फर्जी पासपोर्ट मामले में पुलिस ने भारत-नेपाल मैत्री संघ के अध्यक्ष को बनाया वादी Gorakhpur News
नेपाली नागरिकों को भारतीय बताकर फर्जी पासपोर्ट बनाए जाने के मामले में कैंट पुलिस ने भारत-नेपाल मैत्री संघ के अध्यक्ष अनिल गुप्ता को वादी बनाया है।
गोरखपुर, जेएनएन। नेपाली नागरिकों को भारतीय बताकर फर्जी पासपोर्ट बनाए जाने के मामले में कैंट पुलिस ने भारत-नेपाल मैत्री संघ के अध्यक्ष अनिल गुप्ता को वादी बनाया है। वर्ष 2015 में संगठन के तत्कालीन अध्यक्ष मोहनलाल गुप्ता ने आरोपितों के खिलाफ शाहपुर व कैंट थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। कुछ दिनों बाद उनकी मौत हो गई थी।
फर्जी कागजात से 26 नेपाली नागरिकों का बना था भारतीय पासपोर्ट
वर्ष 2009 में जीआरडी, कूड़ाघाट के पते पर फर्जी कागजात से 26 नेपाली नागरिकों का भारतीय पासपोर्ट बनवा दिया गया। इसके सहारे कई नेपाली नागरिक विदेश भी चले गए। भारत-नेपाल मैत्री संघ के तत्कालीन अध्यक्ष मोहन लाल गुप्ता ने इसकी लिखित शिकायत अधिकारियों से की थी। तत्कालीन एसपी ग्रामीण ने जांच के बाद मोहन लाल गुप्ता की तहरीर पर 2015 में फर्जी पासपोर्ट बनवाने वाले 26 नेपाली लोगों के खिलाफ खिलाफ कैंट थाने में मुकदमा करवाया था। मामले की जांच कर रही कैंट पुलिस ने 20 फरवरी, 2020 को नंदानगर के न्यू प्रोजेक्ट रोड निवासी राजेश पासवान को गिरफ्तार कर मामले का पर्दाफाश किया। जांच में कई अन्य लोगों का नाम सामने आया है, जिन्होंने पासपोर्ट बनवाने में सहयोग किया था। शाहपुर थाने में भी पांच नेपाली लोगों पर फर्जी पासपोर्ट बनवाने का केस दर्ज हुआ था, जिसकी जांच चल रही है। सीओ कैंट सुमित शुक्ला ने बताया कि नेपाली नागरिकों का फर्जी पासपोर्ट बनवाने में मदद करने वाले सभी लोगों पर कार्रवाई होगी। सभी पहलुओं की जांच हो रही है।
कैंट थाने में दर्ज है केस
सीमा राना, कल्पना थापा, मेनका थापा, विमला आले, रामा गुरुंग, सुनील की पत्नी सीमा, नरेश की बेटी सीमा, कमला थापा, प्रिया गुरुंग, सोनिया गुरुंग, आशा गुरुंग, आरती श्रेष्ठ, प्रीती गुरुंग, हेमा, संतोपी गुरुंग, अनिल गुरुंग, कुमारी रमा, गंगा थापा, आशा थापा, कल्पना गुरुंग, माया, रीता सुव्वा, रूपा लामा, सिबु रिमल, संगीता गुरुंग और सूरज राना का फर्जी पासपोर्ट वर्ष 2009 में बना था। इन सभी के खिलाफ केस दर्ज हुआ था।
एक महिला पहुंच गई थी कोर्ट
पुलिस के अनुसार पासपोर्ट बनवाने वाली एक महिला विवेचना के दौरान कोर्ट पहुंच गई और खुद को पीडि़त बताया। उसका दावा है कि असली समझकर आवेदन पर हस्ताक्षर किया था, जिसके बाद कोर्ट ने जांच के लिए कई निर्देश दिए हैं। पुलिस का कहना है कि फर्जी पासपोर्ट बनवाने वाले सभी 26 नेपाली नागरिकों की भूमिका की भी जांच की जाएगी।