Jammu And Kashmir: जम्मू-कश्मीर के नए माहौल में बदल गए सियासी मुद्दे
Political Issues Change. पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और नेशनल कांफ्रेंस सेल्फ रूल व ऑटोनामी के नारे को छोड़ती नजर आ रही हैं।
जम्मू, नवीन नवाज। Political Issues Change. अनुच्छेद 370 की समाप्ति और एकीकृत जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के बाद विकास के नए माहौल में केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर राज्य में सियासत के मुद्दे भी बदल गए हैं। पुराने मुद्दे इतिहास के पन्नों में बंद हो गए हैं और नई सियासी हवा शुरू हो गई है। अब ऑटोनामी और सेल्फ रूल के सियासी नारे नहीं लग रहे। यहां तक कि इनका कोई जिक्र तक नहीं कर रहा। इनकी जगह डोमिसाइल और स्टेटहुड ने ले ली है। सभी राजनीतिक दल अब इन्हीं दो मुद्दों पर अपनी सियासत केंद्रित करते नजर आ रहे हैं। नेशनल कांफ्रेंस हो या फिर पीडीपी, वह भी धीरे ही सही लेकिन इसी ओर बढ़ रही हैं। भाजपा और कांग्रेस तो अपने कैडर और समर्थकों को आत्मविश्वास के साथ यकीन दिला रही हैं कि जल्द यहां डोमिसाइल होगा।
जम्मू-कश्मीर के दो केंद्र शासित राज्यों में पुनर्गठित होने से पहले अनुच्छेद 370 की समाप्ति-संरक्षण, जम्मू-कश्मीर के लिए बृहत्तर स्वायत्तता और सेल्फ रूल ही नेशनल कांफ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, पीपुल्स कांफ्रेंस, कांग्रेस और भाजपा व माकपा दलों के लिए सियासी नारे थे। कई इनके समर्थक थे तो कई विरोधी। पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम को लागू किए जाने और उसके बाद 31 अक्टूबर, 2019 को जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित राज्यों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में पुनर्गठित किए जाने के बाद यह सभी नारे स्वत: समाप्त हो गए हैं। बदले हालात में राज्य में सियासी गतिविधियां जो कुछ समय पहले तक पूरी तरह से ठप थी, अब फिर जोर पकड़ने लगी हैं। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और नेशनल कांफ्रेंस सेल्फ रूल व ऑटोनामी के नारे को छोड़ती नजर आ रही हैं। हालांकि, नेशनल कांफ्रेंस के सांसद मोहम्मद अकबर लोन दावा कर चुके हैं जब तक जम्मू-कश्मीर को पुराना दर्ज नहीं मिलेगा, नेकां किसी भी चुनाव में हिस्सा नहीं लेगी।
अलबत्ता, नेकां अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला जो बदली राजनीतिक व्यवस्था में पूरी तरह चुप्पी साधकर कैद काट रहे हैं, अपने करीबियों से कथित तौर पर कह चुके हैं कि पुराने एजेंडे को फिलहाल ठंडे बस्ते में रखो। पहले जम्मू-कश्मीर के लिए पूर्ण राज्य की बहाली के लिए कवायद की जाए। जम्मू और श्रीनगर में बीते कुछ दिनों में हुई नेकां की बैठकों में मौजूद रहे नेता भी मौजूदा हालात में डोमिसाइलऔर स्टेटहुड पर चर्चा करते नजर आए हैं।
पीडीपी शांत, हालात को समझकर बढ़ा रही कदम
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती जो अनुच्छेद 370 को हटाए जाने पर कहती थीं कि कश्मीर में तिरंगा थामने वाला नहीं मिलेगा, अब शांत हैं। उनके ट्विटर हैंडल पर बेशक उनकी बेटी इल्तिजा अनुच्छेद 370 की बहाली की मांग कई बार उठा चुकी हैं, लेकिन पीडीपी के लगभग सभी नेता हवा के बदलते रुख को समझकर कदम बढ़ाते दिख रहे हैं।
पार्टी संरक्षक मुजफ्फर हुसैन बेग संगठनात्मक गतिविधियों और सार्वजनिक बैठकों में बिना किसी हिचकिचाहट के कह चुके हैं कि जम्मू-कश्मीर के लोगों के सामाजिक-आर्थिक-राजरीतिक अधिकारों के संरक्षण के लिए डोमिसाइल का अधिकार जरूरी है। जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य बनाया जाए। वह इसके लिए एक मूवमेंट चलाते हुए इसी नारे पर पीडीपी की सियासत को आगे बढ़ाने की जमीन बना रहे हैं।
कांग्रेस को मिले मुद्दे, भाजपा दिला रही यकीन
जम्मू-कश्मीर की सियासत में कांग्रेस को भी अब दो नए मुद्दे मिल गए हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीए मीर और उनके सियासी साथी अब जम्मू संभाग में बैठकों और रैलियों जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए डोमिसाइल और स्टेटहुड की मांग कर रहे हैं। वह कह रहे हैं कि स्थानीय लोगों के हितों के संरक्षण के लिए यह जरूरी है। भारतीय जनता पार्टी जो जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर ही लोगों से वोट मांगती थी, वह अब डोमिसाइल और स्टेटहुड दिलाने का लोगों को यकीन दिला रही है।
अब इन्हीं दो मुद्दों पर होगी सियासत
जम्मू-कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ प्रो. हरि ओम के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर की पुरानी व्यवस्था अब ढह चुकी है। पुरानी सियासत ठप हो चुकी है, इसलिए नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी को अगर सियासत करनी है तो वह स्टेटहुड और डोमिसाइल की बात करेगी। यही स्थिति भाजपा और कांग्रेस की है। इसलिए देखा होगा कि जम्मू-कश्मीर में एक नया सियासी मोर्चा बना रहे अल्ताफ बुखारी भी इन्हीं दो नारों की बात कर रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में फिलहाल सियासत का केंद्र डोमिसाइल और स्टेटहुड का दर्जा बनता जा रहा है।