Move to Jagran APP

Police Commissioner System : यूपी के पांच पूर्व डीजीपी ने एक स्वर से सराहा फैसला, बोले-ऐतिहासिक फैसला

Police Commissioner लखनऊ तथा गौतमबुद्धनगर में पुलिस कमिश्नर तैनात होगा। सरकार के फैसले को पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह केएल गुप्ता विक्रम सिंह एके जैन तथा बृज लाल ने जमकर सराहा ।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Mon, 13 Jan 2020 04:01 PM (IST)Updated: Mon, 13 Jan 2020 06:00 PM (IST)
Police Commissioner System : यूपी के पांच पूर्व डीजीपी ने एक स्वर से सराहा फैसला, बोले-ऐतिहासिक फैसला
Police Commissioner System : यूपी के पांच पूर्व डीजीपी ने एक स्वर से सराहा फैसला, बोले-ऐतिहासिक फैसला

लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने के प्रस्ताव पर कैबिनेट की मुहर लगते ही इस निर्णय की सराहना होने लगी। प्रदेश में पाइलट प्रोजेक्ट रूप में अभी लखनऊ तथा गौतमबुद्धनगर में पुलिस कमिश्नर तैनात होगा। सरकार के इस फैसले को पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह, केएल गुप्ता, विक्रम सिंह, एके जैन तथा बृज लाल ने जमकर सराहा है।

loksabha election banner

पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने को लेकर डीजीपी ओपी सिंह ने कहा कि सरकार का फैसला काफी सराहनीय तथा स्वागत के योग्य है। पूर्व डीजीपी बृजलाल के साथ विक्रम सिंह और केएल गुप्ता ने सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि पुलिस कमिश्नरी सिस्टम बहुत पहले ही लागू हो जाना चाहिए था। डीजीपी ओपी सिंह ने लखनऊ व नोएडा में कमिश्नर प्रणाली लागू करने पर कहा कि यह एक ऐतिहासिक फैसला है। सरकार ने बहुत बेहतर व्यवस्था लागू की है।

आसान नहीं होगी गुंडों की जमानत

पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह ने कहा कि अभी तक ज्यादातर लॉ एंड आर्डर के मामले इसलिए उग्र हो जाते हैं, क्योंकि पुलिस के पास तत्काल निर्णय लेने के अधिकार नहीं होते। कमिश्नर प्रणाली में पुलिस प्रतिबंधात्मक कार्रवाई के लिए खुद ही मजिस्ट्रेट की भूमिका में होगी। प्रतिबंधात्मक कार्रवाई का अधिकार पुलिस को मिलेगा तो आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों पर जल्दी कार्रवाई हो सकेगी। जैसे गुंडा एक्ट, शस्त्र लाइसेंस, धारा 144 लागू करना, धरने के लिए अनुमति देने, लाठीचार्ज करने का फैसला, जिला बदर की कार्रवाई जैसे वो अधिकार कमिश्नर प्रणाली में हैं, जो मजिस्ट्रेट के पास रहती थी। अब राजस्व सम्बंधित और जिला के डेवलपमेंट के ही अधिकार ही जिला प्रशासन के डीएम-मजिस्ट्रेट के पास ही रहेंगे। पुलिस कमिश्नर को एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट के अधिकार मिलेंगे। जाहिर है रुतबा भी बढ़ेगा। गुंडों को जमानत देने या नहीं देने का फैसला पुलिस खुद लेगी। पुलिस अधिकारी लॉ एंड आर्डर के मामले में खुद निर्णय लेंगे।

अक्सर देखा जाता हैं कि ज्यादातर मामला पेंडिंग रहते हैं। जिला बदर के प्रस्ताव कलेक्टर जानबूझकर नहीं अटकाते, लेकिन पुलिस अक्सर तर्क देती है कि जिला बदर और प्रतिबंधात्मक कार्रवाइयों के प्रस्ताव कलेक्टर कोर्ट में लंबे समय तक पेंडिंग रहते हैं। अब निर्णय पुलिस लेगी। कब धारा 144 लागू करनी कब नहीं यह सभी अधिकार मिल गए हैं। पूर्व डीजीपी प्रकाश का कहना हैं कि कमिश्नर प्रणाली दस लाख से ज्यादा की जनसंख्या वाले शहर में ही लागू हो सकती हैं। कमिश्नर प्रणाली तो एक पारदर्शी प्रणाली हैं। अगर किसी भी सिस्टम के पास अधिकार होते तब वह सही निर्णय ले सकता हैं और उसकी जिम्मेदारी भी तय की जा सकती है।

अब सब कुछ पुलिस के हाथ में

पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता ने कहा कि प्रदेश में कमिश्नरी प्रणाली को बहुत पहले ही लागू हो जाना चाहिए था। इसके लागू होने से पुलिस अधिकारियों के पास ज्यादा शक्ति होने के साथ अब जवाबदेही बढ़ेगी। अभी तक जब भी सड़कों पर हिंसक विरोध प्रदर्शन होते हैं तो किसी भी कार्रवाई के लिए पुलिस अधिकारियों को डीएम से अनुमति लेनी पड़ती है। कभी कभी ऐसा होता है कि जब तक डीएम अनुमति देते हैं तब तक मामला कंट्रोल से बाहर पहुंच जाता है। कमिश्नरी प्रणाली में पुलिस को कार्रवाई करने और फैसले लेने की स्वतंत्रता होगी। इससे लॉ एंड ऑर्डर को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।

किसी क्रांति से कम नहीं यह कदम

पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने कहा कि यह बहुत ही खुशी और संतोष का विषय है कि उत्तर प्रदेश के लखनऊ और गौतमगुद्ध नगर में पुलिस आयुक्त प्रणाली का शुभारंभ हुआ है। यह किसी क्रांति से कम नहीं है। प्रदेश की जनता के साथ पुलिस विभाग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आभारी है कि उन्होंने इस क्रांति का सूत्रपात किया।

इससे पहले भी पुलिस कमिश्नरी सिस्टम को लागू करने की कोशिशें हुईं और कई आयोगों ने इसकी अनुशंसा की, लेकिन लागू नहीं हो सका। यह मामला 1977 से ही चला आ रहा था। देश के 15 राज्यों के 71 जनपदों में यह व्यवस्था बहुत पहले से ही बड़ी सफलता पूर्वक चल रही है। उत्तर प्रदेश में पता नहीं क्यों इसे आजतक रोका गया। इससे पुलिस विभाग को ज्यादा शक्तियां मिलेंगी और इसके परिणाम भी बेहतर साबित होंगे। इस व्यवस्था को लागू करना निश्श्चित रूप से योगी आदित्यनाथ सरकार की इच्छाशक्ति को दर्शाता है।

अब काफी अधिकार पुलिस के पास

पूर्व डीजीपी अरविंद कुमार जैन ने कहा कि प्रदेश की कानून व्यवस्था को सुधारने के सभी अधिकार अब पुलिस के पास होंगे। पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू होने से पुलिस पर जवाबदेही तय होगी। उन्होंने तर्क दिया कि अब गुंडे जेल में होंगे। पुलिस की कोर्ट से इन्हें जमानत नहीं मिलेगी। ट्रैफिक में बाधा बनने वाले अतिक्रमण या सड़क के अवैध कब्जे पुलिस के आदेश पर हटाने ही होंगे।

ट्रैफिक नियमों का सख्ती से पालन करवाया जाएगा। बार-बार ट्रैफिक नियम तोडऩे पर पुलिस ही ड्राइविंग लाइसेंस सस्पेंड कर सकेगी। लाठी चार्ज या आंसू गैस के गोले छोडऩे का फैसला पुलिस अपने ही स्तर पर लेगी। शहर की कानून व्यवस्था के लिए अब सीधे तौर पर पुलिस ही जवाबदेह होगी। सरकार का यह उचित फैसला है। इससे पहले तो आइएएस लॉबी के दबाव में इसे लागू नही किया जा सका। अब इसके लागू होने से पुलिस सुधार के साथ कानून व्यवस्था में भी सुधार देखने को मिलेगा।

योगी आदित्यनाथ के फैसले ने तोड़ दिया मिथक

उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष तथा पूर्व डीजीपी बृजलाल ने पुलिस कमिश्नर सिस्टम पर कहा कि यह फैसला स्वागत योग्य है। प्रदेश में काफी लंबे समय से इस प्रणाली को लागू करने की मांग हो रही थी। सीएम योगी आदित्यनाथ के इस फैसले से यह मिथक भी टूट गया है कि उत्तर प्रदेश में कमिश्नर सिस्टम लागू नहीं हो सकता। इस फैसले के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ बाधाई के पात्र हैं। यह उनकी राजनीतिक इच्छाशक्ति को दिखाता है। पुलिस व्यवस्था में यह किसी क्रांति से कम नहीं है। पुलिस कमिश्नर प्रणाली होने से जनसेवा पुलिस अच्छे से कर सकेगी। देश के 15 राज्यों के 71 जिलों में यह व्यवस्था बेहतरीन तरीके से काम कर रही है। प्रदेश में पिछले कई दशकों से पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने की मांग उठ रही थी। धरमवीर कमीशन (तीसरे राष्ट्रीय पुलिस आयोग) ने 1977 भी पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने की सिफारिश की थी। उत्तर प्रदेश में यह राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव में लागू नहीं हो पाया था। इससे पहले कोई भी मुख्यमंत्री पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने का साहस नहीं कर सके। इससे पहले की सरकार पुलिस को फ्री हैंड देने से डरती रहीं। अब तो राजनीतिक संरक्षण में अपराधी तथा माफिया के साथ अपराध को बढावा देने वालों के दिन लद गए हैं। अब दंगाइयों, उपद्रवियों के बुरे दिन आ गए हैं। पुलिस को बल प्रयोग के लिए नहीं करना पड़ेगा मजिस्ट्रेट का इंतजार। अब जो दंगा करेगा, उपद्रव करने के साथ ही आमजन और पुलिस पर हमला करेगा, उससे पुलिस सीधे निपटेगी। पुलिस को धारा 151 और 107, 116 गिरफ्तार कर सीधे जेल भेजने का भी अधिकार होगा। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.