्ट को लटका सकता है। उन्होंने शाहपुरकंडी प्रोजेक्ट का उदाहरण भी दिया, जो जम्मू-कश्मीर और पंजाब के बीच फंसा हुआ था और केंद्र के दबाव में बड़ी मुश्किल से निकला है।

उधर, आम आदमी पार्टी भी सिद्धू पर लगातार दबाव बनाए हुए है कि वह प्राइवेट बिजली प्रोजेक्टों को लेकर उनके साथ खरीद के समझौतों को फिर से खोलें और नई शर्तों के मुताबिक इन पर साइन करवाएं। अगर ऐसा होता है, तो यह भी सरकार को संकट में डाल सकता है।

फाइलें नहीं ले रहे सिद्धू

नवजोत सिंह सिद्धू के ज्वाइन करने से उनके सचिवालय स्थित पांचवें फ्लोर के कमरे में एकदम सन्नाटा पसरा हुआ है। दफ्तर के बाहर तीन सेवादार बैठे हैं, जबकि स्टाफ के कमरे में मात्र एक सचिव ही डयूटी पर है। सूत्रों का कहना है कि मंत्री स्तर पर फाइलें तैयार हैं, लेकिन समझ में नहीं आ रहा है कि यह किसे भेजी जाएं।

नवजोत सिंह सिद्धू ने फिलहाल किसी भी फाइल को लेने से मना कर दिया है। हालांकि सीएमओ के सूत्रों का कहना है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह सिद्धू को अब और कोई महकमा नहीं देना चाहते और उन्होंने इस बात के भी संकेत दे दिए हैं कि अगर मंत्री स्तर पर कोई बड़ी फाइल लटकी हैं, तो वह उन्हें भेज दी जाएं।

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