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जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने पर बसपा के समर्थन करने के ये हैं सियासी मायने

कश्मीर के मुद्दे पर सरकार का साथ देकर बसपा ने राष्ट्रवादी चेहरा उभारने की कोशिश की है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Mon, 05 Aug 2019 10:23 PM (IST)Updated: Tue, 06 Aug 2019 12:24 AM (IST)
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने पर बसपा के समर्थन करने के ये हैं सियासी मायने
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने पर बसपा के समर्थन करने के ये हैं सियासी मायने

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। अल्पसंख्यकों से संबधित विवादित मुद्दों पर आमतौर से सर्तकता बरतने वाली बहुजन समाज पार्टी ने जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाने का समर्थन कर सबको चौंका दिया है। इस दो टूक फैसले को बसपा द्वारा अपनी छवि बदलने व वोट बैंक को मजबूती प्रदान करने के रूप में देखा जा रहा है।

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कश्मीर जैसे गंभीर मसले पर बसपा का सरकार के पक्ष में दिखना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अन्य प्रमुख विपक्षी दल-कांग्रेस, समाजवादी पार्टी व जनता दल (यूनाईटेड) जैसी पार्टियां विरोध मेंं खड़ी दिख रही हैं। एक पूर्व विधायक का मानना है कि मायावती नुकसान का कोई फैसला नहीं लेती हैं। खासकर अल्पसंख्यकों से जुड़े मसलों पर पूरी सतर्कता बरतती हैं, लेकिन इस मसले पर बसपा प्रमुख मायावती बदले अंदाज में हैं, जिसकी वजह बसपा की छवि सुधारना भी है। कश्मीर के मुद्दे पर सरकार का साथ देकर बसपा ने राष्ट्रवादी चेहरा उभारने की कोशिश की है।

आरक्षित वर्ग को लाभ

बसपा ने इस मुद्दे का समर्थन करने के साथ ही 'देश पहले' नारे के साथ बाबा साहब डॉ.आंबेडकर को भी जोड़ दिया है। बाबा साहब को अनुच्छेद- 370 का विरोधी बताते हुए बसपा प्रमुख ने अनुसूचित वर्ग के वोटों की चिंता भी की। बता दें कि जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद-370 के रहते अन्य राज्यों की तरह आरक्षण व्यवस्था लागू नहीं होती थी। 370 वाले अनुच्छेद के हटने से अनुसूचित और पिछड़े वर्ग को आरक्षण का लाभ अन्य राज्यों की तरह से मिल सकेगा। एक पूर्व कोआर्डिनेटर का कहना है कि जम्मू कश्मीर में बसपा के पैर पसारने की काफी संभावना है। वहीं, बसपा द्वारा समर्थन देने को एक खेमा सत्तापक्ष की दबाव की राजनीति से जोड़कर प्रचारित कर रहा है। बता दें कि मायावती के भाई आनंद कुमार पर आय से अधिक संपत्ति की जांच अभी जारी है।

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