बजट में बिहार: 25 लाख गरीबों का होगा अपना घर, इलाज में नहीं बिकेगी जमीन
केंद्रीय बजट से बिहार के 25 लाख गरीबों में अपने घर की आस जगी है। सिल्क उद्योग को बढ़ावा मिलना तय है। ठप पड़ी राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के भी गति पकडऩे की आशा जगी है।
पटना [एसए शाद]। केंद्रीय बजट ने बिहार के घरविहीन गरीबों के अंदर बड़ी आस जगा दी है। सिर छुपाने के लिए छत के उनके सपने के पूरा होने की उम्मीद प्रबल हो गई है। सिल्क उद्योग को बढ़ावा मिलगा। गरीबों को अपने स्वास्थ्य की चिंता भी दूर होगी।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट भाषण में घोषणा की है कि 2022 तक हर घरविहीन को आवास मुहैया करा दिया जाएगा। प्रदेश में ऐसे गरीबों की संख्या 25 लाख है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2018-19 में देश में 49 लाख आवास बनाने का जेटली ने लक्ष्य रखा है। बिहार का इसमें आवश्यकता का एक तिहाई यानी करीब 8 लाख कोटा तय होने की आशा है।
बजट में सिल्क धागों एवं कपड़ों पर उत्पाद शुल्क दोगुना कर 20 प्रतिशत किए जाने का लाभ कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल एवं झारखंड के साथ-साथ बिहार को भी मिलेगा। उत्पाद शुल्क बढ़ जाने के कारण अब कोरिया एवं चाइना से आने वाले धागों एवं कपड़ों की जगह बिहार में बने रेशमी धागे एवं वस्त्र की पूछ बढ़ेगी। यह निर्णय प्रदेश के दस हजार हैंडलूम एवं लगभग 15 हजार पावरलूम से जुड़े करीब एक लाख बुनकरों को अधिक काम दिलाएगा।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्य के तीसरे कृषि रोड-मैप को पिछले माह लांच किया है। बजट में कृषि को दी गई प्राथमिकता इस रोड-मैप के तहत होने वाले कार्यों को सुगम करेगी। स्वच्छ भारत मिशन के तहत देश को खुले में शौच से 2022 तक मुक्ति दिलानी है। बिहार में अभी मात्र 34 प्रतिशत घरों में शौचालय हैं। 1.55 करोड़ शौचालय बनाए जाने हैं। जेटली ने 2018-19 के लिए देश में 1.88 करोड़ शौचालय निर्माण का लक्ष्य रखा है। स्वाभाविक है कि आवश्यकता को देखते हुए बिहार का इसमें बड़ा कोटा तय किया जाएगा।
देश में 24 मेडिकल कालेज खोलने की घोषणा की गई है और इसमें से बिहार के हिस्से में एक आएगा। परन्तु हर तीन लोकसभा क्षेत्र पर एक मेडिकल कालेज के फार्मूले के तहत सूबे को शीघ्र ही तीन और मेडिकल कालेज मिलेंगे। फार्मूले के तहत प्रदेश में 13 मेडिकल कालेज रहेंगे। फिलहाल नौ मेडिकल कालेज हैं।
प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (पीएमजीएसवाइ) के तहत देश में इस साल 57 हजार किलोमीटर सड़क बनाने का लक्ष्य है। राज्य सरकार ने केंद्र की स्वीकृति के लिए पूर्व में ही करीब दस हजार किलोमीटर ग्रामीण पथों की स्वीकृति का प्रस्ताव भेज रखा है। प्रस्ताव की स्वीकृति की उम्मीद बढ़ गई है।
जीविका के तहत नए वित्तीय वर्ष में 9 लाख नए स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) बनाने का लक्ष्य है। बिहार में अभी सात लाख एसएचजी हैं, जबकि तीन लाख और बनाए जाने हैं। केंद्रीय बजट में किया गया प्रावधान बिहार के लिए इस लक्ष्य की प्राप्ति का रास्ता आसान करेगा।
सामाजिक सुरक्षा का बजट 1500 करोड़ किए जाने का भी लाभ बिहार को मिलेगा। प्रदेश में इस समय 43 लाख से अधिक को वृद्धावस्था पेंशन की आवश्यकता है जबकि केवल 13 लाख वृद्धों के लिए केंद्र की ओर से राशि उपलब्ध कराई जा रही है।
ठप पड़ी राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के फिर से गति पकडऩे की आशा भी जगी है। आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में गरीबों की एक बड़ी संख्या को इलाज के लिए कर्ज लेने को मजबूर होना पड़ता है।